गुरूवार, नवम्बर 7, 2024

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Tulsi Stotra Path- Nectar of Health, Prosperity, & Peace

तुलसी स्तोत्र: स्वास्थ्य, समृद्धि और माता लक्ष्मी की कृपा

तुलसी स्तोत्र पाठ भगवान विष्णु को प्रसन्न करने, शांति, सुख, और समृद्धि प्राप्ति का मार्ग माना गया है। तुलसी माता का पूजन भारतीय परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है, और श्री तुलसी स्तोत्र उनका गुणगान करते हुए उनके आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु किया जाता है। इस स्तोत्र के नियम, विधि, लाभ और सावधानियों का पालन करने से साधक को अद्वितीय लाभ प्राप्त होते हैं।

स्तोत्र के लाभ (Benefits of Tulsi Stotra)

  1. सभी पापों का नाश – तुलसी स्तोत्र का नियमित पाठ साधक के सभी पापों को नष्ट करता है।
  2. भगवान विष्णु का आशीर्वाद – यह स्तोत्र भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और उनके आशीर्वाद से साधक का जीवन सुखमय होता है।
  3. आरोग्य की प्राप्ति – तुलसी स्तोत्र का पाठ शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य प्रदान करता है।
  4. धन और समृद्धि – तुलसी स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को धन, सुख-समृद्धि, और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
  5. बाधाओं का नाश – जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का अंत होता है।
  6. यमराज भय का नाश – यमराज का भय दूर होता है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है।
  7. भयमुक्ति – जीवन से सभी प्रकार के भय और अशुभ शक्तियों का अंत होता है।
  8. शुभ फल की प्राप्ति – जीवन में शुभ फल और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  9. अंतर्मन की शांति – मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. सकारात्मकता की वृद्धि – तुलसी के आशीर्वाद से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  11. दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद – सभी देवताओं की कृपा साधक पर बनी रहती है।
  12. बुरी नजर से बचाव – यह स्तोत्र व्यक्ति को बुरी नजर से बचाता है।
  13. दीर्घायु का वरदान – इसका पाठ दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
  14. पारिवारिक कल्याण – परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।
  15. मनोवांछित फल की प्राप्ति – साधक को अपनी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  16. विवाह में बाधाओं का अंत – अविवाहित व्यक्तियों को विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।
  17. साधना में सफलता – यह स्तोत्र साधक की साधना को सिद्धि में बदलता है।

श्री तुलसी स्तोत्रम् व उसका अर्थ

श्री तुलसी स्तोत्रम्‌

नमो नमः तुलसीकृष्णप्रिया नमो नमः।
नमो नमः तुलसीसत्यव्रता नमो नमः॥

नमः तुलस्यतिसुयक्षामलायै नमो नमः।
नमः सुशीले सुखदे शुभदे नमो नमः॥

तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिय।
केशवस्य त्वया नित्यं भविता वसतिर्लता॥

तुलसी पतु मां नित्यं सर्वापद्भ्यो नमोऽस्तुते।
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्नाग्रे सर्वदेवताः॥

यन्मध्ये सर्ववेदाश्च तुलसी त्वां नमाम्यहम्‌।
तुलस्यै त्वां नमस्तुभ्यं यमदूतो न पश्यति॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः।
अतस्तां पूजयाम्यद्य यमराजभयापहा॥

लक्ष्मीप्रिय नमस्तुभ्यं नमो विष्णुप्रियाङ्गने।
नमो जन्मसहाये च नमः पापप्रणाशिनि॥

नमः पुण्ये नमो पूर्णे नमः शुभफलप्रदे।
नमो विष्णुक्रमे ज्ञेये तुलसी त्वां नमोऽस्तुते॥

श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ का अर्थ

  • हे तुलसी! आप भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूँ। आप सत्यव्रत (सच्ची और पवित्र प्रतिज्ञा धारण करने वाली) हैं। आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
  • हे तुलसी! आपकी शुद्धता अद्वितीय है। आपको प्रणाम है। हे सुशील (सरल स्वभाव वाली), सुख देने वाली, शुभफल देने वाली तुलसी माता, आपको बार-बार प्रणाम।
  • हे तुलसी! आप अमृत रूपी जन्म धारण करने वाली हैं और सदा भगवान केशव (विष्णु) को प्रिय हैं। आप भगवान केशव का नित्य वास स्थान बनती हैं।
  • हे तुलसी माता! आप मेरी हर समय रक्षा करें और मुझे सभी विपत्तियों से बचाएं। मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूँ।
  • आपके मूल (जड़ों) में समस्त तीर्थ और आपके अग्रभाग में समस्त देवताओं का वास है। आपके मध्यभाग में समस्त वेद हैं। हे तुलसी माता, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
  • हे तुलसी माता! जो व्यक्ति आपका पूजन करता है, उसे यमदूत नहीं देख सकते।
  • क्योंकि तुलसी में सभी देवताओं का वास है, इसलिए मैं आपकी पूजा करता हूँ। आपकी पूजा से यमराज का भय समाप्त हो जाता है।
  • हे लक्ष्मी प्रिय तुलसी! आपको नमस्कार है। आप भगवान विष्णु की प्रिय हैं।
  • हे पापों का नाश करने वाली तुलसी माता! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
  • हे पुण्य रूपी और पूर्णता देने वाली तुलसी माता, मैं आपको प्रणाम करता हूँ। आप शुभ फल देने वाली हैं और विष्णु का अनुसरण करती हैं। आपको प्रणाम।
  • इस स्तोत्र में तुलसी माता की महिमा का वर्णन किया गया है, और उन्हें सच्चाई, शुद्धता, सुख, और शुभता का प्रतीक माना गया है। तुलसी माता का पूजन करने से यमराज का भय नहीं रहता और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

तुलसी स्तोत्र पाठ विधि (Method of Chanting Tulsi Stotra)

दिन और अवधि का निर्धारण

तुलसी स्तोत्र का पाठ शुभ मुहूर्त या प्रातः काल करना सर्वोत्तम है। इसे 41 दिनों तक लगातार करने से विशेष लाभ मिलता है।

पूजा विधि

  • तुलसी माता का पूजन – तुलसी के पौधे के समीप दीया जलाकर तुलसी माता का आह्वान करें।
  • साधक का शुद्धिकरण – स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • स्तोत्र पाठ – तुलसी स्तोत्र को पूर्ण मनोयोग से 108 बार जपें।
  • भोग अर्पण – पाठ के बाद तुलसी को जल अर्पित करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं।

तुलसी स्तोत्र के नियम (Rules for Tulsi Stotra Chanting)

  • गुप्त साधना – अपनी साधना को गोपनीय रखें, दूसरों को न बताएं।
  • शुद्ध आचरण – इस दौरान मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना आवश्यक है।
  • सात्विक भोजन – इस अवधि में सात्विक आहार ग्रहण करें।

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तुलसी स्तोत्र पाठ में सावधानियां (Precautions in Chanting Tulsi Stotra)

  • शुद्धता का ध्यान – पाठ करते समय शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखें।
  • तुलसी का अनादर न करें – तुलसी पत्तों को रात में न तोड़ें और उनका उपयोग करने से पहले भगवान को अर्पित करें।
  • भोग लगाने में सावधानी – तुलसी स्तोत्र के पाठ के बाद भोग में तुलसी पत्तियों का उपयोग करें।

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तुलसी स्तोत्र: प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: तुलसी स्तोत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र भगवान विष्णु का प्रिय है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे शांति व समृद्धि प्राप्त होती है।

प्रश्न 2: तुलसी स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र का पाठ प्रातः काल करना श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन शुभ मुहूर्त में भी कर सकते हैं।

प्रश्न 3: तुलसी स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या तुलसी स्तोत्र साधना को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, तुलसी स्तोत्र की साधना को गुप्त रखना चाहिए ताकि इसका प्रभाव साधक पर विशेष रूप से हो।

प्रश्न 5: क्या साधना के दौरान कोई विशेष आहार लेना चाहिए?
उत्तर: साधना के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए ताकि साधना की शुद्धता बनी रहे।

प्रश्न 6: तुलसी स्तोत्र किस प्रकार की बाधाओं का नाश करता है?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र सभी प्रकार की जीवन की बाधाओं और कष्टों को समाप्त करता है।

प्रश्न 7: क्या तुलसी स्तोत्र का पाठ यमराज के भय को समाप्त करता है?
उत्तर: हाँ, तुलसी स्तोत्र का पाठ यमराज के भय को समाप्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

प्रश्न 8: तुलसी स्तोत्र किसे प्रसन्न करता है?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र भगवान विष्णु को अत्यंत प्रसन्न करता है।

प्रश्न 9: तुलसी स्तोत्र के पाठ से क्या शारीरिक लाभ होते हैं?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

प्रश्न 10: तुलसी स्तोत्र में किस प्रकार की शक्ति निहित है?
उत्तर: तुलसी स्तोत्र में पवित्रता, शुद्धि और दिव्यता की शक्ति है जो साधक को भयमुक्त करती है।

प्रश्न 11: क्या तुलसी स्तोत्र सभी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है?
उत्तर: हाँ, तुलसी स्तोत्र का नियमित पाठ साधक की मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति करता है।

प्रश्न 12: क्या तुलसी स्तोत्र के पाठ के बाद कोई विशेष भोग अर्पण करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पाठ के बाद तुलसी पत्तियों का भोग भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए।

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