“मेरी पहली Navratri Pooja एक Disaster थी!” – आप ये 7 Mistakes न करें
Avoid These Seven Errors हर साल नवरात्रि के आते ही भक्तों का मन माँ दुर्गा की भक्ति में डूब जाता है। यह पर्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि शक्ति, भक्ति और साधना का संगम है। लेकिन जब पहली बार कोई साधक नवरात्रि की पूजा करता है, तो अक्सर अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं जो पूरी साधना को प्रभावित कर देती हैं।
DivyayogAshram के अनुभवों के अनुसार, नवरात्रि की पूजा सिर्फ मंत्र और फूल अर्पित करने भर से पूरी नहीं होती। इसके पीछे गहन नियम, शुद्धाचार और भावनात्मक समर्पण छिपा होता है। अगर साधक इन बातों पर ध्यान न दे तो उसकी मेहनत और भक्ति अधूरी रह सकती है।
मैं खुद अपनी पहली नवरात्रि पूजा में ऐसी कई भूलें कर बैठा था जिनसे पूरा अनुभव असफल सा लगने लगा। इस लेख में मैं उन्हीं गलतियों को साझा कर रहा हूँ, ताकि आप उनसे सीख लेकर अपनी नवरात्रि पूजा को सफल बना सकें।
1 – कलश स्थापना में अशुद्धि
- नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है।
- पहली बार मैंने इसे जल्दबाजी में बिना शुद्ध स्थान चुने ही कर दिया।
- इससे पूजा की ऊर्जा कमजोर हो गई।
- सही तरीका: स्वच्छ स्थान, गंगाजल और नियमपूर्वक नारियल-पत्तों के साथ कलश स्थापित करें।
2 – पूजा में ध्यान की कमी
- पूजा के समय मन बार-बार भटकता रहा।
- टीवी, मोबाइल और अन्य बातें ध्यान तोड़ देती थीं।
- सही तरीका: पूजा के दौरान पूरा ध्यान केवल माँ दुर्गा पर रखें। कम से कम 15–20 मिनट जप में लगाएँ।
3 – तामसिक आहार का सेवन
- अनजाने में मैंने प्याज-लहसुन वाला भोजन कर लिया।
- नवरात्रि साधना में तामसिक भोजन साधना की शक्ति को नष्ट कर देता है।
- सही तरीका: सात्विक भोजन ही लें, जैसे फल, दूध, सूखे मेवे, प्रसाद आदि।
4 – मंत्रों का गलत उच्चारण
- मैंने इंटरनेट से मंत्र पढ़े लेकिन उच्चारण सही नहीं था।
- गलत उच्चारण से साधना का फल कम हो जाता है।
- सही तरीका: सरल मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जप करें या गुरु से सही मंत्र सीखें।
5 – समय और नियम का पालन न करना
- पूजा कभी सुबह, कभी शाम को करने लगा।
- नवरात्रि साधना में समय और नियम का महत्व अत्यधिक है।
- सही तरीका: हर दिन एक निश्चित समय पर पूजा और जप करें।
6 – कन्या पूजन की उपेक्षा
- मेरी पहली नवरात्रि में कन्या पूजन करना भूल गया।
- यह नवरात्रि पूजा का समापन अनुष्ठान है।
- सही तरीका: अष्टमी या नवमी पर कन्याओं को पूजें, भोजन कराएँ और उपहार दें।
7 – सेवा और दान की कमी
- पूजा के बाद मैंने दान-पुण्य पर ध्यान नहीं दिया।
- बिना दान और सेवा के साधना अधूरी रहती है।
- सही तरीका: गरीब, जरूरतमंद और गौ सेवा में अवश्य योगदान करें।
DivyayogAshram का मार्गदर्शन
DivyayogAshram मानता है कि पूजा की सफलता केवल विधियों में नहीं, बल्कि साधक की भक्ति और शुद्ध भाव में निहित है। नवरात्रि के 9 दिन आत्मशुद्धि, इच्छापूर्ति और आध्यात्मिक उत्थान का समय हैं। यदि इन गलतियों से बचा जाए तो साधक को माँ दुर्गा की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
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नवरात्रि पूजा से होने वाले लाभ
- मनोकामना पूर्ण होती है।
- घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
- आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य मिलता है।
- शत्रुओं और बाधाओं से रक्षा होती है।
- संतान सुख और पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।
- स्वास्थ्य लाभ और रोग निवारण होता है।
- आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
- भक्ति और ध्यान में गहराई आती है।
- जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या पहली बार करने पर नवरात्रि पूजा कठिन होती है?
नहीं, बस सही नियम और शुद्ध भाव जरूरी हैं।
Q2. अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें?
सच्चे मन से माँ दुर्गा से क्षमा माँगें, फल मिल जाएगा।
Q3. क्या नौ दिन उपवास रखना अनिवार्य है?
नहीं, श्रद्धा और क्षमता के अनुसार उपवास रखें।
Q4. क्या घर पर अकेले पूजा करने से फल मिलेगा?
हाँ, अगर श्रद्धा और नियमपूर्वक की जाए तो अवश्य मिलेगा।
Q5. क्या मंत्र जप करते समय माला जरूरी है?
हाँ, रुद्राक्ष या क्रिस्टल माला से जप अधिक प्रभावी होता है।
Q6. क्या रोजाना अलग देवी की पूजा करना आवश्यक है?
हाँ, इससे साधना का परिणाम कई गुना बढ़ जाता है।
Q7. क्या बच्चों को पूजा में शामिल करना सही है?
हाँ, इससे घर की ऊर्जा और सकारात्मकता बढ़ती है।
इस प्रकार, मेरी पहली नवरात्रि पूजा में जो गलतियाँ हुईं, वे आपके लिए सबक हो सकती हैं। अगर आप इन 7 गलतियों से बचकर पूजा करेंगे तो निश्चित ही माँ दुर्गा की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाएगा।






