लक्ष्मी पूजन की सबसे बड़ी गलती! 90% लोग करते हैं, पैसा आकर भी चला जाता है।
Biggest Lakshmi Puja Mistake हर साल दिवाली की रात घर-घर में देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। दीयों की रोशनी, मिठाइयों की खुशबू, और मंत्रों की ध्वनि से पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इतने प्रयासों के बाद भी पैसा टिकता नहीं? धन आता तो है, पर किसी न किसी कारण से चला भी जाता है।
DivyayogAshram के अनुभवी साधकों के अनुसार, इसका कारण सिर्फ एक साधारण गलती है — “पूजन के समय मन और ऊर्जा का असंतुलन।”
बहुत से लोग बाहरी सजावट, दीप, और भौतिक विधियों में इतना उलझ जाते हैं कि देवी लक्ष्मी के असली रूप — शुद्धता, मौन और संतुलन — को भूल जाते हैं। परिणामस्वरूप, लक्ष्मी की उपस्थिति क्षणिक बन जाती है।
इस लेख में हम समझेंगे कि लक्ष्मी पूजन की वह बड़ी गलती क्या है, इसे कैसे सुधारें, और कौन-से रहस्यमयी मंत्र व विधियाँ स्थायी समृद्धि प्रदान करती हैं।
सबसे बड़ी गलती – “पूजन के समय मन की अशुद्धि”
दिवाली की रात जब पूजन किया जाता है, तब ज्यादातर लोग केवल दिखावे में ध्यान देते हैं। लेकिन देवी लक्ष्मी मन की शुद्धता और मौन भावना में ही ठहरती हैं।
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जब पूजन करते समय मन में क्रोध, लोभ, ईर्ष्या या असंतोष हो, तो वह ऊर्जा लक्ष्मी की तरंग से टकरा जाती है।
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देवी का आगमन धन के रूप में नहीं, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह के रूप में होता है। यदि घर का वातावरण और साधक की चेतना शुद्ध नहीं है, तो वह प्रवाह टिक नहीं पाता।
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इसलिए भक्ति से अधिक भवना की शुद्धता आवश्यक है।
DivyayogAshram के अनुसार — “लक्ष्मी पूजा केवल धन का नहीं, चेतना का भी शुद्धिकरण है।”
लक्ष्मी स्थिरता मंत्र (Mantra for Wealth Stability)
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री स्थिरलक्ष्म्यै नमः॥”
यह मंत्र “धन स्थिरता” का बीज मंत्र है। इसे दिवाली या शुक्रवार की रात्रि में 108 बार जपना अत्यंत फलदायक माना गया है।
विधि (Vidhi)
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स्थान और दिशा:
पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। सामने देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र हो। -
सामग्री:
- पीला वस्त्र
- कमल गट्टे
- घी का दीपक
- 5 सुपारी
- चांदी का सिक्का या कौड़ी
- चावल, हल्दी, कुमकुम
- गुलाब या कमल पुष्प
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विधि क्रम:
- स्नान कर लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
- घर के सभी दीप जलाएँ और मौन रहें।
- देवी को चंदन, पुष्प और धूप अर्पित करें।
- अब ऊपर दिए गए मंत्र का 108 बार जप करें।
- अंत में देवी से प्रार्थना करें —
“माँ, धन आए तो स्थिर रहे, सुख के साथ बढ़े।” - चांदी का सिक्का या कौड़ी तिजोरी में रखें।
शुभ मुहूर्त (Muhurat)
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ समय —
रात्रि 11:05 बजे से 12:20 बजे तक (अमावस्या तिथि पर)।
यह काल “महालक्ष्मी प्राप्ति योग” कहलाता है।
अगर आप यह प्रयोग शुक्रवार की रात्रि करें, तो समय रखें —
रात्रि 10:45 से 11:30 बजे तक।
नियम (Niyam)
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पूजन के समय मन पूरी तरह शांत और प्रसन्न रखें।
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किसी प्रकार की नकारात्मक चर्चा या झगड़ा उस दिन न करें।
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पूजा स्थान पर जूते, मोबाइल या शोरगुल न रखें।
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भोजन शुद्ध सात्त्विक हो — प्याज, लहसुन, मांस, शराब का निषेध करें।
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देवी को चांदी या तांबे के पात्र में जल अर्पित करें।
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दीपक पूजा के बाद स्वयं न बुझाएँ — उसे अपने आप बुझने दें।
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अगले दिन पूजन स्थल की धूल या राख को अपने तिजोरी में रखें — यह लक्ष्मी स्थिरता का प्रतीक है।
लाभ (Benefits)
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धन की स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा बढ़ती है।
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अचानक खर्च या हानि रुक जाती है।
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व्यापार या नौकरी में निरंतर प्रगति होती है।
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घर में शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
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पारिवारिक मतभेद और आर्थिक तनाव समाप्त होते हैं।
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बचत और निवेश के नए अवसर प्रकट होते हैं।
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लक्ष्मी ऊर्जा दीर्घकाल तक स्थिर रहती है।
सावधानियाँ (Precautions)
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पूजा को जल्दबाजी या दिखावे में न करें।
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मंत्र जप के दौरान ध्यान भंग न होने दें।
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किसी और को तिजोरी की वस्तु या कौड़ी छूने न दें।
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देवी की प्रतिमा की सीधी आँखों में लंबे समय तक न देखें — केवल ध्यान करें।
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मूर्तियों या प्रतीकों को बार-बार न बदलें; एक ही रूप में विश्वास रखें।
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प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: क्या हर साल नई मूर्ति रखनी चाहिए?
उत्तर: नहीं, एक ही प्रतिमा में श्रद्धा स्थिर रखें। वही आपकी ऊर्जा से जुड़ती है।
प्रश्न 2: क्या लाल कपड़ा अनिवार्य है?
उत्तर: हाँ, यह देवी की शक्ति का प्रतीक है। लाल ऊर्जा स्थायित्व लाती है।
प्रश्न 3: क्या महिलाएँ यह पूजन रात में कर सकती हैं?
उत्तर: बिल्कुल, देवी लक्ष्मी स्त्री रूप में ही आती हैं। श्रद्धा और पवित्रता पर्याप्त है।
प्रश्न 4: क्या पूजन से पहले घर की सफाई ज़रूरी है?
उत्तर: हाँ, गंदगी या अव्यवस्था लक्ष्मी ऊर्जा को रोकती है।
प्रश्न 5: क्या इस दिन कर्ज़ चुकाना शुभ है?
उत्तर: हाँ, पुराने ऋण का निपटारा इस दिन करने से नई आर्थिक शुरुआत होती है।
प्रश्न 6: क्या यह पूजन गरीब या किराये के घर में किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लक्ष्मी का वास भावना में होता है, भवन में नहीं।
प्रश्न 7: क्या पूजा के बाद दान करना चाहिए?
उत्तर: अवश्य। दान से धन प्रवाह बना रहता है और देवी का आशीर्वाद स्थायी होता है।
अंत मे
दिवाली का असली अर्थ केवल दीप जलाना नहीं, बल्कि भीतर की चेतना को प्रकाशित करना है। जब हम श्रद्धा, मौन और शुद्धता से पूजन करते हैं, तो लक्ष्मी केवल एक रात की नहीं, जीवन भर की अतिथि बन जाती हैं।
DivyayogAshram का संदेश सरल है — “लक्ष्मी को बुलाना आसान है, पर उन्हें रोकने के लिए मन का संतुलन चाहिए।”
इस वर्ष दिवाली पर केवल पूजन न करें, बल्कि सजग होकर उस गलती को सुधारें जो 90% लोग करते हैं। तभी धन, शांति और सौभाग्य आपके जीवन में स्थायी रूप से बसेगा।