कोयला और लोहे से भगमालिनी अद्भुत प्रयोग… किसी भी बाधा पर नियंत्रण!
Bhagmalini Adbhut Prayog उन दुर्लभ तांत्रिक प्रयोगों में माना जाता है, जो जड़ में बैठी बाधाओं पर सीधा प्रभाव डालता है। कोयला और लोहा प्रतीक हैं स्थिरता, सहनशक्ति और अवरोध भेदन के। इन्हीं तत्वों के साथ किया गया यह प्रयोग साधक को नियंत्रण, दृढ़ता और परिणाम की दिशा में आगे बढ़ाता है। DivyayogAshram के अनुसार जब प्रयास बार बार रुकते हों, विरोध बढ़ता जाए या स्थितियां हाथ से फिसलती महसूस हों, तब यह प्रयोग भीतर की शक्ति को संगठित करता है।
यह प्रयोग डर या आक्रामकता के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य साधक को परिस्थितियों के ऊपर स्थिर बनाना है। सही विधि, नियम और संयम के साथ किया गया प्रयोग काम, धन, संबंध और निर्णयों में स्पष्टता लाता है। जो साधक निरंतर अभ्यास करता है, उसे 11 दिनों में ही आंतरिक बदलाव का अनुभव होने लगता है।
भगमालिनी अद्भुत प्रयोग के प्रमुख लाभ
- जीवन की बड़ी बाधाओं पर नियंत्रण की क्षमता बढ़ती है।
- निर्णयों में दृढ़ता और स्थिरता आती है।
- शत्रु प्रभाव और विरोध शांत होने लगते हैं।
- कामकाज में अटकाव कम होता है।
- मानसिक दबाव और भ्रम घटता है।
- आत्मविश्वास स्थायी रूप से बढ़ता है।
- धन और संसाधनों के उपयोग में संतुलन आता है।
- नकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ती है।
- कार्यक्षेत्र में पकड़ मजबूत होती है।
- भय और असहायता का भाव कम होता है।
- साधक का आभामंडल स्थिर बनता है।
- घर और कार्यालय में अनुशासन बढ़ता है।
- अचानक आने वाली समस्याओं से बचाव होता है।
- इच्छाशक्ति में निरंतर वृद्धि होती है।
- देवी की कृपा से परिणाम जल्दी दिखने लगते हैं।
विनियोग
ॐ अस्य श्रीभगमालिनी देवी मंत्रस्य।
ऋषिः कश्यपः।
छन्दः अनुष्टुप्।
देवता श्रीभगमालिनी।
मम सर्वबाधा नियंत्रणार्थे जपे विनियोगः।
न्यास विधि
न्यास साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से केंद्रित करता है।
हृदय, मस्तक, नेत्र और कंठ का स्पर्श करते हुए देवी का स्मरण करें।
यह भाव रखें कि देवी की नियंत्रक शक्ति शरीर में स्थापित हो रही है।
न्यास शांत गति से और एकाग्र मन से करें।
दिग्बंधन
चारों दिशाओं में मानसिक रूप से देवी का कवच स्थापित करें।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में सुरक्षा और नियंत्रण की कल्पना करें।
यह प्रक्रिया साधना के दौरान बाहरी विघ्नों को रोकती है।
यह प्रयोग कौन कर सकता है
यह प्रयोग गृहस्थ और साधक दोनों कर सकते हैं।
स्त्री और पुरुष दोनों के लिए यह समान रूप से प्रभावी है।
जो व्यक्ति नियम, संयम और निरंतरता निभा सकता है, वही इसे करें।
अत्यधिक चंचल या अस्थिर मन वाले लोग मार्गदर्शन के बिना न करें।
शुभ मुहूर्त
यह प्रयोग अमावस्या, शनिवार या मंगलवार से आरंभ किया जा सकता है।
रात का समय अधिक प्रभावी माना जाता है।
एक बार शुरू करने के बाद इसे लगातार 11 दिन करें।
सिद्ध साधना सामग्री
DivyayogAshram के अनुसार निम्न सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
• भगमालिनी यंत्र
• भगमालिनी आकर्षण माला
• भगमालिनी पारद गुटिका
• भगमालिनी कवच
• भगमालिनी श्रृंगार सामग्री
• रक्षा सूत्र
• 21 लाल चिरमी दाने
• सिद्ध गोमती चक्र
• भगमालिनी रिंग
• शुद्ध कोयला और लोहा
यह सामग्री साधना को स्थिर, केंद्रित और प्रभावी बनाती है।
मंत्र
ॐ ह्रीं भगमालिन्यै नमः॥
साधना विधि
काले या गहरे लाल आसन पर बैठें।
सामने भगमालिनी यंत्र स्थापित करें।
दाईं ओर शुद्ध लोहा और बाईं ओर कोयला रखें।
सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला करें।
यह प्रक्रिया लगातार 11 दिनों तक करें।
जप के समय मन केवल मंत्र और देवी पर स्थिर रखें।
अंत में देवी से बाधा नियंत्रण का निवेदन करें।
साधना के नियम
- साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सादा और सात्विक भोजन करें।
- क्रोध, नकारात्मक चर्चा और दिखावे से दूर रहें।
- साधना बीच में न छोड़ें।
- प्रयोग के विषय में किसी से बात न करें।
साधना अनुभव
आलोक शुक्ला, कानपुर
“काम में लगातार रुकावट थी। 11 दिन बाद निर्णय स्पष्ट होने लगे।”
पूजा मेहता, सूरत
“इस प्रयोग से भीतर अजीब स्थिरता आई। भय काफी कम हो गया।”
नवीन चौहान, रोहतक
“व्यवसाय में विरोध बहुत था। साधना के बाद नियंत्रण महसूस हुआ।”
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1: क्या यह प्रयोग सुरक्षित है
उत्तर: नियमों के पालन से यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
2: क्या महिलाएं यह प्रयोग कर सकती हैं
उत्तर: हां, महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।
3: परिणाम कब दिखते हैं
उत्तर: कई लोगों को 7 से 11 दिनों में अनुभव होने लगता है।
4: क्या बिना सामग्री प्रयोग संभव है
उत्तर: प्रभाव के लिए सिद्ध सामग्री आवश्यक मानी जाती है।
5: क्या डर या भारीपन महसूस हो सकता है
उत्तर: हल्का मानसिक दबाव आ सकता है, जो अस्थायी होता है।
6: क्या यह प्रयोग दोहराया जा सकता है
उत्तर: हां, उचित अंतराल के बाद किया जा सकता है।
7: क्या दीक्षा आवश्यक है
उत्तर: गहरे और स्थिर परिणामों के लिए दीक्षा उपयोगी है।
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