त्रिपुर भैरवी दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या मानी जाती है. जो त्रिपुर भैरवी के भक्त होते है उन्हे देवताओ की कृपा जल्दी मिलती है. ये माता दुर्गा की रूप मानी जाती है। और वामाचार मार्ग की देवी हैं, जिनकी साधना वामाचारी साधकों द्वारा की जाती है। उन्हें अक्षोभ्या भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘जो अक्षोभ्य है’। त्रिपुर भैरवी का ध्यान करने से साधक को भगवती की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में परिवार की सुरक्षा के साथ समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। ये अत्यंत शक्तिशाली और करुणामयी देवी मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों को भय, संकट, और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाती हैं। उनकी साधना से साधक को आत्मिक शक्ति, ज्ञान, और समृद्धि प्राप्त होती है। माता त्रिपुर भैरवी का नाम त्रिपुर का अर्थ है तीनों लोकों की रानी और भैरवी का अर्थ है भयानक शक्ति।
स्वरूप
माता त्रिपुर भैरवी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य होता है। वे लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए होती हैं और उनके शरीर पर लाल आभूषण होते हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे तलवार, खड्ग, त्रिशूल, और कमल का फूल धारण करती हैं। उनकी आंखों में अद्भुत चमक और करुणा का संगम होता है।
मंत्र का विवरण
इस मंत्र का उच्चारण करने से साधक को माता त्रिपुर भैरवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुरक्षा, और समृद्धि मिलती है।
मंत्र
|| ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् || “OM TRIPURAAYE VIDYAMAHE MAHAABHAIRAVE DHEEMAHI TANNO DEVI PRACHODAYAAT”
मंत्र का उच्चारण विधि
- समय: इस मंत्र का उच्चारण ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।
- स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
- आसन: लाल रंग के आसन पर बैठें।
- माला: रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
- मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
- आवश्यक सामग्री: लाल पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, और दीपक जलाएं।
मंत्र जप का समय
इस मंत्र का जप प्रतिदिन 21 दिनों तक करना चाहिए। हर दिन 108 बार मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है।
साधना के दौरान सावधानियाँ
- आयु: इस मंत्र का अभ्यास केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही करें।
- शुद्धता: साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।
- आहार: तामसिक भोजन और मदिरा से बचें।
- संकल्प: मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प लें और साधना पूरी होने तक उसे न तोड़ें।
- गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।
- विश्राम: साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करें।
माता त्रिपुर भैरवी मंत्र के लाभ
- शत्रुओं का नाश: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है।
- विजय प्राप्ति: सभी प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों में विजय प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि: यह मंत्र साधक को धन और समृद्धि प्रदान करता है।
- बुद्धि में वृद्धि: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से बुद्धि का विकास होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- शांति और स्थिरता: माता त्रिपुर भैरवी की उपासना से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- सफलता: जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
- सृजनात्मकता: सृजनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ाता है।
- रोगों से मुक्ति: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।
- सपनों की प्राप्ति: ऊंचे सपनों को साकार करने में मदद करता है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है।
- रक्षा कवच: हर प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
- संकल्प सिद्धि: साधक के संकल्पों को सिद्ध करता है।
- संपूर्ण विकास: शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक विकास में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक शांति: आध्यात्मिक शांति और आनन्द की प्राप्ति होती है।
साधना की अवधि
इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना आवश्यक है। इस दौरान साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- क्या माता त्रिपुर भैरवी की साधना हर कोई कर सकता है?
नहीं, इस साधना को केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही कर सकते हैं। - माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र क्या है?
माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र है:
|| ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ||
- इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए। - इस मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है। - क्या इस साधना के दौरान कोई विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
हां, साधना के दौरान तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए। - साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। - माता त्रिपुर भैरवी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
लाल पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, और दीपक की आवश्यकता होती है। - मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए। - क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए। - माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
शत्रुओं का नाश, विजय प्राप्ति, धन और समृद्धि, बुद्धि में वृद्धि, आत्मविश्वास में वृद्धि, शांति और स्थिरता, सफलता, सृजनात्मकता, धार्मिक उन्नति, सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक ज्ञान, रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, परिवार में सुख-शांति, सपनों की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठा, रक्षा कवच, संकल्प सिद्धि, संपूर्ण विकास, और आध्यात्मिक शांति सहित 20 लाभ प्राप्त होते हैं।
अंत में
माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को विद्या, बुद्धि, धन, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।