ज्योतिषीय रहस्य: सूर्य ग्रहण के उपाय और आध्यात्मिक उन्नति
Solar Eclipse Remedies भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को केवल खगोलीय घटना नहीं बल्कि गहन आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक स्थिति माना गया है। जब चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है, तब पृथ्वी पर विशेष प्रकार की ऊर्जाएँ सक्रिय होती हैं। इन ऊर्जाओं का प्रभाव मनुष्य के मन, शरीर और आत्मा पर गहराई से पड़ता है। इसी समय किए गए उपाय साधक को आध्यात्मिक उन्नति, शुद्धि और जीवन की बाधाओं से मुक्ति प्रदान करते हैं।
“DivyayogAshram” की परंपरा के अनुसार, सूर्य ग्रहण के समय साधना और मंत्र-जप का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इस दौरान किए गए छोटे-छोटे उपाय साधक को आध्यात्मिक बल, मानसिक शांति और भविष्य में प्रगति का मार्ग प्रदान करते हैं।
सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व
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सूर्य ग्रहण को आत्मा और अहंकार की परीक्षा का समय कहा गया है।
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इस समय ग्रहों की स्थिति साधक के भीतर छुपी कमज़ोरियों को उजागर करती है।
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ग्रहण का प्रभाव हर राशि पर अलग-अलग पड़ता है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह समय साधना के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
ग्रहण और आध्यात्मिक ऊर्जा
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ग्रहण काल में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है।
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साधक अगर ध्यान, मंत्र-जाप और प्रार्थना करता है, तो ये नकारात्मक ऊर्जा रूपांतरित होकर सकारात्मक शक्ति में बदल जाती है।
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यह समय आत्म-शुद्धि और पुरानी आदतों से मुक्ति के लिए विशेष माना गया है।
सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष नियम
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ग्रहण के समय भोजन न करें।
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गर्भवती महिलाओं को सावधानी रखनी चाहिए।
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ग्रहण काल में मौन व्रत रखना श्रेष्ठ है।
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स्नान और दान का महत्व सबसे अधिक होता है।
सूर्य ग्रहण के उपाय (Remedies)
1. मंत्र-जाप
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ॐ नमः शिवाय का जप करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
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सूर्य मंत्र ॐ घृणिः सूर्याय नमः का जप आत्मविश्वास और ऊर्जा देता है।
2. स्नान और शुद्धि
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ग्रहण समाप्ति पर गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान करें।
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इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
3. दान
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तिल, कपड़ा, अनाज और घी का दान करने से ग्रहण दोष शांत होता है।
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दान से पितरों और देवताओं की कृपा मिलती है।
4. ध्यान और साधना
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ग्रहण काल में ध्यान करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
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साधक को अपने जीवन की दिशा स्पष्ट रूप से समझ में आने लगती है।
आध्यात्मिक उन्नति के लिए सूर्य ग्रहण साधना
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शांत और पवित्र स्थान पर आसन लगाएँ।
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दीपक और धूप जलाएँ।
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आंखें बंद करके सूर्य के प्रकाश की कल्पना करें।
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मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः का 108 बार जप करें।
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साधना के बाद प्रार्थना करें और दिव्य ऊर्जा को आत्मसात करें।
सूर्य ग्रहण के उपायों के लाभ
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मनोकामना पूर्ति – साधना से जीवन की इच्छाएँ पूरी होती हैं।
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नकारात्मकता से मुक्ति – ग्रहण दोष और बुरी ऊर्जा दूर होती है।
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आध्यात्मिक शक्ति – साधक की साधना में प्रगति होती है।
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स्वास्थ्य लाभ – मानसिक और शारीरिक संतुलन प्राप्त होता है।
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धन और समृद्धि – दान और पूजा से आर्थिक प्रगति होती है।
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पारिवारिक सुख-शांति – घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
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सूर्य ग्रहण और “DivyayogAshram” की साधना परंपरा
“DivyayogAshram” में सूर्य ग्रहण को साधकों के लिए विशेष साधना का अवसर माना जाता है। यहाँ साधकों को प्राचीन ऋषियों की परंपरा के अनुसार ग्रहण कालीन साधना कराई जाती है। अनेक साधकों ने अनुभव किया है कि ग्रहण के समय किए गए मंत्र-जाप और उपायों से उनका जीवन बदल गया और उन्हें आत्मिक शांति व दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति हुई।
अंत मे
सूर्य ग्रहण केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अवसर है। इस दौरान किए गए उपाय साधक को जीवन की बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करते हैं।
“DivyayogAshram” के अनुसार, ग्रहण काल का सही उपयोग करके हर साधक अपने भीतर छिपी दिव्य शक्तियों को जागृत कर सकता है। यही समय है जब आप नकारात्मकता से मुक्ति पाकर आत्मिक शांति और आध्यात्मिक विकास की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।