कोजागिरी पूर्णिमा: माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का विशेष अवसर
Kojagiri Purnima Rituals भारतीय परंपरा में पूर्णिमा तिथियों का विशेष महत्व होता है, लेकिन कोजागिरी पूर्णिमा का स्थान सबसे अद्भुत और शुभ माना गया है। इसे अश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन का संबंध चंद्रमा की दिव्य ऊर्जा और माँ लक्ष्मी की कृपा से जोड़ा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन रातभर चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं और जो साधक इन्हें ग्रहण करता है, उसके जीवन से रोग, दरिद्रता और अशांति दूर हो जाती है।
DivyayogAshram के अनुसार, कोजागिरी पूर्णिमा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक साधना काल है। इस दिन की गई विशेष पूजा, मंत्र जप और व्रत से साधक को सौभाग्य, समृद्धि और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
कोजागिरी पूर्णिमा का महत्व
- इसे कोजागरी व्रत भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?”
- मान्यता है कि इस रात माँ लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वाले को वरदान देती हैं।
- यह पूर्णिमा स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
- इस दिन चंद्रमा की रोशनी से शरीर और मन को दिव्य ऊर्जा मिलती है।
कोजागिरी पूर्णिमा का मुहूर्त
- तिथि: ६ ऑक्टोबर २०२५. शरद ऋतु की पूर्णिमा (आश्विन मास)
- चंद्र दर्शन का विशेष समय: रात 10 बजे से लेकर मध्यरात्रि 12 बजे तक
- इस समय चंद्रमा की रोशनी को ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
विशेष मंत्र और विधि
मंत्र
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर घर के पवित्र स्थान को साफ करें।
- माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को फूलों से सजाएँ।
- दीपक जलाकर उन्हें अक्षत, पुष्प, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
- संध्या समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और क्षीर (दूध) में चावल व मिश्री मिलाकर परिवार संग ग्रहण करें।
- मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
- संभव हो तो रात को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
कोजागिरी पूर्णिमा से मिलने वाले लाभ
- घर में धन और समृद्धि का वास होता है।
- दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- संतान सुख और परिवार की उन्नति होती है।
- व्यापार और नौकरी में प्रगति मिलती है।
- रोग और शारीरिक कष्ट कम होते हैं।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
- घर में शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है।
- पारिवारिक झगड़े और कलेश समाप्त होते हैं।
- चंद्रमा की अमृत किरणों से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
- ध्यान और साधना में गहराई आती है।
- पितृ दोष और ग्रह बाधाओं का निवारण होता है।
- दांपत्य जीवन मधुर और सुखमय बनता है।
- विद्या, ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है।
- माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा और आशीर्वाद मिलता है।
DivyayogAshram का मार्गदर्शन
DivyayogAshram का मानना है कि कोजागिरी पूर्णिमा केवल धार्मिक मान्यता भर नहीं है। यह एक ऐसा दिन है जब चंद्रमा की ऊर्जा और लक्ष्मी साधना का संयोग साधक को असाधारण फल देता है। यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक इस दिन व्रत, मंत्र जप और जागरण किया जाए, तो जीवन के समस्त कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- Get mantra diksha
- BOOK ShriVidya Sadhana Shivir- At DivyayogAshram
- FREE BAGALAMUKHI EBOOK (HINDI & MARATHI)
- SHRI VIDYA RAHASYA EBOOK (HINDI) FREE FOR SOMETIME
- PITRA DOSHA NIVARAN PUJAN BOOKING
- Contact us for puja: 91 7710812329
- Durga Tantra Ebook (Hindi)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या कोजागिरी पूर्णिमा पर उपवास करना आवश्यक है?
हाँ, लेकिन इसे फलाहार के साथ भी किया जा सकता है।
Q2. क्या इस दिन चंद्रमा की रोशनी में बैठना जरूरी है?
हाँ, यह शरीर और मन को अमृत समान ऊर्जा प्रदान करता है।
Q3. क्या इस दिन लक्ष्मी पूजन हर कोई कर सकता है?
हाँ, गृहस्थ हो या साधक, सभी कर सकते हैं।
Q4. क्या बच्चों और वृद्धों के लिए भी यह साधना लाभकारी है?
हाँ, सभी आयु वर्ग के लिए यह शुभ मानी जाती है।
Q5. क्या केवल चंद्र दर्शन ही पर्याप्त है?
नहीं, मंत्र जप और पूजन से लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
Q6. क्या जागरण अनिवार्य है?
नहीं, लेकिन जागरण करने से माँ लक्ष्मी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
Q7. क्या दान-पुण्य करना आवश्यक है?
हाँ, इस दिन गरीब और जरूरतमंद को अन्न व वस्त्र दान करना शुभ होता है।
इस प्रकार, कोजागिरी पूर्णिमा माँ लक्ष्मी की कृपा पाने, दरिद्रता को समाप्त करने और चंद्रमा की दिव्य ऊर्जा को ग्रहण करने का अद्भुत अवसर है। DivyayogAshram का मानना है कि इस दिन यदि श्रद्धा और शुद्ध भाव से साधना की जाए, तो साधक का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है।