अष्ट सिद्धि योगिनी का साधना साधक अपने आत्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए करता है। इस साधना के माध्यम से साधक अष्ट सिद्धि की प्राप्ति करता है जो कि उसे आत्मा के साक्षात्कार और पूर्णता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है। इस प्रकार की योगिनी के साधना से साधक को अद्वितीय शक्तियों और सिद्धियों का अनुभव होता है जो उसे जीवन में समृद्धि, सुख, और आनंद की प्राप्ति में मदद करती है।
अष्ट सिद्धि योगिनी साधना के लाभ
- अणिमा: साधक को सूक्ष्म रूप धारण करने की शक्ति मिलती है।
- महिमा: विशालकाय रूप धारण करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- गरिमा: भारवृद्धि करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- लघिमा: अपने शरीर को अत्यंत हल्का करने की शक्ति मिलती है।
- प्राप्ति: इच्छित वस्तु को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
- प्राकाम्य: इच्छानुसार कार्य करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- ईशित्व: दूसरों पर शासन करने की शक्ति मिलती है।
- वशित्व: दूसरों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: उच्च आध्यात्मिक अनुभव और जागरण प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके जीवन में उन्नति होती है।
- सौभाग्य और समृद्धि: जीवन में सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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अष्ट सिद्धि योगिनी साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न
- अष्ट सिद्धि योगिनी साधना क्या है?
- यह एक तांत्रिक साधना है जिसमें आठ योगिनियों की आराधना की जाती है, जो विभिन्न सिद्धियों की प्रतीक होती हैं।
- अष्ट सिद्धि योगिनी कौन हैं?
- अष्ट सिद्धि योगिनियाँ आठ शक्तिशाली देवियाँ हैं जो अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
- साधना के लिए कौन सा मंत्र प्रयोग होता है?
- प्रत्येक योगिनी के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं, जैसे "ॐ अणिमायै नमः", "ॐ महिमायै नमः", आदि।
- साधना कब और कैसे की जाती है?
- किसी शुभ मुहूर्त, विशेषकर पूर्णिमा और अमावस्या की रात्रि में साधना की जाती है।
- साधना के दौरान कौन से आसन का प्रयोग करें?
- पद्मासन, सिद्धासन, या किसी भी आरामदायक ध्यान आसन का प्रयोग करें।
- साधना के लिए कौन सी दिशा उत्तम होती है?
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करना उत्तम माना जाता है।
- क्या साधना में किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
- हाँ, जैसे कि चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य।
- क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?
- हाँ, लेकिन इसे करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और स्वच्छता आवश्यक है।
- साधना का प्रभाव कब से दिखाई देता है?
- यह साधक की श्रद्धा, विश्वास, और निरंतरता पर निर्भर करता है।
- साधना के दौरान कितने मंत्र जाप करना चाहिए?
- प्रारंभ में 108 बार, फिर 1008 बार या अधिक जाप करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद प्रसाद वितरण करें और अपने अनुभव को गुरु से साझा करें।
- साधना में ध्यान कैसे करें?
- अष्ट सिद्धि योगिनियों की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान करें और उनके रूप, गुण, और कृपा का ध्यान करें।
- क्या साधना में विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
- हाँ, साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
- साधना के लिए क्या कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?
- हाँ, साधना से पहले स्वच्छता और मन की शुद्धि आवश्यक है।
- क्या अष्ट सिद्धि योगिनी साधना से हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है?
- हाँ, अष्ट सिद्धि योगिनी साधना से जीवन की कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है, लेकिन यह साधक की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।
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