इस दिवाली मत करना ये पूजा! हो सकता है नुकसान… जानें सही तरीका
Don’t Do This Puja दिवाली का पर्व हर घर में समृद्धि, सौभाग्य और देवी लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ पूजा-विधियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें गलत तरीके से करने पर धन की जगह हानि, शांति की जगह कलह, और सुख की जगह अशांति आ सकती है?
DivyayogAshram के अनुसार, दिवाली का दिन केवल दीपक जलाने का नहीं, बल्कि सही ऊर्जा संतुलन का दिन है। यदि पूजा में मन, दिशा, समय या सामग्री की शुद्धता का ध्यान न रखा जाए, तो वही साधना विपरीत प्रभाव दे सकती है।
इस लेख में आप जानेंगे — कौन-सी पूजा दिवाली की रात नहीं करनी चाहिए, सही पूजन विधि क्या है, कौन-से मंत्र लाभदायक हैं, और किन गलतियों से बचना चाहिए ताकि लक्ष्मी जी की कृपा स्थायी रूप से आपके घर में रहे।
गलत पूजा जो नुकसान दे सकती है
बहुत से लोग दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन में जल्दबाज़ी, दिखावा, या अनुचित वस्तुएँ इस्तेमाल कर बैठते हैं।
ये कुछ आम गलतियाँ हैं:
- मूर्तियों की संख्या अधिक रखना: देवी लक्ष्मी की एक ही प्रतिमा या चित्र पर्याप्त है। एक से अधिक मूर्तियाँ रखने से ऊर्जा विभाजित होती है।
- पूजा के समय झगड़ा या क्रोध: दिवाली की रात का कंपन अत्यंत सूक्ष्म होता है। किसी प्रकार का विवाद या नकारात्मक वाणी लक्ष्मी ऊर्जा को रोक देती है।
- घी की जगह तेल का दीपक जलाना: लक्ष्मी पूजन में हमेशा गाय के घी का दीपक ही श्रेष्ठ होता है। तेल का दीपक मुख्य पूजा में नहीं होना चाहिए।
- काली या गंदी मूर्तियों का उपयोग: लक्ष्मी जी का स्वरूप सदैव उज्ज्वल और स्वच्छ होना चाहिए।
- पूजा के बाद तुरंत खाना या मोबाइल चलाना: पूजन के बाद कम से कम 15 मिनट मौन बैठना आवश्यक है ताकि ऊर्जा स्थिर हो सके।
सही पूजा विधि (Mantra and Vidhi)
लक्ष्मी स्थिरता मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥”
विधि:
- तैयारी:
दिवाली की शाम घर के सभी कोने साफ़ करें। गंगाजल का छिड़काव करें। - दिशा:
पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान) या उत्तर दिशा की ओर करें। - सामग्री:
- गाय का घी
- लाल या गुलाबी वस्त्र
- 11 कौड़ियाँ
- कमल गट्टे
- चांदी का सिक्का
- चावल, कुमकुम, पुष्प, धूप
- पूजन क्रम:
- स्नान कर लाल वस्त्र पहनें।
- देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को एक स्वच्छ आसन पर स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और घंटी बजाकर वातावरण को पवित्र करें।
- हल्दी-कुमकुम से तिलक करें, फूल अर्पित करें।
- ऊपर दिया गया मंत्र 108 बार जपें।
- देवी से निवेदन करें – “माँ, धन आए तो स्थिर रहे, और घर में सदा सौभाग्य का प्रवाह बना रहे।”
- पूजा के बाद दीपक को स्वयं न बुझाएँ।
शुभ मुहूर्त (Muhurat)
दिवाली लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय:
🕙 रात्रि 11:05 बजे से 12:20 बजे तक — “महालक्ष्मी प्रकट योग”
यह काल धन, व्यापार, और करियर के लिए विशेष रूप से शुभ है।
यदि यह संभव न हो, तो रात्रि 10:45 से 11:15 के बीच भी पूजन फलदायी रहेगा।
नियम (Niyam)
- पूजा के समय मौन रहें, मन में कोई द्वेष या लोभ न रखें।
- लाल वस्त्र और स्वच्छ आसन का प्रयोग करें।
- पूजा के बाद देवी की मूर्ति को किसी और को न दिखाएँ।
- तिजोरी या धन स्थान पर कपूर जलाकर सुगंध फैलाएँ।
- घर में झाड़ू या कचरा पूजन के तुरंत बाद न निकालें।
- अन्न का अपमान न करें — बासी भोजन न रखें।
- पूजा स्थल पर कभी गंदगी, जूते या इलेक्ट्रॉनिक शोर न रखें।
लाभ (Benefits)
- स्थायी धन वृद्धि और व्यापार में स्थिरता।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि का स्थायी वास।
- ऋण या हानि से मुक्ति।
- आर्थिक अवसरों में वृद्धि।
- परिवार में आपसी प्रेम और सौभाग्य की वृद्धि।
- नकारात्मकता का नाश और ऊर्जा का संतुलन।
- लक्ष्मी जी का सूक्ष्म आशीर्वाद लंबे समय तक बना रहता है।
सावधानियाँ (Precautions)
- रात के समय पूजा में शराब या तामसिक वस्तु का सेवन वर्जित है।
- लाल कपड़े को बाद में धुलकर पुनः उपयोग न करें।
- प्रयोग को किसी से साझा न करें — मौन साधना श्रेष्ठ मानी गई है।
- अगर पूजा के समय दीपक बुझ जाए, तो तुरंत नया दीपक जलाएँ।
- अगले दिन किसी को तिजोरी का दरवाज़ा दिखाना अशुभ है।
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प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: क्या सभी लोग यह पूजा कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, लेकिन पूजन करते समय शुद्ध मन और श्रद्धा आवश्यक है।
प्रश्न 2: क्या तेल के दीपक का उपयोग किया जा सकता है?
उत्तर: सामान्य दीपक में हाँ, लेकिन मुख्य पूजन दीपक गाय के घी का ही होना चाहिए।
प्रश्न 3: क्या पूजा बिना पंडित के की जा सकती है?
उत्तर: बिल्कुल, यदि विधि और मंत्र का सही उच्चारण हो तो पूजा सफल होती है।
प्रश्न 4: क्या कौड़ियाँ हर साल बदलनी चाहिए?
उत्तर: हाँ, हर दिवाली नई 11 कौड़ियाँ रखें और पुरानी को बहते जल में प्रवाहित करें।
प्रश्न 5: क्या बच्चों के सो जाने के बाद पूजा करना ठीक है?
उत्तर: हाँ, बल्कि शांति और मौन में किया गया पूजन अधिक प्रभावशाली होता है।
प्रश्न 6: क्या यह विधि किराये के घर में भी लाभ देती है?
उत्तर: देवी लक्ष्मी भाव में निवास करती हैं, घर के स्वामित्व से नहीं।
प्रश्न 7: क्या पूजा के बाद दान करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, दान से धन प्रवाह बना रहता है और नकारात्मक कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
अंत मे
दिवाली की रात जितनी पवित्र है, उतनी ही संवेदनशील भी। यदि पूजा में ध्यान, दिशा, समय और भावना सही न हो, तो उसका परिणाम उल्टा भी हो सकता है।
DivyayogAshram का संदेश स्पष्ट है — “देवी को बुलाने से पहले घर और मन दोनों को शुद्ध करें। तभी लक्ष्मी ठहरती हैं, नहीं तो लौट जाती हैं।”
इस दिवाली केवल पूजा न करें — सही तरीके से पूजा करें। श्रद्धा, मौन और सच्ची भावना से की गई साधना ही आपको वह आशीर्वाद दे सकती है जो जीवनभर साथ रहता है।