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16 Friday Matangi Vrat – Achieve Career & Success

अगर नौकरी में नहीं मिल रही सफलता, तो शुक्रवार को करें यह देवी उपासना

नौकरी में सफलता न मिलना एक आम समस्या है। माता मातंगी की उपासना करने से यह बाधा दूर हो सकती है। शुक्रवार का दिन माता मातंगी की पूजा के लिए सर्वोत्तम होता है।


माता मातंगी की संपूर्ण कथा

एक समय की बात है, देवताओं और असुरों के बीच घोर युद्ध चल रहा था। असुरों की शक्ति बढ़ती जा रही थी, और देवता पराजित हो रहे थे। सभी देवता भगवान शिव के पास गए और सहायता की प्रार्थना की। भगवान शिव ने माता पार्वती को आदेश दिया कि वे एक अद्भुत शक्ति का प्रकट करें, जो असुरों का नाश कर सके।

माता पार्वती ने अपनी काया से एक दिव्य शक्ति प्रकट की, जो माता मातंगी के रूप में प्रकट हुईं। वे नीलवर्णा थीं, उनके हाथों में वीणा थी, और उनके स्वर में अपार शक्ति थी। माता मातंगी ने अपने संगीत और तंत्र शक्ति से असुरों को मोहित कर दिया और उन्हें परास्त कर दिया।

इसके बाद माता मातंगी को वाणी, कला, संगीत और तंत्र की अधिष्ठात्री देवी माना जाने लगा। उनकी साधना करने से व्यक्ति की वाणी प्रभावशाली होती है, बुद्धि प्रखर होती है, और करियर में सफलता प्राप्त होती है।


माता मातंगी का परिचय

माता मातंगी दस महाविद्याओं में से एक हैं। ये वाणी, बुद्धि और सफलता प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी कृपा से करियर में उन्नति होती है।

विशेष व्रत और पूजा विधि

16 शुक्रवार का व्रत नौकरी में सफलता, मनोकामना पूर्ति और जीवन में स्थिरता लाने के लिए किया जाता है।

16 शुक्रवार व्रत की विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माता मातंगी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
  • “ॐ ऐं ह्रीं मातंगेश्वरी मम् कार्य कुरु कुरु नमः” मंत्र का जाप करें।
  • पीले वस्त्र एवं सुगंधित फूल अर्पित करें।
  • प्रसाद में केले और मिश्री चढ़ाएं।
  • व्रत कथा पढ़ें और संकल्प लें।
  • दिनभर सात्त्विक आहार लें और संध्या को आरती करें।

उपासना के लाभ

  1. नौकरी में उन्नति होती है।
  2. मनचाही जॉब मिलने के योग बनते हैं।
  3. इंटरव्यू में सफलता मिलती है।
  4. कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान बढ़ता है।
  5. बुद्धि और वाणी में तेजस्विता आती है।
  6. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  7. कार्यक्षेत्र में शत्रु परास्त होते हैं।
  8. प्रमोशन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  9. आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  10. बॉस और सहकर्मियों से संबंध मधुर बनते हैं।
  11. कड़ी मेहनत का उचित परिणाम मिलता है।
  12. नौकरी में स्थिरता बनी रहती है।
  13. अनजाने भय से मुक्ति मिलती है।
  14. नई नौकरी प्राप्ति के योग बनते हैं।
  15. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।

माता मातंगी उपासना के नियम

  1. उपासना के समय पूर्ण शुद्धता रखें।
  2. केवल सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।
  3. मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  4. किसी से कटु शब्द न कहें।
  5. शुक्रवार को पीले वस्त्र धारण करें।
  6. मंत्र जाप श्रद्धा और एकाग्रता से करें।
  7. माता मातंगी को सफेद और पीले फूल अर्पित करें।
  8. पूजा में तामसिक पदार्थों का प्रयोग न करें।

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माता मातंगी उपासना के शुभ मुहूर्त

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

  • शुक्र प्रदोष व्रत तिथि पर।
  • पूर्णिमा या अमावस्या तिथि पर।
  • नवरात्रि में सप्तमी और अष्टमी तिथि पर।
  • गुरु-पुष्य या रवि-पुष्य योग में।
  • सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय।

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माता मातंगी व्रत और पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. घर के उत्तर-पूर्व कोण में पूजा करें।
  3. देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. “ॐ ऐं ह्रीं मातंगेश्वरी मम् कार्य कुरु कुरु नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  6. माता को मालपुआ और मिश्री का भोग लगाएं।
  7. पूजा के बाद मंत्र जाप करें और प्रार्थना करें।
  8. अंत में आरती करें और परिवार में प्रसाद बांटें।

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माता मातंगी उपासना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. माता मातंगी की उपासना कौन कर सकता है

कोई भी श्रद्धालु माता मातंगी की उपासना कर सकता है।

2. क्या महिलाएं इस उपासना को कर सकती हैं

हाँ, महिलाएं भी पूरी श्रद्धा से यह उपासना कर सकती हैं।

3. व्रत में क्या खा सकते हैं

सात्त्विक भोजन जैसे फल, दूध, और हल्का आहार ले सकते हैं।

4. क्या इस व्रत में निर्जला रहना आवश्यक है

नहीं, यह निर्जला व्रत नहीं है, हल्का भोजन लिया जा सकता है।

5. मंत्र जाप का सही तरीका क्या है

मंत्र जाप एकाग्रचित होकर, माला के साथ करना चाहिए।

6. क्या यह व्रत नौकरी पाने में सहायता करता है

हाँ, माता मातंगी की कृपा से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।

7. इस व्रत के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए

क्रोध, कटु वचन और नकारात्मकता से बचना चाहिए।

8. कितने शुक्रवार तक यह व्रत करना चाहिए

16 शुक्रवार तक यह व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है।

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