अन्नपूर्णा भोजनालय: एक पवित्र सेवा
दिव्ययोग आश्रम द्वारा निर्मित होने वाले मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए “अन्नपूर्णा भोजनालय” की स्थापना की जा रही है। इस भोजनालय का उद्देश्य शुद्ध, सात्विक और उत्तम भोजन प्रदान करना है, ताकि सभी भक्तजन तन और मन से तृप्त हो सकें। यह केवल भोजनालय नहीं, बल्कि एक पुण्य सेवा है, जहाँ हर आगंतुक को प्रेम और श्रद्धा से अर्पित अन्न प्राप्त होगा।
दान का महत्व
हिन्दू शास्त्रों में अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ दान बताया गया है। यह केवल भोजन देने तक सीमित नहीं है, बल्कि भूखे को तृप्त करने, सेवा भाव को बढ़ाने और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने का एक महान कार्य है।
- अन्नदान का आध्यात्मिक महत्व:
- “अन्नं ब्रह्म” अर्थात अन्न स्वयं ब्रह्मस्वरूप है।
- किसी भूखे को भोजन कराना, ईश्वर को प्रसन्न करने के समान माना जाता है।
- गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि यज्ञ, तप और दान से संसार की उन्नति होती है।
- उपकरण दान का महत्व:
- भोजन बनाने के लिए आवश्यक उपकरणों का दान, प्रत्यक्ष रूप से संत-भक्तों की सेवा में सहायक होता है।
- यह दान लंबे समय तक पुण्यफल प्रदान करता है, क्योंकि इससे निरंतर भोजन निर्माण संभव होता है।
- रसोई गैस, बर्तन, ग्राइंडर, चूल्हा, भंडारण पात्र आदि का योगदान अन्नपूर्णा सेवा को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है।
आपका सहयोग कैसे करें?
यदि आप भोजन या रसोई उपकरणों का दान करके इस पुण्य कार्य में योगदान देना चाहते हैं, तो यह सेवा आपके लिए आत्मिक शांति और आध्यात्मिक लाभ का माध्यम बनेगी। आपके सहयोग से यह पवित्र भोजनालय निरंतर श्रद्धालुओं की सेवा करता रहेगा।
“संतोषं परमं लाभं, अन्नदानं परं दानम्।”
(संतोष सबसे बड़ा लाभ है और अन्नदान सबसे श्रेष्ठ दान है।)
आइए, हम सब मिलकर इस शुभ कार्य में सहभागी बनें और अन्नपूर्णा माता की कृपा प्राप्त करें।