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Kanti Bhairav Sadhana For Progress

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कांति भैरव साधना एक शक्तिशाली साधना है जो भगवान भैरव के इस विशेष रूप को प्राप्त करने के लिए की जाती है। कांति भैरव को दिव्य आभा, तेज, और आकर्षण के देवता के रूप में माना जाता है। इस साधना का उद्देश्य साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना है। यह साधना भैरव की कृपा और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है।

कांति भैरव साधना के लाभ

  1. आकर्षण शक्ति में वृद्धि: इस साधना के द्वारा साधक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे वह लोगों को आसानी से प्रभावित कर सकता है।
  2. व्यक्तित्व में निखार: कांति भैरव साधना से साधक के व्यक्तित्व में निखार आता है और वह समाज में सम्मान प्राप्त करता है।
  3. रोगों से मुक्ति: साधना के द्वारा साधक के शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है, जिससे वह स्वस्थ और ऊर्जावान रहता है।
  4. आध्यात्मिक शक्ति: कांति भैरव साधना से साधक की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे वह आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अग्रसर होता है।
  5. धन और समृद्धि: साधना से साधक के जीवन में धन और समृद्धि का प्रवाह होता है, और आर्थिक समस्याओं का नाश होता है।
  6. साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि: इस साधना से साधक का साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होता है।
  7. शत्रु बाधाओं से मुक्ति: कांति भैरव साधना शत्रुओं के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करती है और साधक को सुरक्षा प्रदान करती है।
  8. सौंदर्य और यौवन का संरक्षण: इस साधना के द्वारा साधक के सौंदर्य और यौवन का संरक्षण होता है और वह दीर्घायु होता है।
  9. परिवारिक सुख और शांति: साधना से साधक के परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहती है।
  10. कार्य में सफलता: कांति भैरव साधना से साधक को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, चाहे वह व्यवसाय हो, नौकरी हो, या अन्य कोई कार्य।
  11. ज्ञान और विवेक का विकास: इस साधना के द्वारा साधक का ज्ञान और विवेक विकसित होता है, जिससे वह सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
  12. धार्मिक उन्नति: साधना के द्वारा साधक के धर्म के प्रति विश्वास और निष्ठा बढ़ती है, जिससे उसकी धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. भय और चिंता से मुक्ति: कांति भैरव साधना से साधक के मन से सभी प्रकार के भय और चिंता का नाश होता है, जिससे वह निर्भीक और शांतचित्त रहता है।
  14. संतान सुख: साधना के द्वारा साधक को संतान सुख की प्राप्ति होती है और उसकी संतानों का जीवन सुखमय होता है।
  15. विघ्न बाधाओं का निवारण: यह साधना साधक के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं को दूर करती है और उसे सफलता की ओर अग्रसर करती है।

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कांति भैरव साधना से संबंधित पृश्न उत्तर

  1. कांति भैरव कौन हैं? कांति भैरव भगवान शिव का एक रूप हैं, जो आकर्षण, तेज, और दिव्यता का प्रतीक हैं। वे साधक को शक्ति और आकर्षण प्रदान करते हैं।
  2. कांति भैरव साधना का मुख्य उद्देश्य क्या है? इस साधना का मुख्य उद्देश्य साधक को आकर्षण शक्ति, शत्रु बाधाओं से मुक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करना है।
  3. क्या साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है? हां, कांति भैरव साधना को सुरक्षित और सफलतापूर्वक करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है।
  4. साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए? साधना की अवधि साधक की क्षमता और आवश्यकताओं पर निर्भर करती है, सामान्यतः 21, 41, या 108 दिनों तक की जाती है।
  5. क्या साधना के दौरान उपवास रखना आवश्यक है? साधना के दौरान उपवास या व्रत रखने से साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है और साधक की एकाग्रता बनी रहती है।
  6. क्या महिलाएं भी यह साधना कर सकती हैं? हां, महिलाएं भी इस साधना को गुरु के मार्गदर्शन में कर सकती हैं, लेकिन उन्हें विशेष सावधानियों का पालन करना चाहिए।
  7. क्या साधना के लिए विशेष दिशा का चयन करना चाहिए? साधना के लिए पूर्व दिशा में मुख करके बैठना श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह दिशा ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
  8. क्या साधना के दौरान किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है? साधना के लिए कांति भैरव की मूर्ति या चित्र, रुद्राक्ष की माला, दीपक, अगरबत्ती, और नैवेद्य (प्रसाद) की आवश्यकता होती है।
  9. साधना में असफलता के क्या कारण हो सकते हैं? साधना में असफलता का कारण साधना के नियमों का पालन न करना, गुरु का मार्गदर्शन न होना, या एकाग्रता की कमी हो सकते हैं।
  10. साधना के सफल होने पर क्या अनुभव होता है? साधना के सफल होने पर साधक को विशेष आत्मविश्वास, सुरक्षा, और आंतरिक शांति का अनुभव होता है। साधक को तंत्र साधनाओं में सिद्धि प्राप्त होती है।
  11. साधना के बाद क्या करना चाहिए? साधना के समापन पर कांति भैरव की विशेष पूजा-अर्चना और हवन करना चाहिए और प्राप्ति का शुक्रिया अदा करना चाहिए।
  12. क्या साधना के लिए विशेष वस्त्र पहनना आवश्यक है? साधना के दौरान सफेद या लाल वस्त्र पहनने का महत्व है। काले या गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
  13. क्या साधना के दौरान विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है? हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्धता, और साधना के समय अनुशासन का पालन आवश्यक है।
  14. क्या साधना के दौरान मानसिक शांति की आवश्यकता होती है? हां, साधना के दौरान मन की शांति और एकाग्रता अत्यंत आवश्यक होती है। इससे साधना के परिणाम अधिक प्रभावी होते हैं।
  15. क्या साधना के दौरान किसी विशेष समय का पालन करना चाहिए? हां, साधना के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का समय विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और ऊर्जा से भरपूर होता है।

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