घर परिवार को सुखमय जीवन देने वाली श्री शीतला माता चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को शीतला माता की कृपा प्राप्त होती है और उनकी रक्षा में सुरक्षा मिलती है। यह चालीसा भक्ति और निष्काम कर्म की भावना को उत्तेजित करती है और व्यक्ति को दुःख और संकट से मुक्ति प्राप्त होती है। शीतला माता चालीसा के पाठ से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस चालीसा के पाठ से रोग और बीमारियों से रक्षा मिलती है और व्यक्ति का जीवन सुरक्षित रहता है।
शीतला माता को हिंदू धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है। यह देवी रोगों की देवी मानी जाती हैं और विशेष रूप से चेचक (गर्मिया) से बचाव के लिए पूजा जाती हैं। शीतला माता का पूजन और व्रत करने से व्यक्ति को विभिन्न बीमारियों से रक्षा मिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
शीतला माता चालीसा
शीतला माता चालीसा का पाठ विशेष रूप से शीतला माता के व्रत और पूजन के दौरान किया जाता है। इसका नियमित पाठ करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
श्री शीतला माता चालीसा
दोहा:
जय शीतला माता दीन दयाला।
भक्तन को देत सुख बिनवां साला॥
चौपाई:
जय शीतला माता, जय सुख दाता।
जग में सुख संपति को दाता॥
तुम ही हो पालनहार,
सकल दुख दूर होई निवार॥
तुम हो जग में सुख का आधार,
दीन दुखी के हो सहारा॥
सब पर तुम हो ममता धारी,
जग में तुम हो भवानी महारानी॥
कई नामों से तुम जानी जाती,
सर्व रोगों की हो तुंम हरणी॥
शीतला माता तुंम हो प्यारी,
सब जगत की हो रखवारी॥
तुमको जो सुमिरन करता,
सकल दुःख हरि लेता॥
सच्चे दिल से जो ध्यावे,
विपदा से मुक्ति पावे॥
शीतल करत सब जग,
तुम हो सुख की सागर॥
सर्दी गर्मी दूर करावे,
रोग दोष सब हर लावे॥
जो कोई ध्याये सच्चे मन से,
सभी दुख दूर करावे॥
शीतला माता तुम हो प्यारी,
सब जगत की हो रखवारी॥
नित नवमी को जो पूजा करे,
सभी सुख संपति धरे॥
शीतला माता तुम बिन कोई नहीं सहाई,
सच्चे मन से पूजा कराई॥
सारी विघ्न हर लावे,
सुख शांति घर पावे॥
जो कोई भक्त तुम्हारा,
विपदा से वो न हो हारा॥
शीतला माता का पाठ करे,
वो सब दुख से निस्तारे॥
माता तुंम हो जग की माता,
सब जगत की हो रक्षक दाता॥
सच्चे मन से जो तुंम्हें ध्यावे,
सभी दुख दूर करावे॥
शीतला माता की आरती उतारे,
सुख शांति सब जगत पावे॥
शीतला माता की महिमा न्यारी,
सभी सुख संपति धारी॥
जो कोई नित भक्ति करे,
सभी संकट हर ले॥
जय शीतला माता की जयकार,
सभी संकट दूर होइं बारंबार॥
दोहा:
जय शीतला माता दीन दयाला।
भक्तन को देत सुख बिनवां साला॥
शीतला माता पूजा के लाभ
- रोगों से मुक्ति: शीतला माता की पूजा करने से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।
- सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
- संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और संपत्ति में वृद्धि होती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
- दुखों का नाश: जीवन के सभी दुखों का नाश होता है।
- सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है और वे परास्त होते हैं।
- दीर्घायु: दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- धनलाभ: धनलाभ होता है और धन में वृद्धि होती है।
- कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- विवाह में सफलता: विवाह में आ रही बाधाओं का नाश होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- घर में सुख-समृद्धि: घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- मन्नत पूर्ण होती है: मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- प्रभु कृपा: भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- परिवार में कलह का नाश: परिवार में कलह का नाश होता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
शीतला माता पूजा विधि
- तैयारी: पूजा के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें और वहाँ शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सामग्री: पूजा के लिए फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, रोली, चावल, नैवेद्य आदि की व्यवस्था करें।
- आरंभ: सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और फिर शीतला माता की पूजा आरंभ करें।
- मंत्र जप: शीतला माता के मंत्र का जाप करें।
- चालीसा पाठ: शीतला माता चालीसा का पाठ करें।
- आरती: शीतला माता की आरती उतारें।
- प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।
- व्रत: व्रत रखने वाले दिन फलाहार करें और अन्न का सेवन न करें।
शीतला माता पूजा का दिन, मुहूर्त और अवधि
- दिन: शीतला सप्तमी या अष्टमी को शीतला माता की पूजा की जाती है।
- मुहूर्त: पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले का होता है।
- अवधि: पूजा की अवधि लगभग 1-2 घंटे की होती है।
शीतला माता पूजा के नियम
- पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- व्रत का पालन करें और केवल फलाहार करें।
- पूजा के दौरान मन को शुद्ध और शांत रखें।
- श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें।
शीतला माता पूजा के सावधानियां
- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत वातावरण का चयन करें।
- पूजा के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता को मन में न आने दें।
- व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।
- पूजा के बाद प्रसाद को सभी के साथ बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
- किसी भी प्रकार की अशुद्धता से बचें।
शीतला माता पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
- शीतला माता कौन हैं?
शीतला माता रोगों की देवी हैं, जिन्हें विशेष रूप से चेचक (गर्मिया) से बचाव के लिए पूजा जाता है। - शीतला माता की पूजा कब की जाती है?
शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। - शीतला माता की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, रोली, चावल, नैवेद्य आदि की आवश्यकता होती है। - शीतला माता की पूजा का क्या महत्व है?
शीतला माता की पूजा करने से रोगों से मुक्ति, सुख-शांति, और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। - शीतला माता का मंत्र क्या है?
शीतला माता के मंत्र (ॐ ऐं ह्रीं शीतलामाते मम् रक्षय कुरु कुरु नमः) का नियमित जाप करने से विशेष लाभ होते हैं। - शीतला माता की आरती कब करनी चाहिए?
शीतला माता की आरती पूजा के अंत में की जाती है। - क्या शीतला माता की पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
हां, शीतला माता की पूजा के दौरान व्रत रखना शुभ माना जाता है। - शीतला माता चालीसा का क्या महत्व है?
शीतला माता चालीसा का नियमित पाठ करने से माता की कृपा प्राप्त होती है। - शीतला माता की पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
स्वच्छता, शुद्धता, और मन की शांति का विशेष ध्यान रखना चाहिए। - शीतला माता की पूजा के बाद प्रसाद कैसे बांटना चाहिए?
प्रसाद को सभी के साथ बांटें और खुद भी ग्रहण करें। - शीतला माता की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले का समय शुभ माना जाता है।
- शीतला माता की पूजा कितनी अवधि में करनी चाहिए?
लगभग 1-2 घंटे की अवधि में पूजा पूरी की जा सकती है। - शीतला माता की पूजा के क्या लाभ होते हैं?
रोगों से मुक्ति, सुख-शांति, संपत्ति में वृद्धि, और शत्रु नाश जैसे लाभ प्राप्त होते हैं।