12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र: बाधाओं से मुक्ति
“12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र” तांत्रिक परंपराओं में अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली माना गया है। “मंत्र महोदधि“ ग्रंथ के अनुसार, इस मंत्र का जप स्वयं भगवान विष्णु ने किया था। यह मंत्र सभी बाधाओं को नष्ट कर, सुरक्षा और सफलता प्रदान करता है। यह दिव्य मंत्र साधक को शत्रु बाधाओं, तांत्रिक प्रभावों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में समर्थ है।
विनियोग मंत्र और उसका अर्थ
विनियोग मंत्र
“ॐ अस्य श्री उग्रतारा मंत्रस्य, महाकाल ऋषिः, उग्रतारा देवता, जगति छंदः, सर्वसिद्धि साधने विनियोगः। ”
अर्थ
इस मंत्र का ऋषि महाकाल हैं, देवता उग्रतारा हैं और इसका छंद जगति है। यह मंत्र सभी सिद्धियों की प्राप्ति और बाधाओं के निवारण हेतु प्रयोग किया जाता है।
दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र
“ॐ ह्रीं फट्, पूर्वाय नमः। ॐ क्लीं फट्, आग्नेयाय नमः। ॐ श्रीं फट्, दक्षिणाय नमः। ॐ सौः फट्, नैऋत्याय नमः। ॐ हुं फट्, पश्चिमाय नमः। ॐ ऐं फट्, वायव्याय नमः। ॐ क्लीं फट्, उत्तराय नमः। ॐ फट् फट्, ईशानाय नमः। ॐ हुं फट् सर्वतो दिशाय नमः। ”
अर्थ
यह मंत्र दसों दिशाओं की रक्षा करता है। हर दिशा के देवता को नमस्कार करते हुए नकारात्मक ऊर्जा का निवारण करता है।
12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र और उसका अर्थ
मंत्र
“ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः हुं उग्रतारे हूं फट्।”
अर्थ
- ऐं: ज्ञान की शक्ति।
- ह्रीं: आध्यात्मिक उन्नति।
- श्रीं: संपत्ति और सौभाग्य।
- क्लीं: आकर्षण और मोह।
- सौः: ऊर्जा और शक्ति।
- हुं: सुरक्षा।
- फट्: बाधाओं का निवारण।
यह मंत्र साधक को दिव्य ऊर्जा और आत्मरक्षा प्रदान करता है।
जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें
- सात्विक भोजन: ऊर्जा और शुद्धता बनाए रखें।
- फल और सूखे मेवे: मानसिक और शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए।
- पानी और दूध: शरीर की शुद्धि के लिए।
- तुलसी के पत्ते: पवित्रता के लिए।
12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र लाभ
- शत्रु बाधाओं से सुरक्षा।
- तांत्रिक प्रभावों का निवारण।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।
- सरकारी कार्यों में सफलता।
- आर्थिक समस्याओं का समाधान।
- आध्यात्मिक जागरण।
- आत्मविश्वास में वृद्धि।
- रिश्तों में मजबूती।
- नजर दोष से मुक्ति।
- मानसिक शांति।
- घर की सुरक्षा।
- स्वास्थ्य में सुधार।
- कानूनी समस्याओं का समाधान।
- यात्रा में सुरक्षा।
- संपत्ति विवाद का समाधान।
- भय का नाश।
- बाधाओं का अंत।
- सिद्धियों की प्राप्ति।
पूजा सामग्री और मंत्र विधि
- सामग्री: सफेद आसन, दीपक, अगरबत्ती, पीले पुष्प, फल।
- दिन: मंगलवार या शुक्रवार।
- अवधि: प्रातःकाल।
- मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त।
- विधि: शुद्ध आसन पर बैठकर मंत्र का 108 बार जप करें।
मंत्र जप का समय और विधि
- रोज 20 मिनट के लिए जप करें।
- 18 दिनों तक निरंतर जप करें।
- मंत्र जप से पहले दीपक प्रज्वलित करें।
मंत्र जप के नियम
- 20 वर्ष से ऊपर के साधक।
- स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है।
- नीले और काले कपड़े न पहनें।
- सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
- धूम्रपान और मद्यपान न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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जप सावधानियां
- अशुद्ध स्थान पर न बैठें।
- अशुद्ध कपड़े न पहनें।
- गलत उच्चारण से बचें।
- भोजन के तुरंत बाद जप न करें।
- रात्रि में अकेले जप न करें।
12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र – प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: 12 अक्षर का उग्र तारा मंत्र क्या है?
उत्तर: यह मंत्र शक्तिशाली और बाधाओं का निवारण करने वाला है।
प्रश्न 2: कौन-कौन जप कर सकता है?
उत्तर: 20 वर्ष से ऊपर का कोई भी व्यक्ति।
प्रश्न 3: कौन-से दिन जप करें?
उत्तर: मंगलवार या शुक्रवार।
प्रश्न 4: कौन-से कपड़े पहनें?
उत्तर: सफेद या पीले।
प्रश्न 5: मंत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर: यह मंत्र ज्ञान, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है।
प्रश्न 6: कितनी बार जप करें?
उत्तर: 20 से 25 मिनट 18 दिन तक
प्रश्न 7: क्या सावधानियां रखें?
उत्तर: सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
प्रश्न 8: मंत्र के लाभ क्या हैं?
उत्तर: शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा।
प्रश्न 9: किस मुहूर्त में जप करें?
उत्तर: सुबह सुर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद
प्रश्न 10: किन चीजों का सेवन ज्यादा करें?
उत्तर: फल, दूध और तुलसी।
प्रश्न 11: क्या महिलाएं जप कर सकती हैं?
उत्तर: हां।
प्रश्न 12: मंत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: आत्मरक्षा और बाधाओं का निवारण।