गुरु पूर्णिमा – आध्यात्मिक जागरण और आशीर्वाद का पर्व
Guru Purnima Secrets गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है, जो आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन ज्ञान, आध्यात्मिकता और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का सर्वोत्तम अवसर होता है। गुरु का स्थान शास्त्रों में ईश्वर से भी ऊपर माना गया है – क्योंकि वही हमें ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाते हैं। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन कर मानवता को ज्ञान का प्रकाश प्रदान किया। अतः इसे ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।
DivyayogAshram के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का दिन किसी भी आध्यात्मिक मार्ग पर दीक्षा लेने के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। इस दिन दीक्षा ग्रहण करने से साधक को शीघ्र फल की प्राप्ति होती है, और उसका साधना जीवन सुरक्षित, संरक्षित और ऊर्जा से भर जाता है। गुरु से आशीर्वाद लेना और उन्हें श्रद्धापूर्वक गुरु दक्षिणा अर्पित करना साधक के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन लाता है।
गुरु पूर्णिमा पर दीक्षा लेने के लाभ
- आध्यात्मिक यात्रा की शक्तिशाली शुरुआत
- चित्त की शुद्धि और ऊर्जा का जागरण
- कर्मों के शोधन की प्रक्रिया प्रारंभ
- आत्मा की दिशा में प्रगति
- गुरु कृपा से संकटों से रक्षा
- रोग, भय और मानसिक उलझनों में राहत
- साधना में सफलता
- चमत्कारी अनुभवों की प्राप्ति
- चित्त में स्थिरता और एकाग्रता
- पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति
- मंत्र शक्ति का जागरण
- गुप्त विद्याओं का मार्गदर्शन
- आर्थिक समस्याओं का समाधान
- संबंधों में सुधार और सामंजस्य
- जीवन में उद्देश्य और दिशा की प्राप्ति
- अध्यात्मिक ऊर्जा का संचरण
- आभामंडल की शुद्धि और विस्तार
- जन्मों के बंधनों से मुक्ति का मार्ग
- दिव्य अनुभूति और दृष्टि
- मृत्यु भय का अंत और मोक्ष की ओर बढ़ना
गुरु दक्षिणा क्यों आवश्यक है?
Guru Purnima Secrets – दक्षिणा केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और कृतज्ञता का प्रतीक होती है। जब शिष्य गुरु से ज्ञान या दीक्षा प्राप्त करता है, तो गुरु दक्षिणा देकर वह उस अनंत कृपा का आभार व्यक्त करता है। DivyayogAshram के अनुसार, गुरु दक्षिणा देने से शिष्य का पुण्य चक्र पूर्ण होता है और साधना में रुकावटें समाप्त होती हैं।
नियम
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपने गुरु या उनके चित्र के सामने दीप जलाएं।
- मन, वचन और शरीर से पूर्ण शुद्धता रखें।
- दीक्षा लेने से पहले संकल्प लें और गुरु का स्मरण करें।
- गुरु को श्रद्धापूर्वक गुरु दक्षिणा अर्पित करें।
- दिव्य साधना सामग्री प्राप्त कर सच्चे भाव से साधना शुरू करें।
गुरु पूर्णिमा कब है?
10 जुलाई 2025, गुरुवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से खिला रहेगा और दिव्य ऊर्जा से वातावरण भरा रहेगा। यह दिन साधना और दीक्षा के लिए अत्यंत शुभ है।
Guru Purnima Secrets – सामान्य प्रश्न
- गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है?
– यह गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का पर्व है। - क्या इस दिन दीक्षा लेना लाभकारी है?
– हां, यह दिन दीक्षा के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक होता है। - मैं ऑनलाइन दीक्षा ले सकता/सकती हूँ?
– हां, DivyayogAshram ऑनलाइन दीक्षा की व्यवस्था भी करता है। - गुरु दक्षिणा में क्या देना चाहिए?
– अपनी श्रद्धा अनुसार कोई भी वस्तु या दान, जैसे वस्त्र, दक्षिणा राशि, साधना सामग्री आदि। - क्या गुरु पूर्णिमा पर व्रत रखना चाहिए?
– हां, अगर स्वास्थ्य अनुमति दे तो व्रत या सात्विक भोजन करना उत्तम है। - गुरु नहीं हो तो क्या करें?
– आप किसी सिद्ध गुरु के चित्र के समक्ष मन से श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं और दीक्षा का संकल्प ले सकते हैं। - क्या इस दिन विशेष मंत्रों का जप करना चाहिए?
– हां, गुरु मंत्र, गायत्री मंत्र, या गुरु स्तोत्र का जप अत्यंत लाभकारी होता है। - क्या गुरु पूर्णिमा पर साधना शुरू कर सकते हैं?
– हां, यह दिन नई साधना शुरू करने के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है। - गुरु पूजा का समय क्या है?
– प्रातः 4:30 से 9:00 बजे तक और संध्या समय 4:00 से 7:00 बजे तक शुभ है। - DivyayogAshram से दीक्षा कैसे प्राप्त करें?
– उनकी वेबसाइट या आधिकारिक संपर्क नंबर पर पंजीकरण कर सकते हैं।
यदि आप भी अपने जीवन को एक नई दिशा देना चाहते हैं, तो इस गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई 2025) को DivyayogAshram से दीक्षा लेकर अपने जीवन को दिव्यता से जोड़ें। Call: 7710812329 Whatsapp