अष्ट मातृका योगिनी साधना का मुख्य उद्देश्य शक्ति की प्राप्ति और रक्षा करना होता है। इन देवी की साधना करने से भक्त को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ता प्राप्त होती है। यह साधना, भक्त को आत्मविश्वास, साहस, और सफलता की दिशा में मदद करती है। इसके अलावा, ये देवियाँ भक्त को किसी भी प्रकार की अन्य भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
अष्ट मातृका योगिनी साधना के लाभ
- आध्यात्मिक जागरण: साधक को उच्च आध्यात्मिक अनुभव और जागरण प्राप्त होता है।
- आत्म-शक्ति की प्राप्ति: साधक की आत्म-शक्ति और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं पर विजय: साधक को शत्रुओं से सुरक्षा और विजय प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक समस्याओं का समाधान और धन की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- सुरक्षा और संरक्षा: साधक को किसी भी प्रकार के बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा मिलती है।
- ध्यान में गहराई: ध्यान करने की क्षमता में गहराई और स्थिरता प्राप्त होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके जीवन में उन्नति होती है।
- शक्तियों की प्राप्ति: साधक को विभिन्न तांत्रिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
अष्ट मातृका योगिनी साधना सामग्री
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अष्ट मातृका योगिनी साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न
- अष्ट मातृका योगिनी साधना क्या है?
- यह एक तांत्रिक साधना है जिसमें अष्ट मातृका योगिनियों की आराधना की जाती है, जो विभिन्न शक्तियों और सिद्धियों की प्रतीक होती हैं।
- अष्ट मातृका योगिनी कौन हैं?
- अष्ट मातृका आठ शक्तिशाली देवी हैं जो विभिन्न सिद्धियों और शक्तियों की प्रतीक होती हैं। इनमें ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नारसिंही, ऐंद्री, और चामुंडा शामिल हैं।
- साधना के लिए कौन सा मंत्र प्रयोग होता है?
- प्रत्येक मातृका के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं, जैसे "ॐ ब्राह्म्यै नमः", "ॐ माहेश्वर्यै नमः", आदि।
- साधना कब और कैसे की जाती है?
- किसी शुभ मुहूर्त, विशेषकर पूर्णिमा और अमावस्या की रात्रि में साधना की जाती है।
- साधना के दौरान कौन से आसन का प्रयोग करें?
- पद्मासन, सिद्धासन, या किसी भी आरामदायक ध्यान आसन का प्रयोग करें।
- अष्ट मातृका योगिनी साधना के लिए कौन सी दिशा उत्तम होती है?
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करना उत्तम माना जाता है।
- क्या साधना में किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
- हाँ, जैसे कि चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य।
- क्या अष्ट मातृका योगिनी साधना हर कोई कर सकता है?
- हाँ, लेकिन इसे करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और स्वच्छता आवश्यक है।
- साधना का प्रभाव कब से दिखाई देता है?
- यह साधक की श्रद्धा, विश्वास, और निरंतरता पर निर्भर करता है।
- साधना के दौरान कितने मंत्र जाप करना चाहिए?
- प्रारंभ में 108 बार, फिर 1008 बार या अधिक जाप करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद प्रसाद वितरण करें और अपने अनुभव को गुरु से साझा करें।
- साधना में ध्यान कैसे करें?
- अष्ट मातृका योगिनियों की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान करें और उनके रूप, गुण, और कृपा का ध्यान करें।
- क्या साधना में विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
- हाँ, साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
- अष्ट मातृका योगिनी साधना के लिए क्या कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?
- हाँ, साधना से पहले स्वच्छता और मन की शुद्धि आवश्यक है।
- क्या अष्ट मातृका योगिनी साधना से हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है?
- हाँ, अष्ट मातृका योगिनी साधना से जीवन की कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है, लेकिन यह साधक की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।
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