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Ashadh Gupt Navratri Rituals for Tantric Spiritual Success

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का रहस्य – तांत्रिकों की प्रिय रातें

आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि, तंत्र, साधना और सिद्धि का अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली काल है। यह पर्व विशेष रूप से उन साधकों और तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो देवी शक्ति की दुर्लभ कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। जहां सामान्य नवरात्रि में सार्वजनिक पूजन होता है, वहीं गुप्त नवरात्रि एकांत, मौन और रहस्यपूर्ण साधनाओं का समय होती है। इन नौ रात्रियों में साधक दुर्गा, काली, बगलामुखी, तारा, धूमावती जैसी दशमहाविद्याओं की साधना करते हैं और चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
DivyaYogaAshram के अनुसार, इस समय में की गई साधनाएं शीघ्र फल देने वाली होती हैं। यह आत्मोन्नति, शत्रु नाश, धन प्राप्ति, रोग निवारण और सिद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त काल है। इस अवधि में तांत्रिक प्रयोगों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है, जिससे जीवन में असंभव भी संभव बन सकता है।


गुप्त नवरात्रि के विशेष लाभ

  1. दुर्गा एवं दशमहाविद्याओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  2. तंत्र-साधना शीघ्र फलदायी बनती है।
  3. शत्रु, बाधा, कोर्ट केस आदि में विजय मिलती है।
  4. व्यापार और धन संबंधी कार्यों में तेजी से सफलता मिलती है।
  5. आध्यात्मिक शक्ति और अंतःचेतना जागृत होती है।
  6. दुर्भाग्य व दरिद्रता का नाश होता है।
  7. ग्रहदोषों और काली शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  8. कुंडलिनी जागरण के लिए उपयुक्त समय।
  9. संकल्प सिद्धि और इच्छापूर्ति का काल।
  10. मन, वाणी और काया पर नियंत्रण की शक्ति प्राप्त होती है।
  11. साधना में आने वाले विघ्न समाप्त होते हैं।
  12. रोग, भय और मानसिक विकारों का निवारण होता है।
  13. आकर्षण, वशीकरण और सम्मोहन शक्ति जागृत होती है।
  14. जीवन में स्थायित्व और आत्मबल बढ़ता है।
  15. देवी साक्षात्कार और प्रत्यक्ष अनुभव की संभावना।

नियम (Niyam):

  • नौ दिन तक ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
  • रात्रि में साधना करें – विशेषकर निशीथ या मध्यरात्रि काल में।
  • मां की मूर्ति या यंत्र के समक्ष साधना करें।
  • काले या लाल वस्त्र धारण करें।
  • भोजन सात्विक और एक समय ग्रहण करें।
  • साधना स्थान शांत और एकांत होना चाहिए।
  • हर दिन एक महाविद्या को समर्पित करें।

शुभ मुहूर्त (Muhurth):

  • आरंभ तिथि: आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
  • समाप्ति तिथि: आषाढ़ नवमी
  • सर्वोत्तम साधना काल: रात्रि 11:00 PM से 3:00 AM
  • विशेष योग: अमावस्या पूर्व संध्या, गुरुपुष्य योग, रवियोग

मंत्र विधि (Mantra Vidhi):

  1. रात्रि में स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. देवी के चित्र या यंत्र की स्थापना करें।
  3. दीपक, धूप, पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें।
  4. अपनी इच्छित देवी महाविद्या का चयन करें।
  5. नीचे दिया गया मंत्र कम से कम 108 बार जपें:
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
  6. साधना के पश्चात मंत्र को जल, काजल या चंदन से सिद्ध कर लें।
  7. नौ दिन बाद हवन करें और पूर्णाहुति देकर साधना पूर्ण करें।

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सामान्य प्रश्न:

Q1. क्या सामान्य व्यक्ति गुप्त नवरात्रि में साधना कर सकता है?
हाँ, श्रद्धा और नियमपूर्वक साधना करने पर सभी लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

Q2. क्या इसे घर में किया जा सकता है?
हाँ, शांत और एकांत स्थान में करना उचित होता है।

Q3. क्या हर दिन एक ही मंत्र का जप करें?
यदि किसी एक देवी की साधना कर रहे हों, तो हाँ।

Q4. क्या व्रत अनिवार्य है?
व्रत से साधना की शक्ति बढ़ती है, अतः इसे रखना लाभकारी है।

Q5. अगर कोई दिन छूट जाए तो क्या करें?
छूटे हुए दिन की पूर्ति अगले दिन दोहराकर करें।

Q6. क्या तांत्रिक अनुष्ठान भी कर सकते हैं?
हाँ, यह समय तांत्रिक प्रयोगों के लिए विशेष फलदायी होता है।

Q7. क्या दिव्य अनुभव संभव हैं?
जी हाँ, DivyaYogaAshram के अनुभवों में कई साधकों को देवी दर्शन और कृपा प्राप्त हुई है।


अधिक जानकारी, विशेष साधना सामग्री और मार्गदर्शन हेतु संपर्क करें:
🌐 Website: www.divyayogastore.com
📞 Call/WhatsApp: 7710812329, 8652439844

BOOK (28-29 JUNE 2025) 64 YOG SHIVIR AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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