अष्टलक्ष्मी दीप दान टोटका – घर बुलाइए अष्टलक्ष्मी को
Lakshmi Deep Daan अष्टलक्ष्मी – धन, ऐश्वर्य, संतुलन, विद्या, विजय, संतान, धैर्य और आभूषण की अधिष्ठात्री आठ शक्तियाँ। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हर प्रकार की लक्ष्मी का आगमन हो, तो अष्टलक्ष्मी दीप दान टोटका अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। यह सरल किंतु चमत्कारी प्रयोग शुक्रवार रात्रि को किया जाता है। जब आप घर के 8 कोनों में 8 दीपक जलाकर “ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करते हैं, तब घर के हर दिशा से देवी लक्ष्मी की अलग-अलग शक्तियाँ प्रवेश करती हैं।
यह प्रयोग DivyaYogAshram में सिद्ध और आजमाया गया है। अनेक साधकों को इससे असाधारण अनुभव प्राप्त हुए हैं – जैसे अचानक धन प्राप्ति, नौकरी में तरक्की, घर में सुख-शांति और बाधाओं का निवारण। यह दीपदान घर में एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र बनाता है जो हर शुक्रवार आपकी किस्मत को पुनः लिख सकता है।
चमत्कारी लाभ (Benefits)
- घर में आठों प्रकार की लक्ष्मी का प्रवेश होता है।
- दरिद्रता और आर्थिक तंगी समाप्त होती है।
- पारिवारिक कलह और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
- स्त्रियों को वैवाहिक सुख और संतुलन प्राप्त होता है।
- विद्यार्थियों के लिए विद्या लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- कोर्ट केस व शत्रुओं पर विजय मिलती है।
- घर की स्त्रियाँ सौभाग्यवती एवं संपन्न बनती हैं।
- अचानक धन, उपहार या शुभ समाचार मिलते हैं।
- पुराने कर्जे, अटके पैसे वापस मिलते हैं।
- नौकरी में स्थिरता और पदोन्नति के योग बनते हैं।
- ग्रह दोष, वास्तु दोष व नज़र दोष नष्ट होते हैं।
- घर में देवी की उपस्थिति और चमत्कारी संकेत मिलते हैं।
- मन में स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- संतान संबंधी बाधाएँ और रुकावटें दूर होती हैं।
नियम (Rules & Niyam)
- यह प्रयोग हर शुक्रवार रात को करें।
- घर की सफाई और पवित्रता अनिवार्य है।
- दीपक में तिल या गाय के घी का उपयोग करें।
- प्रत्येक दीपक में एक-एक लाल फूल या चावल डालें।
- दीपक हमेशा 8 कोनों में रखें (चार दिशाएं + चार कोने)।
- दीपक जमीन पर न रखें – पीतल/चांदी की थाली में रखें।
- मंत्र जप करते समय संकल्प लें – “अष्टलक्ष्मी कृपा के लिए”।
शुभ मुहूर्त (Muhurat)
- वार: शुक्रवार (शुक्र का दिन – देवी लक्ष्मी का दिन)
- समय: रात्रि 8:00 PM से 10:00 PM के बीच
- विशेष तिथियाँ: दीपावली, पूर्णिमा, शुक्रवार, गुरु पुष्य योग, अक्षय तृतीया
विधि (Step-by-Step Vidhi)
- शुक्रवार को दिन में स्नान कर घर की सफाई करें।
- संध्या होते ही एकांत स्थान पर शांत मन से तैयार हों।
- 8 दीपक लें – तिल/गाय के घी से भरें।
- हर दीपक में लाल चावल/चंपा फूल डालें।
- अब घर के 8 कोनों में – उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम + चार कोनों में दीपक रखें।
- हर दीपक के सामने हाथ जोड़कर मंत्र बोलें: “ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै नमः” (कम से कम 8 बार प्रत्येक दीपक के सामने बोलें।)
- 8 बार मंत्र का उच्चारण करते हुए, लक्ष्मीजी से निवेदन करें कि – “हे अष्टलक्ष्मी! मेरे घर में स्थायी रूप से निवास करें।”
- कुछ मिनट ध्यान करें कि घर के हर कोने में देवी की ऊर्जा सक्रिय हो रही है।
- दीपक को स्वयं बुझने दें – उन्हें तुरंत न हटाएं।
- अगले दिन जल, अक्षत व पुष्प चढ़ाकर दीपक स्थान पर कृतज्ञता प्रकट करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या दीपक तेल का हो सकता है?
हां, परंतु गाय का घी या तिल का तेल अधिक शुभ माना गया है।
Q2. अगर घर में 8 कोने नहीं हों तो क्या करें?
दीपक को 8 दिशाओं के प्रतीक रूप में अलग-अलग स्थानों पर रखें – जैसे खिड़की, मंदिर, तिजोरी, प्रवेश द्वार आदि।
Q3. क्या एक दीपक में कई बत्तियाँ जल सकती हैं?
हाँ, लेकिन 8 अलग-अलग दीपक का प्रयोग अधिक प्रभावकारी माना गया है।
Q4. क्या महिलाएं यह टोटका कर सकती हैं?
बिलकुल, यह सभी के लिए है – पर रजस्वला अवस्था में न करें।
Q5. क्या बिना मंत्र के दीपक रखने से भी लाभ होगा?
मंत्र के साथ प्रयोग करने पर ही पूर्ण तांत्रिक ऊर्जा सक्रिय होती है।
Q6. कितने शुक्रवार तक यह करना चाहिए?
कम से कम 8 शुक्रवार करें – और निरंतर करते रहें तो स्थायी फल मिलेगा।
Q7. क्या किसी और दिन भी किया जा सकता है?
अत्यंत आवश्यक स्थिति में किया जा सकता है, पर शुक्रवार सर्वोत्तम है।
अष्टलक्ष्मी दीपदान न केवल धन और वैभव को आमंत्रित करता है, बल्कि घर की उर्जा को भी दिव्य स्तर तक ऊँचा उठाता है। यह एक पारंपरिक लेकिन अत्यंत प्रभावशाली प्रयोग है जिसे DivyaYogAshram में वर्षों से प्रयोग किया जाता है।