शत्रु बाधा दूर करने के लिए लोहे और सरसों का अचूक तांत्रिक प्रयोग
Navarna Prayog भारतीय तंत्रशास्त्र में लोहे और सरसों को विशेष रूप से शत्रु बाधा, नजर दोष और तांत्रिक आक्रमण से रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। लोहा नकारात्मक ऊर्जा को काटने वाला तत्व है जबकि सरसों, विशेषतः पीली सरसों, शुद्धिकरण और रक्षा के लिए उपयोगी मानी जाती है। यह प्रयोग विशेष रूप से शनिवार या अमावस्या की रात को करने से अत्यधिक प्रभावी होता है। इस प्रयोग से शत्रुओं की योजना निष्फल होती है, डर और अज्ञात भय समाप्त होते हैं, और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
प्रयोग विधि
सामग्री:
- एक पुराना लोहे का टुकड़ा (लोहे की कील/छोटा औजार)
- एक मुट्ठी पीली सरसों
- काला कपड़ा
- हनुमान या भैरव मंदिर की पवित्र भस्म (यदि उपलब्ध हो)
- एक दीपक और तिल का तेल
मंत्र:ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||
सर्वोत्तम समय:
- शनिवार की रात
- या अमावस्या/कालाष्टमी की रात
- समय: रात्रि 9 बजे के बाद या मध्यरात्रि में
विधि
- एकांत व शांत स्थान पर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- लोहे का टुकड़ा और पीली सरसों को सामने रखें।
- काले कपड़े पर यह सामग्री रखें और ऊपर से थोड़ी भस्म छिड़कें।
- दीपक जलाकर उपरोक्त मंत्र का 108 बार जप करें।
- पूजा के बाद वह काला कपड़ा बांधकर किसी सुनसान चौराहे या पीपल वृक्ष की जड़ में छोड़ आएं। पीछे मुड़कर न देखें।
प्रमुख लाभ
- शत्रुओं से तुरंत राहत मिलती है।
- तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा होती है।
- घर में झगड़े, विवाद और कानूनी समस्याएँ शांत होती हैं।
- नजर दोष का निवारण होता है।
- नींद में डरावने सपने आना बंद होता है।
- व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त होती है।
- कोर्ट-कचहरी में निर्णय अनुकूल आता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- मानसिक तनाव कम होता है।
- आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है।
- तांत्रिक बंधन टूटते हैं।
- भय और भ्रम की स्थिति समाप्त होती है।
- घर में शांति और समृद्धि आती है।
- दुश्मनों के कुत्सित प्रयास निष्फल होते हैं।
- साधक का आत्मिक बल जागृत होता है।
सामान्य प्रश्न
प्र.1: क्या यह प्रयोग कोई भी कर सकता है?
उ: हाँ, लेकिन शुद्धता और नियमों का पालन आवश्यक है।
प्र.2: क्या इसे बार-बार करना चाहिए?
उ: शत्रु बाधा ज्यादा हो तो महीने में 1 बार करें।
प्र.3: क्या महिलाएं यह प्रयोग कर सकती हैं?
उ: हाँ, लेकिन मासिक धर्म के समय न करें।
प्र.4: क्या कोई विशेष दिशा में इसे छोड़ना चाहिए?
उ: दक्षिण दिशा या चौराहा सर्वोत्तम है।
प्र.5: अगर पीपल ना मिले तो क्या करें?
उ: किसी सुनसान स्थान या चौराहे पर रखें।
प्र.6: क्या दीपक बुझने पर प्रयोग विफल होता है?
उ: नहीं, मंत्र जाप मुख्य है।
प्र.7: क्या इसे घर के अंदर भी कर सकते हैं?
उ: मंत्र जाप घर में कर सकते हैं, पर सामग्री बाहर ही विसर्जित करें।