कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक – नवरात्रि की संपूर्ण विधि
Navratri Rituals नवरात्रि भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण और पावन पर्व है। यह नौ दिन माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की उपासना को समर्पित होते हैं। हर वर्ष दो बार पड़ने वाली नवरात्रि—चैत्र और शारदीय—को साधना, तपस्या और मनोकामना पूर्ति का विशेष समय माना गया है।
DivyayogAshram के अनुसार, नवरात्रि की पूजा केवल आराधना भर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, इच्छापूर्ति और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का अद्भुत माध्यम है। कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक की प्रत्येक प्रक्रिया अपने भीतर गहरे आध्यात्मिक रहस्य छिपाए हुए है। सही विधि से इन अनुष्ठानों का पालन करने पर माँ दुर्गा की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
इस लेख में हम नवरात्रि की संपूर्ण विधि—कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक—का विस्तृत विवरण जानेंगे, ताकि आप अपने घर में पूर्ण श्रद्धा और शुद्धाचार के साथ पूजा कर सकें।
कलश स्थापना का महत्व
कलश को हिंदू धर्म में जीवन, सृष्टि और शक्ति का प्रतीक माना गया है।
- कलश में नारियल, आम या अशोक के पत्ते और जल रखा जाता है।
- यह देवियों की ऊर्जा को आमंत्रित करने का माध्यम होता है।
- कलश स्थापना नवरात्रि का प्रारंभिक और सबसे महत्वपूर्ण चरण है।
विधि:
- स्वच्छ स्थान पर पीले या लाल वस्त्र बिछाएँ।
- मिट्टी के कलश में गंगाजल भरें।
- उसमें सुपारी, चावल और सिक्का डालें।
- ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- कलश पर स्वस्तिक बनाकर माँ दुर्गा का आह्वान करें।
नवरात्रि के नौ दिन की पूजा विधि
पहला दिन – शैलपुत्री पूजा
- साधक को स्थिरता और जीवन की मजबूत नींव मिलती है।
- मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी पूजा
- तप, संयम और साधना की शक्ति प्रदान करती हैं।
- मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
तीसरा दिन – चंद्रघंटा पूजा
- भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
- मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः
चौथा दिन – कूष्मांडा पूजा
- सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति।
- मंत्र: ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
पाँचवाँ दिन – स्कंदमाता पूजा
- संतान सुख और परिवार का सौभाग्य।
- मंत्र: ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
छठा दिन – कात्यायनी पूजा
- विवाह में सफलता और रिश्तों में सामंजस्य।
- मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
सातवाँ दिन – कालरात्रि पूजा
- शत्रु विनाश और सुरक्षा।
- मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
आठवाँ दिन – महागौरी पूजा
- शुद्धि, सौंदर्य और शांति।
- मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः
नौवाँ दिन – सिद्धिदात्री पूजा
- मनोकामना पूर्णता और सिद्धि।
- मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः
अष्टमी और नवमी का महत्व
- अष्टमी और नवमी को विशेष रूप से हवन और कन्या पूजन का विधान है।
- इन दिनों किए गए जप और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है।
कन्या पूजन की विधि
कन्या पूजन को नवरात्रि का समापन अनुष्ठान कहा जाता है।
- इसमें 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजते हैं।
- उनके चरण धोकर, तिलक लगाकर, फूल और वस्त्र अर्पित करते हैं।
- उन्हें भोजन कराकर दक्षिणा और उपहार दिए जाते हैं।
- यह पूजा साधना को पूर्ण करती है और माँ की कृपा तुरंत आकर्षित करती है।
DivyayogAshram का मार्गदर्शन
DivyayogAshram मानता है कि नवरात्रि का सार केवल मंत्र या पूजा में नहीं है, बल्कि इसमें साधक का भाव, शुद्धाचार और सेवा भाव सबसे अधिक मायने रखता है।
- कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक, हर अनुष्ठान जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है।
- यदि श्रद्धा, भक्ति और सात्विकता के साथ पूरे नौ दिन साधना की जाए, तो निश्चित ही माँ दुर्गा की कृपा से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।
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नवरात्रि साधना के लाभ
- घर-परिवार में सुख-शांति।
- आर्थिक समृद्धि और सफलता।
- शत्रु और बाधाओं से रक्षा।
- संतान सुख और परिवार में सामंजस्य।
- आत्मविश्वास और मानसिक शांति।
- रोगों से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- घर में दिव्य ऊर्जा का संचार।
- पितृ कृपा और कुल रक्षा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या घर पर ही कलश स्थापना की जा सकती है?
हाँ, श्रद्धा और शुद्ध स्थान पर कोई भी इसे कर सकता है।
Q2. अगर मंत्र याद न हों तो क्या करें?
सरल मंत्र ॐ दुं दुर्गायै नमः का जप करें।
Q3. क्या कन्या पूजन करना अनिवार्य है?
हाँ, यह नवरात्रि साधना का समापन अनुष्ठान है।
Q4. क्या व्रत बिना उपवास रखे भी किया जा सकता है?
हाँ, फलाहार और सात्विक भोजन के साथ भी पूजा कर सकते हैं।
Q5. क्या हर दिन अलग-अलग देवी की पूजा आवश्यक है?
हाँ, इससे साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
Q6. क्या पुरुष भी कन्या पूजन कर सकते हैं?
हाँ, कोई भी श्रद्धालु इसे कर सकता है।
Q7. क्या नवरात्रि में हवन करना आवश्यक है?
जरूरी नहीं, लेकिन करने से साधना अधिक शक्तिशाली हो जाती है।
इस प्रकार, कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक की यह संपूर्ण विधि आपके जीवन में माँ दुर्गा की असीम कृपा को आकर्षित कर सकती है। DivyayogAshram की मान्यता है कि जो साधक इन नौ दिनों में पूर्ण श्रद्धा और सात्विकता से साधना करता है, उसे माँ दुर्गा की कृपा तुरंत प्राप्त होती है।







