Papmochani Ekadashi Vrat – Story, Rituals, Significance

पापमोचनी एकादशी व्रत २०२५ – पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग

पापमोचनी एकादशी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस व्रत से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी दोष और कष्टों से छुटकारा मिलता है।

व्रत का मुहूर्त

पापमोचनी एकादशी व्रत का समय तिथि और मुहूर्त के अनुसार बदलता है। पापमोचनी एकादशी 2025 में मंगलवार, 25 मार्च को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि की शुरुआत सुबह 5:04 बजे 25 मार्च को होगी और यह समाप्त होगी सुबह 3:44 बजे 26 मार्च को। व्रत पारण का समय दोपहर 1:39 बजे से 4:05 बजे तक 26 मार्च को रहेगा।

व्रत विधि

  1. प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले वस्त्र पहनाएं।
  3. तुलसी पत्र, फूल और धूप से पूजा करें।
  4. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  5. रात्रि में जागरण कर भगवान का ध्यान करें।
  6. अगले दिन पारण करें।

व्रत में मंत्र

पापमोचनी एकादशी के दिन निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें:

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
  • ॐ विष्णवे नमः।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

क्या खाएं:

  • फल
  • दूध और दूध से बने पदार्थ
  • मखाने, साबूदाना, कुट्टू का आटा

क्या न खाएं:

  • लहसुन, प्याज
  • अनाज, तामसिक भोजन

पापमोचनी एकादशी व्रत से लाभ

  1. पापों से मुक्ति।
  2. मोक्ष की प्राप्ति।
  3. मानसिक शांति।
  4. स्वास्थ्य लाभ।
  5. धन की प्राप्ति।
  6. शत्रुओं से छुटकारा।
  7. परिवार की सुख-शांति।
  8. आत्मा की शुद्धि।
  9. भगवान विष्णु की कृपा।
  10. अच्छा स्वभाव।
  11. दुःखों से मुक्ति।
  12. जीवन में सफलता।
  13. अच्छे कर्मों में वृद्धि।
  14. आध्यात्मिक उन्नति।
  15. मानसिक संतुलन।
  16. जीवन में सकारात्मकता।
  17. मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति।

व्रत के नियम

  1. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  2. सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करें।
  3. दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
  4. भक्ति और सेवा में समय बिताएं।
  5. असत्य बोलने और बुरे कर्मों से दूर रहें।
  6. दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें।

पापमोचनी एकादशी व्रत की सम्पूर्ण कथा

पापमोचनी एकादशी की कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है। एक बार एक सुंदर वन में च्यवन ऋषि का आश्रम था। उनके आश्रम के पास देवराज इंद्र और अन्य देवता आमोद-प्रमोद कर रहे थे। वहां बहुत सुंदर और मनमोहक दृश्य था। उसी स्थान पर सुंदर अप्सराएँ भी आई थीं। उनमें से एक अप्सरा का नाम मं‍जुघोषा था। मं‍जुघोषा ने ऋषि मेधावी को मोहने का विचार किया। वह अपनी सुंदरता से ऋषि को अपनी ओर आकर्षित करने लगी। धीरे-धीरे ऋषि उस पर मोहित हो गए।

ऋषि मेधावी ने अपने योग और तपस्या को छोड़ दिया और मं‍जुघोषा के साथ समय बिताने लगे। यह क्रम कई वर्षों तक चला, लेकिन ऋषि को समय का पता नहीं चला। एक दिन जब मं‍जुघोषा ने वापस स्वर्ग जाने का निर्णय लिया, तब ऋषि को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्हें अपने तप और साधना के नष्ट होने का बोध हुआ। क्रोध में आकर, ऋषि ने मं‍जुघोषा को श्राप दिया कि वह राक्षसी हो जाए। मं‍जुघोषा ने ऋषि से क्षमा याचना की और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा।

ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। इस व्रत को करने से उसके सभी पाप धुल जाएंगे और वह श्राप से मुक्त हो जाएगी। मं‍जुघोषा ने व्रत किया और श्राप से मुक्त हो गई।

भोग

व्रत के दौरान भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, तुलसी पत्र और पंचामृत का भोग लगाएं। साथ ही, फल और मिष्ठान्न भी अर्पित करें। भोग में खीर, फल, मखाने, और नारियल का प्रयोग करें।

पापमोचनी एकादशी व्रत की शुरुआत और समाप्ति

व्रत की शुरुआत प्रातः काल सूर्योदय के साथ होती है। व्रत की समाप्ति अगले दिन पारण के साथ होती है। पारण करने का समय द्वादशी तिथि को होता है।

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व्रत में सावधानियाँ

  1. सात्विक आहार ग्रहण करें।
  2. मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
  3. तामसिक भोजन और बुरे विचारों से बचें।
  4. दूसरों के साथ मिलनसार व्यवहार रखें।

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पापमोचनी एकादशी व्रत से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: पापमोचनी एकादशी का क्या महत्व है?

उत्तर: यह व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है।

प्रश्न 2: पापमोचनी एकादशी कब आती है?

उत्तर: यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आता है।

प्रश्न 3: व्रत के दिन क्या खाएं?

उत्तर: फल, दूध, मखाने, और कुट्टू का आटा।

प्रश्न 4: व्रत के दिन क्या न खाएं?

उत्तर: लहसुन, प्याज, अनाज और तामसिक भोजन।

प्रश्न 5: व्रत के लाभ क्या हैं?

उत्तर: पापों से मुक्ति, मोक्ष प्राप्ति, और मानसिक शांति।

प्रश्न 6: व्रत का पारण कब किया जाता है?

उत्तर: अगले दिन द्वादशी तिथि को पारण किया जाता है।

प्रश्न 7: क्या इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

प्रश्न 8: क्या व्रत के दिन भगवान विष्णु का विशेष मंत्र है?

उत्तर: हाँ, विष्णु सहस्त्रनाम और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।

प्रश्न 9: व्रत के दिन जागरण का महत्व क्या है?

उत्तर: जागरण से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न 10: पापमोचनी एकादशी व्रत का आरंभ कैसे करें?

उत्तर: प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।

प्रश्न 11: क्या इस व्रत को करने से स्वास्थ्य लाभ भी होता है?

उत्तर: हाँ, यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

प्रश्न 12: व्रत की कथा का क्या महत्व है?

उत्तर: कथा व्रत के महत्व को समझाती है और धार्मिक प्रेरणा देती है।

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