Pitra & shrapit dosh nivaran pujan shivir

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे अमवस्या मे पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजन का आयोजन होने जा रहा है. जिनकी कुंडली मे अश्लेशा, मघा, रेवती, ज्येष्ठा, मूल व अश्विनी नक्षत्र हो, उनको पित्र दोष या मूल दोष माना जाता है.

पित्र दोष होने से विवाहित जीवन मे कलह, शादी व्याह संतान वंश की समस्या, नजर तंत्र बाधा की समस्या व आर्थिक समस्या आने की संभावना अत्यधिक मानी जाती है. ये दोष शत्रुओ की संख्या को बढा देता है. पित्रो यानी पुर्वजो के श्राप की वजह से वंश बढना मुश्किल हो जाता है.

इसलिये इस पूजन मे भाग लेना अनिवार्य माना जाता है. अगर आप शिविर मे भाग लेना चाहते है तो प्रत्यक्ष आकर भाग ले सकते है या ऑनलाईन भी भाग ले सकते है. नीचे डिस्क्रिप्शन मे लिंक दिया गया है, वहा से आप बुकिंग करवा सकते है.

PITRA DOSHA PUJAN – BOOKING

पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजा से लाभ

पितृ दोष और मूल दोष की पूजा या उपासना करने से व्यक्ति को कई लाभ हो सकते हैं। ये लाभ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर होते हैं।

  1. कर्मफल सुधार: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से कर्मफल में सुधार हो सकता है। ये दोष कर्मक्षय और कर्मफल को प्रभावित करने वाले किसी भी अवस्था को सुधार सकते हैं।
  2. परिवार में सुख शांति: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से परिवार में सुख और शांति बनी रह सकती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच सम्मान और प्रेम बढ़ सकता है।
  3. आर्थिक स्थिति में सुधार: ये पूजा आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती है और धन लाभ को प्रोत्साहित कर सकती है।
  4. आत्मिक विकास: इस पूजा से आपका आत्मविकास हो सकता है और आपकी आत्मा की शुद्धि हो सकती है।
  5. पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलना: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से आपके पूर्वजों को भी आत्मिक शांति मिल सकती है।

ये लाभ पूजा को विधिवत और भक्ति भाव से करने पर होते हैं

पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजा- FAQs

  1. पित्र दोष क्या है?
    • पित्र दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट होती है या उनके संस्कारों में कोई कमी रह जाती है।
  2. श्रापित दोष क्या है?
    • श्रापित दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति को किसी विशेष श्राप के प्रभाव से पीड़ित होना पड़ता है।
  3. पित्र दोष के लक्षण क्या हैं?
    • विवाह में बाधा, संतान सुख में कमी, आर्थिक समस्याएँ, और पारिवारिक कलह।
  4. श्रापित दोष के लक्षण क्या हैं?
    • निरंतर असफलता, स्वास्थ्य समस्याएँ, और जीवन में अस्थिरता।
  5. पित्र दोष निवारण के लिए कौन सी पूजा करनी चाहिए?
    • पित्र दोष निवारण के लिए पित्र दोष निवारण पूजा करनी चाहिए।
  6. श्रापित दोष निवारण के लिए कौन सी पूजा करनी चाहिए?
    • श्रापित दोष निवारण के लिए श्रापित दोष निवारण पूजा करनी चाहिए।
  7. पूजा की सामग्री क्या है?
    • पंचामृत, गंगाजल, काले तिल, कुशा, तुलसी पत्र, फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, शुद्ध घी, कपूर, हवन सामग्री, पवित्र धागा, नारियल, फल, और वस्त्र।
  8. पूजा की विधि क्या है?
    • स्नान और शुद्धि, स्थान चयन, मंडल तैयार करना, देवताओं का आह्वान, संकल्प, पित्र तर्पण, श्रापित दोष निवारण मंत्र जाप, हवन, ब्राह्मण भोज, और प्रसाद वितरण।
  9. पूजा के लिए किस दिन का चयन करना चाहिए?
    • अमावस्या, पूर्णिमा, और श्राद्ध पक्ष के दिन पूजा करना शुभ माना जाता है।
  10. पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • प्रातः काल या संध्या समय पूजा करना उत्तम माना जाता है।
  11. क्या यह पूजा घर में कर सकते हैं?
    • हाँ, इस पूजा को घर में भी किया जा सकता है, लेकिन स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  12. पूजा में किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?
    • पित्र तर्पण मंत्र और श्रापित दोष निवारण मंत्र का जाप करना चाहिए।
  13. ब्राह्मण भोज का महत्व क्या है?
    • ब्राह्मण भोज से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है और श्रापित दोष का निवारण होता है।
  14. क्या पूजा के दौरान व्रत रखना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना लाभकारी होता है।
  15. क्या पूजा के बाद विशेष दान करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद दान करना शुभ माना जाता है।
  16. पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
    • पूजा के बाद प्रसाद वितरण और ब्राह्मण भोज करना चाहिए।
  17. क्या पूजा से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है?
    • हाँ, यदि सही विधि और शुद्धता से पूजा की जाए तो सभी समस्याओं का समाधान संभव है।
  18. क्या पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए?
    • हाँ, परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण लाभ मिल सके।
  19. क्या पूजा के लिए किसी विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  20. क्या पूजा के दौरान विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान शुद्ध और सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।

इस प्रकार, पित्र और श्रापित दोष निवारण पूजा के द्वारा जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं का निवारण किया जा सकता है और परिवार में सुख-शांति स्थापित की जा सकती है।

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