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Unlocking Cosmic Energy with Navagraha Mantra Chanting

ग्रह दोष मुक्ति और सफलता का रहस्य – नवग्रह साधना

Navagraha Mantra Chanting भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) को जीवन की दिशा और गति तय करने वाला माना गया है। यह नौ ग्रह हमारी किस्मत, सेहत, विचार और कर्मों को गहराई से प्रभावित करते हैं। जब इनका संतुलन बिगड़ता है तो जीवन में बाधाएँ, रोग, दुर्भाग्य और आर्थिक संकट बढ़ जाते हैं। लेकिन जब हम नवग्रह मंत्र जप को नियमित रूप से करते हैं, तो इन ग्रहों की ऊर्जा शुभ दिशा में प्रवाहित होने लगती है।

DivyayogAshram में सदियों से चली आ रही वैदिक परंपरा के अनुसार, मंत्र जप सिर्फ शब्दों का उच्चारण नहीं बल्कि एक कंपनात्मक ऊर्जा (Vibrational Energy) है। यह ऊर्जा हमारे शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांडीय शक्ति से जोड़ती है।


नवग्रह और उनका महत्व

  1. सूर्य – आत्मविश्वास, सेहत और नेतृत्व क्षमता का कारक।

  2. चंद्र – मन, भावनाएँ और शांति का प्रतीक।

  3. मंगल – साहस, ऊर्जा और शक्ति का दाता।

  4. बुध – बुद्धि, वाणी और व्यापार का ग्रह।

  5. गुरु (बृहस्पति) – ज्ञान, धर्म और धन-संपत्ति का कारक।

  6. शुक्र – प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुख का प्रतीक।

  7. शनि – कर्मफल, धैर्य और संघर्ष से उन्नति का ग्रह।

  8. राहु – माया, भ्रम और रहस्यमयी शक्तियों का स्वामी।

  9. केतु – अध्यात्म, मोक्ष और अद्भुत शक्ति का दाता।

हर ग्रह का अपना मंत्र है, जिसे श्रद्धा और नियमपूर्वक जपने से उसका संतुलन साधा जा सकता है।


नवग्रह मंत्र जप क्यों आवश्यक है?

  • जीवन में आ रही रुकावटें और असफलताएँ ग्रहदोष से जुड़ी होती हैं।

  • कई बार मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिलती, यह ग्रहों की अशुभ स्थिति का परिणाम होता है।

  • नवग्रह मंत्र जप से व्यक्ति के कर्म और भाग्य दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है।

  • यह साधना ऊर्जा अवरोध को हटाकर शरीर और मन को दिव्य शक्ति से भर देती है।

  • DivyayogAshram के साधक मानते हैं कि नवग्रह साधना से जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मिक उन्नति मिलती है।


मंत्र जप के लाभ

  1. आर्थिक स्थिरता और धन-समृद्धि।

  2. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में राहत।

  3. पारिवारिक कलह और तनाव का अंत।

  4. मानसिक शांति और ध्यान की गहराई।

  5. करियर और व्यवसाय में सफलता।

  6. विवाह और संबंधों में सामंजस्य।

  7. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।

  8. शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव का शमन।

  9. आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति।


नवग्रह मंत्र जप की विधि 

  1. स्थान – स्वच्छ और शांत वातावरण में पूजा स्थल बनाएं।

  2. संकल्प – नवग्रह पूजा के लिए संकल्प लें।

  3. दीप प्रज्वलन – घी या तेल का दीपक जलाएँ।

  4. आसन – कुशा, ऊन या आसन पर बैठें।

  5. मंत्र जप – हर ग्रह का मंत्र कम से कम 108 बार (एक माला) जपें।

  6. अर्पण – ग्रहों के अनुसार फूल, धूप, जल और नैवेद्य अर्पित करें।

  7. समापन – अंत में नवग्रह स्तुति या शांति पाठ करें।


नवग्रह मंत्र (संक्षेप में)

  • सूर्य मंत्र – ॐ घृणि: सूर्याय नमः।

  • चंद्र मंत्र – ॐ सोमाय नमः।

  • मंगल मंत्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।

  • बुध मंत्र – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।

  • गुरु मंत्र – ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।

  • शुक्र मंत्र – ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।

  • शनि मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

  • राहु मंत्र – ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

  • केतु मंत्र – ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।


दिव्ययोग आश्रम में नवग्रह साधना

DivyayogAshram नियमित रूप से नवग्रह साधना और पूजन का आयोजन करता है। यहाँ प्रशिक्षित आचार्य और साधक विशेष नियमों के साथ मंत्र जप करते हैं।

  • व्यक्तिगत कुंडली के अनुसार नवग्रह पूजन।

  • विशेष मुहूर्त और तिथि पर साधना।

  • हर ग्रह की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए विशिष्ट यज्ञ और हवन

इस साधना का अनुभव करने वाले भक्तों का कहना है कि उनकी आर्थिक परेशानियाँ कम हुईं, स्वास्थ्य सुधरा और मानसिक शांति प्राप्त हुई।

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अंत मे

नवग्रह मंत्र जप सिर्फ पूजा-पाठ की एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने का एक सशक्त माध्यम है। जब हम श्रद्धा, नियम और विश्वास के साथ इन मंत्रों का जप करते हैं, तो जीवन में नई दिशा, ऊर्जा और सफलता प्राप्त होती है।

DivyayogAshram इस साधना को सरल और सभी के लिए उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कार्यरत है। यदि आप भी अपने जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि चाहते हैं, तो नवग्रह मंत्र जप को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा अवश्य बनाइए।

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