भगवान जगन्नाथ, जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है, इनकी चालीसा का पाठ मनुष्य की हर इच्छा को पूर्ण करता है। इन्हें विशेष रूप से ओडिशा के पुरी में पूजा जाता है। भगवान जगन्नाथ के भक्त उनके चालीसा का पाठ करते हैं ताकि वे उनके आशीर्वाद, सुख समृद्धि और कृपा प्राप्त कर सकें।
संपूर्ण जगन्नाथ चालीसा
॥दोहा॥
जय जगन्नाथ जय जय प्रभु, जगत के पालनहार।
धन्य धरा तव चरण कमल, करते सबका उद्धार॥
॥चौपाई॥
जय जगन्नाथ करुणा निधान,
भक्तों के तुम हो सदा भगवान।
संपूर्ण जगत के तुम हो स्वामी,
सबके जीवन के तुम हो धानी॥
कृष्ण रूप धर जग में आये,
गीता का उपदेश सुनाये।
राधा संग रास रचाये,
ग्वाल-बाल संग क्रीड़ा दिखाये॥
रथयात्रा में भक्त संग सवारी,
जन जन में तुमने ली पुकार।
संपूर्ण जगत की तुम हो रक्षक,
दुःख हरने वाले हो परमेश्वर॥
बाल गोपाल का रूप धरा,
मथुरा में तुमने खेला।
कंस का तुमने अंत किया,
भक्तों का तुमने कष्ट मिटाया॥
तुम्हारे नाम का जो सुमिरन करे,
जीवन में उसका कल्याण होवे।
शरण में जो तेरी आ जाता है,
उसका भवसागर तर जाता है॥
धन्य है वो भक्त जन सदा,
जो तुम्हारा सुमिरन करते हैं।
दुःख-दरिद्र मिटे उसका सदा,
जीवन में सुख-संपत्ति भरते हैं॥
शरणागत के हो रक्षक,
कभी न करो उन्हें निराश।
अपने नाम की महिमा अपरंपार,
संसार करे तुम्हारी जय जयकार॥
सृष्टि के पालनहार तुम,
संपूर्ण जगत के अधिपति हो।
दीन-दुखियों के हो उद्धारक,
करुणा के सागर तुम ही हो॥
जगन्नाथ तुम्हारी महिमा अपरंपार,
तुम्हारे दर पर सबका उद्धार।
दास तुम्हारे शरण में आये,
उसकी रक्षा सदा तुम कराये॥
तुम्हारी महिमा का वर्णन नहीं हो पाए,
जो तेरा ध्यान लगाये सदा सुख पाये।
हम भी तेरे चरणों में सिर झुकायें,
प्रभु हमें भी अपने भक्तों में शामिल कर लें॥
करते हैं हम तुम्हारी वंदना,
रखो हम पर भी अपना कृपा।
जीवन में सदा तुम्हारा सहारा हो,
हर जन्म में तुम्हारा नाम ही प्यारा हो॥
जय जगन्नाथ करुणा निधान,
भक्तों के तुम हो सदा भगवान।
संपूर्ण जगत के तुम हो स्वामी,
सबके जीवन के तुम हो धानी॥
॥दोहा॥
जय जगन्नाथ जय जय प्रभु, जगत के पालनहार।
धन्य धरा तव चरण कमल, करते सबका उद्धार॥
लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान जगन्नाथ की चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- मानसिक शांति: इस चालीसा का पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- सुख-समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि के लिए इस चालीसा का पाठ लाभकारी है।
- रोगों से मुक्ति: इस चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति रोगों से मुक्त होता है।
- भय नाश: भगवान जगन्नाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाते हैं।
- कष्टों का निवारण: इस चालीसा का पाठ सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करता है।
- पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में सुख और शांति के लिए यह चालीसा लाभकारी है।
- विघ्नों से रक्षा: भगवान जगन्नाथ की चालीसा सभी विघ्नों और बाधाओं से रक्षा करती है।
- सद्बुद्धि: इस चालीसा का पाठ व्यक्ति को सद्बुद्धि प्रदान करता है।
- आर्थिक संकटों का निवारण: आर्थिक समस्याओं और संकटों का निवारण इस चालीसा के पाठ से होता है।
- ईश्वर के प्रति श्रद्धा: इस चालीसा का पाठ करने से ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ता है।
- शत्रुओं से रक्षा: भगवान जगन्नाथ की चालीसा शत्रुओं से रक्षा करती है।
- जीवन में संतुलन: इस चालीसा का पाठ जीवन में संतुलन और स्थिरता लाने में सहायक है।
- सफलता: इस चालीसा का पाठ सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
- आंतरिक शक्ति: इस चालीसा का पाठ करने से आंतरिक शक्ति और साहस बढ़ता है।
- मानसिक एकाग्रता: इस चालीसा का पाठ मानसिक एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: इस चालीसा का पाठ सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
- दुःखों का निवारण: जीवन के सभी दुःखों और दुखद घटनाओं का निवारण होता है।
- जीवन में आनन्द: इस चालीसा का पाठ जीवन में आनन्द और प्रसन्नता लाता है।
- भगवान की कृपा: इस चालीसा का पाठ करने से भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है।
विधि
- दिन: जगन्नाथ चालीसा का पाठ विशेष रूप से गुरुवार को करना शुभ माना जाता है।
- अवधि: इस चालीसा का पाठ 41 दिन तक निरंतर करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
- मुहूर्त: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में चालीसा का पाठ करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
नियम
- पूजा स्थान की शुद्धता: पूजा स्थान को साफ और शुद्ध रखें।
- साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना को गुप्त रखें, इसे सार्वजनिक रूप से न बताएं।
- शुद्ध आचरण: शुद्ध आचरण के साथ इस चालीसा का पाठ करें।
- सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें।
- ध्यान और समर्पण: पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान जगन्नाथ का ध्यान करें।
- आसन: कुश के आसन पर बैठकर इस चालीसा का पाठ करें।
- नियमितता: नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करें, इसे बीच में न छोड़ें।
सावधानियाँ
- अधूरा पाठ न करें: चालीसा का पाठ अधूरा न छोड़ें।
- शुद्धता बनाए रखें: मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
- समर्पण का भाव: इस चालीसा का पाठ करते समय पूर्ण समर्पण का भाव रखें।
- वाणी की शुद्धता: चालीसा का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट करें।
- भोग का ध्यान: पाठ के बाद भगवान को भोग अर्पित करें।
जगन्नाथ चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न
- प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: इसे रोजाना एक बार करना चाहिए, लेकिन विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए इसे 21 बार भी किया जा सकता है। - प्रश्न: क्या जगन्नाथ चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन इसे सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करना अधिक शुभ माना जाता है। - प्रश्न: क्या जगन्नाथ चालीसा का पाठ केवल ओडिशा के लोग ही कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, जगन्नाथ चालीसा का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो भगवान जगन्नाथ में आस्था रखता हो। - प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ करते समय कौन-सा आसन सबसे अच्छा होता है?
उत्तर: कुश के आसन पर बैठकर जगन्नाथ चालीसा का पाठ करना श्रेष्ठ होता है। - प्रश्न: क्या जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
उत्तर: हां, जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। - प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने के लिए कौन-सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: दीपक, अगरबत्ती, फूल, और भोग (मिठाई, फल) की आवश्यकता होती है। - प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ किन्हें नहीं करना चाहिए?
उत्तर: ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है, कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है। - प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: इसे 21 दिन या 40 दिन तक करना शुभ माना जाता है। - प्रश्न: क्या जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से ग्रह दोष दूर होते हैं?
उत्तर: हां, जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से ग्रह दोष और अन्य बाधाओं से मुक्ति मिलती है। - प्रश्न: क्या जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने से आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हां, यह चालीसा आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक होती है। - प्रश्न: जगन्नाथ चालीसा का पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पाठ के बाद भगवान जगन्नाथ को भोग अर्पित करें और सभी परिवारजनों के साथ प्रसाद बांटें।