सूर्य ग्रहण 2025: क्यों नहीं देखना चाहिए सीधे ग्रहण? और क्या होता है अगर देख लिया?
Solar Eclipse 2025 – सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) एक खगोलीय घटना है जो हमेशा से लोगों के बीच कौतूहल और डर का विषय रही है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक साधारण खगोलीय स्थिति है, लेकिन धार्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इसके अनेक प्रभाव माने गए हैं।
DivyayogAshram के अनुसार, ग्रहण केवल खगोलीय घटना ही नहीं, बल्कि ऊर्जा का एक गहरा परिवर्तन है। इसी कारण इसे बिना सावधानी सीधे देखना शरीर और मन, दोनों के लिए हानिकारक माना गया है।
क्यों नहीं देखना चाहिए सीधे सूर्य ग्रहण?
- आंखों को नुकसान
सूर्य की तीव्र किरणें ग्रहण के समय और भी अधिक खतरनाक हो जाती हैं। बिना सुरक्षा सीधे देखने से आंखों की रेटिना (Retina) जल सकती है और स्थायी अंधापन भी हो सकता है। - UV और Infrared किरणों का प्रभाव
ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणें सीधी आंखों में पड़ें तो अल्ट्रावॉयलेट (UV) और इन्फ्रारेड किरणें आंखों की कोशिकाओं को नष्ट कर सकती हैं। - मानसिक असंतुलन
प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण का सीधा दर्शन करने से मानसिक अशांति और नकारात्मक ऊर्जा का असर बढ़ जाता है। - धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता। पुराणों में बताया गया है कि राहु-केतु के प्रभाव के कारण ग्रहण को दोषपूर्ण समय माना जाता है और सीधे देखने से अशुभ फल मिलते हैं।
अगर सीधे देख लिया तो क्या हो सकता है?
- आंखों में जलन, धुंधलापन या अस्थायी अंधापन।
- सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्या।
- मानसिक बेचैनी और असामान्य डर।
- शास्त्रों के अनुसार, अनजाने में ग्रहण देखने से व्यक्ति को दोष निवारण के लिए स्नान और मंत्रजाप करने की सलाह दी जाती है।
सूर्य ग्रहण से जुड़े प्रमुख प्रभाव
- आंखों को स्थायी हानि।
- त्वचा पर हानिकारक किरणों का असर।
- मानसिक तनाव और बेचैनी।
- पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव।
- गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम।
- पौधों की ऊर्जा में असंतुलन।
- भोजन जल्दी खराब होना।
- घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश।
- आध्यात्मिक साधना में रुकावट।
- शारीरिक कमजोरी।
- अनिद्रा और स्वप्न दोष।
- पालतू पशुओं पर असर।
- ग्रहण काल में किए गए काम का स्थायी प्रभाव।
- आभामंडल (Aura) का कमजोर होना।
- धार्मिक दृष्टि से अपवित्रता।
सूर्य ग्रहण के समय क्या करें?
- ग्रहण से पहले भोजन न करें और ग्रहण के बाद स्नान करके ताजा भोजन ग्रहण करें।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर के भीतर रहना चाहिए।
- इस समय मंत्रजाप, ध्यान और प्रार्थना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- तुलसी पत्र या कुश (पवित्र घास) को भोजन में रख दें ताकि वह दूषित न हो।
DivyayogAshram के अनुसार उपाय
- ग्रहण देखने से अनजाने में हुई अशुद्धि को दूर करने के लिए स्नान, ध्यान और “ॐ ह्रौं नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
- हनुमान चालीसा, आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जप ग्रहण के समय विशेष लाभकारी है।
- ग्रहण के बाद दान-पुण्य करने से दोषों का प्रभाव कम होता है।
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सामान्य प्रश्न
Q1. क्या साधारण चश्मा लगाकर सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है?
नहीं। साधारण चश्मे ग्रहण के समय सूर्य की हानिकारक किरणों को नहीं रोक पाते। केवल विशेष solar filters या eclipse glasses से ही सुरक्षित देखा जा सकता है।
Q2. क्या गर्भवती महिलाएं ग्रहण देख सकती हैं?
धार्मिक और आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के भीतर रहना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
Q3. ग्रहण के बाद स्नान क्यों किया जाता है?
ग्रहण के दौरान वातावरण दूषित ऊर्जा से भर जाता है। स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।
Q4. क्या बच्चे सूर्य ग्रहण देख सकते हैं?
बिल्कुल नहीं। बच्चों की आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं। उन्हें ग्रहण देखने से गंभीर नुकसान हो सकता है।
Q5. क्या ग्रहण के समय पूजा-पाठ करना चाहिए?
हाँ। ग्रहण के समय जप, ध्यान और प्रार्थना करना विशेष फलदायी माना जाता है।
Q6. क्या ग्रहण के बाद खाना फेंक देना चाहिए?
हाँ। ग्रहण से पहले रखा हुआ भोजन दूषित माना जाता है, इसलिए उसे ग्रहण के बाद नहीं खाना चाहिए।
Q7. ग्रहण देखने से पाप लगता है क्या?
धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण देखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। दोष निवारण के लिए स्नान और मंत्रजाप करना चाहिए।
अंत मे
सूर्य ग्रहण 2025 केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा पर गहरा प्रभाव डालता है। इसे सीधे देखना खतरनाक है और आंखों व मन पर गंभीर असर डाल सकता है। इसलिए DivyayogAshram सभी साधकों और गृहस्थों को सलाह देता है कि ग्रहण के समय सावधानी बरतें, शास्त्रों में बताए नियमों का पालन करें और इसे साधना और प्रार्थना के माध्यम से आत्मशुद्धि का अवसर बनाएं।







