माता मनसा देवी की चालीसा का पाठ मनुष्य की सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करता है। मनसा देवी जो नागदेवी और शिव पुत्री के रूप में पूजनीय हैं। मनसा देवी को नागों की देवी और सर्पदंश से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। उनका प्रमुख स्थान उत्तर भारत में है, जहां उन्हें भक्तों द्वारा विशेष रूप से नाग पंचमी और अन्य अवसरों पर पूजा जाता है। माता मनसा देवी की आराधना से विशेष रूप से सर्पदंश, बीमारियों और संकटों से मुक्ति मिलती है। 40 दिन तक लगातार पाठ करने से हर तरह की इच्छा पुर्ण होती है।
संपूर्ण मनसा देवी चालीसा
दोहा:
जय-जय मनसा देवी, जय-जय मां जगदंबा।
तुम हो करुणा की मूर्ति, संतन के लिए अम्बा॥
चौपाई:
जय मनसा जगत में तुम्हारा, संकट हरनि जननी भव तारिन।
नागों की तुम हो अधिष्ठात्री, सर्पदंश से तू रखवारी॥
तुम्हरी कृपा सदा जो पावें, अमंगल संकट कोई न आवें।
दीन दयालु दीनन के तुम, पालन हार जगत की माई॥
जगत जननी जगत की माई, संकट हरनी संकट हारिन।
कृपा करो हे माता मनसा, भक्तन की हो रक्षा माता॥
नागों की देवी जय माता, संकट हरनी तू जग माता।
तुम्हरे चरनन में जो शीश नवाए, भवसागर से पार लग जाए॥
सर्प विष का डर मिट जाता, जो भी मन से ध्यान लगाए।
मनसा देवी जय-जय माता, संकट हरनि संकट हारिन॥
तुम्हरी पूजा जो करता है, जीवन में सुख-शांति पाता है।
दुख दरिद्रता दूर हो जाए, जो सच्चे मन से तुम्हें बुलाए॥
तुम्हरी महिमा कौन बखाने, जगत जननी सब दुःख हरनी।
मनसा देवी तुम बड़भागी, संकट हरनि संकट हारिन॥
जग में तेरे नाम का डंका, संकट हरनि जननी भव तारिन।
तुम्हारी शरण जो जन आवे, उसके संकट सभी मिट जाए॥
तुम्हरी आरती जो गावे, भवसागर से तर जाए।
नागों की देवी जगत माई, संकट हरनि जननी भव तारिन॥
कृपा करो हे माता मनसा, भक्तन की हो रक्षा माता।
दीन दयालु दीनन की माई, संकट हरनि संकट हारिन॥
जय-जय माता मनसा भवानी, संकट हरनि संकट हारिन।
तुम्हारी शरण में जो आवे, भवसागर से तर जाए॥
मनसा देवी की महिमा न्यारी, संकट हरनि जननी भव तारिन।
तुम्हरी आरती जो गावे, भवसागर से तर जाए॥
संकट हरनी तू जग माता, कृपा करो हे माता मनसा।
जय-जय माता मनसा भवानी, संकट हरनि संकट हारिन॥
मनसा देवी चालीसा के लाभ
- सर्पदंश से रक्षा: मनसा देवी की पूजा से सर्पदंश का भय समाप्त हो जाता है।
- संकटों का नाश: जीवन के सभी संकटों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: बीमारियों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
- शांति और सुख: मन की शांति और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भक्तों को आध्यात्मिक जागरण और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।
- दुखों का नाश: जीवन के सभी दुख और क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
- परिवार में समृद्धि: परिवार में समृद्धि और आपसी प्रेम बढ़ता है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: विद्या, ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: अकाल मृत्यु और असमय संकटों से मुक्ति मिलती है।
- विवाह में बाधा का निवारण: विवाह में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।
- बाधाओं का नाश: जीवन के सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
- शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
- घर में समृद्धि: घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
- मनोबल में वृद्धि: भक्तों के मनोबल और साहस में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन: भक्तों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
- भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
- मनोकामना पूर्ति: मनसा देवी की कृपा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।
मनसा देवी चालीसा पाठ की विधि
दिन: मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन नाग पंचमी, रविवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
अवधि: मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातः काल में करना उत्तम माना जाता है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।
नियम
- स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- ध्यान: मनसा देवी का ध्यान करें और उनके चित्र या प्रतिमा के सामने बैठकर पाठ करें।
- श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
- स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
- उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।
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सावधानियाँ
- अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
- जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें और हर शब्द का उच्चारण शुद्ध हो।
- निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें, जिससे उस स्थान की ऊर्जा सकारात्मक हो।
- ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें, और एकाग्रता बनाए रखें।
- स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।
पृश्न उत्तर
- मनसा देवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
- किसी भी दिन, विशेषकर नाग पंचमी, रविवार और मंगलवार को।
- मनसा देवी चालीसा का पाठ क्यों करें?
- सर्पदंश से रक्षा, संकटों का नाश और मनोकामना पूर्ति के लिए।
- मनसा देवी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
- प्रातः काल और ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
- मनसा देवी चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
- कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
- हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
- हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
- हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
- मनसा देवी चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
- एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
- हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
- हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
- हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।