आर्थिक उन्नति करने वाली “लक्ष्मी स्त्रोत” एक प्रमुख स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की महिमा और महत्व को वर्णित करता है जो उनके भक्तों को समृद्धि, धन, और सुख-शांति प्रदान करने में सहायक होता है। यह स्तोत्र लक्ष्मी माता की प्रार्थना करते हुए उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए जपा जाता है। इसके पाठ से समृद्धि, सुख, सम्पत्ति, और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलती है।
लक्ष्मी स्त्रोत
ॐ श्री लक्ष्मी स्तोत्रम
श्री गंधर्वमुनिप्रियं, श्री शीलातनयम महत्म,
श्री जनमज्यमास्मि, श्री शाकम्भरीं जपामि॥
श्री रामाय धर्मात्यायां, श्री कृष्णाय नमोऽस्तु ते,
श्री सीतारामयान्वितायां, श्री वृष्णाय नमोऽस्तु ते॥
श्री शैलपुत्र्यायै, श्री व्रात्यायै, श्री यज्ञदायिनि,
श्री व्रात्यायै व्रात्यायायाः, श्री नेमिनाथाय नमोऽस्तु ते॥
श्री चन्द्राय चन्द्रशिलायाः, श्री राधायाः पदांध्रि,
श्री सोऽयं चंद्रसप्तकयाः, श्री जपामि तव पदाम्बु॥
श्री नारायणी नृपति वेदकाद्यः, श्री नारायणी नृपति शातनंद,
श्री जपामि सतां, श्री लक्ष्मीभद्राय नमोऽस्तु ते॥
श्री लक्ष्मी विष्णुप्रीत्यायै, श्री लक्ष्मी प्राणनाथाय नमोऽस्तु ते,
श्री संप्राप्ताय, श्री जपामि तव पदाम्बु॥
श्री काष्ठाय बोधायां, श्री लक्ष्मी कमलापते,
श्री कमलाक्ष, श्री लक्ष्मीभद्राय नमोऽस्तु ते॥
श्री लक्ष्मी स्तोत्रं भुक्त्वा, संप्राप्तुं न कदाचित्,
श्री रामकृष्ण पादायाः, लक्ष्मीप्राप्तं तु यः॥
श्री लक्ष्मीप्राप्तिं प्राप्नोति, श्री व्रात्याय जपामि,
श्री लक्ष्मीप्राप्तिं प्राप्नोति, श्री देवी नमोऽस्तु ते॥
श्लोक:
ॐ ॐ समस्त सृष्टि के पालनकर्ता देवी लक्ष्मी की स्तुति करते हुए यह स्त्रोत भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कहा गया है। इस स्त्रोत में देवी लक्ष्मी के सम्पूर्ण स्वरूप का वर्णन है। इसे पढ़ने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, और सुख-शांति प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से दीवाली, लक्ष्मी पूजन, और अन्य धार्मिक अवसरों पर पढ़ा जाता है।
लक्ष्मी स्त्रोत के लाभ
- धन और ऐश्वर्य: लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक होता है।
- आर्थिक समृद्धि: यह स्त्रोत आर्थिक समृद्धि और व्यापार में उन्नति प्रदान करता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: स्त्रोत की नियमित पाठ से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- सुख-शांति: जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
- कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति पाने में मदद करता है।
- स्वास्थ्य: शरीर और मन की सेहत में सुधार लाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- समाज में मान-सम्मान: समाज और परिवार में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।
- शांति और संतोष: मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
- संकट मुक्ति: जीवन के संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- सपनों की पूर्ति: सपनों और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- सौभाग्य: सौभाग्य और खुशहाली में वृद्धि होती है।
- संतान सुख: संतान सुख और संतान प्राप्ति में सहायक होता है।
- संपत्ति में वृद्धि: संपत्ति और भौतिक संसाधनों में वृद्धि होती है।
- उत्कृष्टता: कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त होती है।
- संबंध सुधार: पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
- सफलता: शिक्षा, करियर, और अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
- अध्यात्मिक उन्नति: अध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
- सुरक्षा: जीवन में सुरक्षा और सुरक्षा का अनुभव होता है।
लक्ष्मी स्त्रोत विधि
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- मूर्ति या चित्र: देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को सजाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें।
- आसन: एक साफ और स्वच्छ आसन पर बैठें।
- संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करेंगे।
- लक्ष्मी स्त्रोत पाठ: पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें।
- आरती और प्रसाद: पाठ के बाद देवी लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
लक्ष्मी स्त्रोत का दिन, अवधि, और मुहूर्त
- दिन: लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन, दीवाली, शुक्रवार, या अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है।
- अवधि: इसे नियमित रूप से पढ़ना लाभकारी होता है। विशेष दिनों पर इसे 11 या 21 बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
- मुहूर्त: प्रातःकाल या संध्या समय पाठ के लिए शुभ होता है। लक्ष्मी पूजन के दिन विशेष मुहूर्त देखना लाभकारी हो सकता है।
लक्ष्मी स्त्रोत के नियम
- शुद्धता: पाठ करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
- भक्तिभाव: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
- नियमितता: नियमित रूप से लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें।
- आसन: एक ही स्थान पर शांत और स्थिर होकर पाठ करें।
- मंत्र उच्चारण: शब्दों और मंत्रों का सही उच्चारण करें।
लक्ष्मी स्त्रोत पाठ सावधानियाँ
- व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
- स्वच्छता बनाए रखें: पाठ के दौरान स्वच्छ वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
- निंदा से बचें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
- ध्यान केंद्रित रखें: पाठ के दौरान अपने ध्यान को केंद्रित रखें।
- सच्ची श्रद्धा: पाठ को सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।
लक्ष्मी स्त्रोत पाठ के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- लक्ष्मी स्त्रोत किसने लिखा है?
- लक्ष्मी स्त्रोत की रचना और लेखक अज्ञात हैं, यह विशेष रूप से प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कब करना चाहिए?
- यह विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन, दीवाली, और शुक्रवार को पढ़ना लाभकारी होता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- इसे नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। विशेष अवसरों पर 11 या 21 बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
- हाँ, लेकिन प्रातःकाल या संध्या समय सबसे अच्छा माना जाता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
- इससे धन, ऐश्वर्य, सुख-शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
- हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता, स्वच्छ स्थान, और श्रद्धा आवश्यक है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कैसे किया जाता है?
- इसे विधिपूर्वक, ध्यानपूर्वक, और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
- हाँ, इसका पाठ आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से घर में क्या लाभ होते हैं?
- घर में सुख-शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
- नहीं, कोई भी श्रद्धालु लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर सकता है।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से स्वास्थ्य समस्याएं ठीक होती हैं?
- हाँ, यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होता है।
- क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
- हाँ, संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह पाठ लाभकारी होता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
- ध्यान रखें कि पाठ स्वच्छता, श्रद्धा, और निष्ठा के साथ किया जाए।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है?
- हाँ, इसका पाठ समाज में मान-सम्मान प्राप्त करने में सहायक होता है।
- लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते समय क्या कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?
- हाँ, स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनना चाहिए।