कुंडली के ग्रहो की उग्रता को शांत करने वाली ग्रह नक्षत्र यक्षिणी या ग्रह यक्षिणी शक्तिशाली साधना मानी जाती है। जिसमें साधक ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव को नियंत्रित करने और अपने पक्ष में करने के लिए ग्रह नक्षत्र यक्षिणी की साधना करता है। इस साधना का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में ग्रहों और नक्षत्रों के प्रतिकूल प्रभावों को समाप्त करना और शुभ फल प्रदान करना है। इस साधना के माध्यम से, साधक ग्रहों की दशा और दिशा को अपने अनुकूल कर सकता है, जिससे उसे जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता मिलती है।
ग्रह नक्षत्र यक्षिणी साधना के लाभ
- ग्रह दोष निवारण: साधना से जन्म कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का निवारण होता है।
- शुभ ग्रहों का प्रभाव: साधना से व्यक्ति के जीवन में शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।
- प्रतिग्रहों का शमन: प्रतिकूल ग्रहों के अशुभ प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।
- सफलता और समृद्धि: साधना के माध्यम से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: ग्रहों के कारण उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
- विवाह में अड़चनें दूर होती हैं: साधना से विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: साधक की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- कार्य में सफलता: साधना से व्यापार, नौकरी, और अन्य कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- सौभाग्य की प्राप्ति: साधना से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
- शत्रुओं से मुक्ति: ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण उत्पन्न शत्रुओं का नाश होता है।
- धन की प्राप्ति: साधना से साधक को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न मानसिक अशांति का निवारण होता है।
- अदालत और कानूनी मामलों में विजय: साधना से अदालत और कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है।
- विदेश यात्रा का योग: साधना से विदेश यात्रा के योग बनते हैं और बाधाओं का निवारण होता है।
- व्यक्तिगत और पारिवारिक सुख-शांति: ग्रहों के संतुलन से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- विद्या और ज्ञान में वृद्धि: साधक के ज्ञान और विद्या में वृद्धि होती है।
- भविष्य की सुरक्षा: साधना से जीवन में भविष्य में आने वाली बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
- योग्यता और आत्मविश्वास में वृद्धि: साधना से साधक की योग्यता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधना से साधक की आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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ग्रह नक्षत्र यक्षिणी -सामान्य प्रश्न
- ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना क्या है?
- यह एक तांत्रिक साधना है जो ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव को नियंत्रित करने और अपने पक्ष में करने के लिए की जाती है।
- यह साधना किसके लिए उपयुक्त है?
- यह साधना उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जिन्हें ग्रह दोषों, नकारात्मक ग्रह प्रभावों, या जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- साधना के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है?
- ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना का समय व्यक्ति की कुंडली और गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करता है, लेकिन रात्रि का समय सामान्यतः शुभ माना जाता है।
- क्या साधना के लिए गुरु की आवश्यकता होती है?
- हाँ, इस साधना को सही और सुरक्षित तरीके से करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है।
- साधना के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
- शुद्धता, एकाग्रता, और नियमबद्धता का पालन करना जरूरी है। साधना के दौरान मन को शांत और स्थिर रखना चाहिए।
- साधना कितने समय में फल देती है?
- साधना के फल प्राप्त होने का समय व्यक्ति की निष्ठा और साधना की विधि पर निर्भर करता है।
- क्या साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
- हाँ, व्रत का पालन करना साधना की सफलता में सहायक होता है।
- साधना के दौरान मंत्र जाप कैसे किया जाता है?
- मंत्र जाप की विधि गुरु से प्राप्त होती है, और इसे नियमपूर्वक करना चाहिए।
- ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना को किस प्रकार से शुरू किया जाना चाहिए?
- साधना को गुरु के निर्देशानुसार और विधिपूर्वक प्रारंभ करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद यक्षिणी की आरती, धन्यवाद ज्ञापन और गुरु को आभार प्रकट करना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
- साधना के लिए सफेद, काले या लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- क्या साधना के दौरान किसी प्रकार के भोग या प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
- हाँ, साधना के दौरान यक्षिणी को भोग या प्रसाद चढ़ाना चाहिए जो साधना की प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
- क्या साधना के दौरान कोई विशेष आहार लेना चाहिए?
- साधना के दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए और मांसाहार या तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
- क्या ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना को बीच में छोड़ा जा सकता है?
- साधना को बीच में छोड़ना उचित नहीं है। इसे पूर्ण निष्ठा के साथ समाप्त करना चाहिए।
- साधना के दौरान यदि कोई विघ्न आता है तो क्या करें?
- गुरु से सलाह लेकर विघ्न का निवारण करना चाहिए और साधना को पुनः प्रारंभ करना चाहिए।
- क्या साधना का प्रभाव जीवन भर रहता है?
- साधना का प्रभाव साधक की निष्ठा और साधना की गहराई पर निर्भर करता है। इसे नियमित रूप से करने से प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
- साधना के बाद जीवन में क्या बदलाव आते हैं?
- साधना के बाद साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव, सफलता, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- क्या साधना का प्रभाव अन्य लोगों पर भी होता है?
- ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना का प्रभाव मुख्यतः साधक पर होता है, लेकिन परिवार और निकटतम लोगों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- क्या साधना को पुनः शुरू किया जा सकता है?
- हाँ, साधना को पुनः शुरू किया जा सकता है यदि इसे किसी कारणवश पूरा नहीं किया जा सका हो।
- क्या साधना के बाद जीवन में समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं?
- ग्रहनक्षत्र यक्षिणी साधना के बाद जीवन में आने वाली समस्याएँ और बाधाएँ कम हो जाती हैं, और साधक के पास उनका समाधान करने की शक्ति आ जाती है।
ग्रह नक्षत्र यक्षिणी साधना एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है, जिसे सही विधि और गुरु के मार्गदर्शन में करने से साधक को अद्वितीय लाभ प्राप्त होते हैं। इसे श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से जीवन में शुभ फल और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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