रमा एकादशी साधना: पाप मुक्ति और सुख-समृद्धि का दिव्य मार्ग
Rama Ekadashi Rituals एकादशी व्रत हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र माने जाते हैं। वर्ष भर आने वाली चौबीस एकादशियों में प्रत्येक का अलग महत्व है। इन्हीं में से रमा एकादशी अत्यंत पुण्यदायी और पापों का नाश, इच्छा पूर्ण करने वाली कही गई है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक के जीवन से सभी प्रकार के दुख, दरिद्रता और पाप मिट जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
DivyayogAshram के अनुभव और मार्गदर्शन के अनुसार, रमा एकादशी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और आत्मिक जागरण का अवसर है। इस दिन का व्रत और साधना साधक को दिव्य ऊर्जा, आंतरिक शक्ति और जीवन की कठिनाइयों से पार पाने की क्षमता प्रदान करती है।
रमा एकादशी का महत्व
- यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
- मान्यता है कि रमा एकादशी के दिन उपवास और पूजन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णुधाम को प्राप्त करता है।
- यह व्रत गृहस्थों के लिए विशेष रूप से फलदायी है।
रमा एकादशी का मुहूर्त
- तिथि: १७ ऑक्टोबर २०२५. शुक्रवार, अश्विन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी
- व्रत का प्रारंभ: दशमी तिथि की रात्रि से
- व्रत का पारण: द्वादशी तिथि को प्रातः स्नान के बाद
मंत्र और पूजा विधि
मंत्र
“ॐ ऐं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः”
पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर या पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएँ और तुलसी, अक्षत, पुष्प, धूप अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम या गीता पाठ करें।
- पूरे दिन व्रत रखें और केवल फलाहार करें।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें और यथासंभव जागरण करें।
- अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण या गरीब को भोजन और दान दें।
रमा एकादशी साधना से मिलने वाले लाभ
- पिछले जन्मों और वर्तमान जीवन के पाप नष्ट होते हैं।
- परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बढ़ता है।
- आर्थिक संकट और दरिद्रता समाप्त होती है।
- आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य आता है।
- संतान सुख और परिवार की उन्नति होती है।
- शारीरिक रोग और कष्ट दूर होते हैं।
- शत्रु और बाधाओं से रक्षा होती है।
- व्यापार और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
- आत्मिक शक्ति और साधना की गहराई बढ़ती है।
- ध्यान और योग में एकाग्रता आती है।
- गृह क्लेश और विवाद समाप्त होते हैं।
- पितृ दोष और ग्रह बाधाओं का निवारण होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन आता है।
- अंततः मोक्ष और परम शांति की प्राप्ति होती है।
DivyayogAshram का मार्गदर्शन
DivyayogAshram का कहना है कि रमा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक कर्मकांड न समझें। यह आत्मिक विकास, आत्मशुद्धि और जीवन में सकारात्मकता लाने का अद्भुत माध्यम है। श्रद्धा और नियमों के साथ किया गया यह व्रत व्यक्ति को न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्रदान करता है बल्कि उसे मोक्ष की ओर भी अग्रसर करता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या रमा एकादशी का व्रत सभी कर सकते हैं?
हाँ, कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है, चाहे गृहस्थ हो या साधक।
Q2. क्या उपवास करना अनिवार्य है?
हाँ, लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो तो केवल सात्विक आहार लिया जा सकता है।
Q3. क्या इस दिन केवल भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए?
इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए।
Q4. क्या इस दिन दान करना आवश्यक है?
हाँ, दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
Q5. क्या महिलाएँ और बच्चे भी यह व्रत कर सकते हैं?
हाँ, यह सभी के लिए शुभ और फलदायी है।
Q6. क्या इस दिन रात्रि जागरण अनिवार्य है?
अनिवार्य नहीं, लेकिन करने से लाभ अधिक मिलता है।
Q7. क्या केवल एक दिन का व्रत इतना फलदायी हो सकता है?
हाँ, शास्त्रों में इसे अत्यंत पुण्यदायी और पाप नाशक बताया गया है।
इस प्रकार, रमा एकादशी साधना जीवनभर के पापों का नाश करने और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली साधना है। यदि आप DivyayogAshram द्वारा बताए गए मंत्र और विधि से व्रत करें, तो निश्चित ही आपके जीवन में लक्ष्मी और विष्णु की कृपा प्राप्त होगी।