आषाढ़ी नवरात्रि – गुप्त साधनाओं और सिद्धियों की दिव्य रातें
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाने वाली आषाढ़ी नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि या तांत्रिक नवरात्रि भी कहा जाता है। यह नवरात्रि प्रकट नहीं, बल्कि भीतर की ऊर्जा को जगाने का पर्व है। सामान्यतः लोग केवल शारदीय या वासंती नवरात्रि जानते हैं, परंतु आषाढ़ी नवरात्रि का विशेष महत्व साधकों, तांत्रिकों और देवी उपासकों के लिए होता है।
इस नवरात्रि में शक्ति की नौ विशेष स्वरूपों की उपासना की जाती है, परंतु यह पूजन आम नहीं, गुप्त, सिद्धिप्रद, और संकटहारी होता है। यह साधना काल विशेष रूप से बगलामुखी, तारा, चामुंडा, भैरवी, कालरात्रि, मातंगी आदि उग्र शक्तियों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।
DivyaYogAshram के अनुसार, यह समय साधनाओं के उन्नयन, अद्भुत सिद्धियों, तंत्र-मंत्र सिद्धि, कर्ज मुक्ति, रोग शांति और दुर्भाग्य निवारण हेतु अत्यंत उपयोगी होता है।
अद्भुत लाभ (Benefits of Ashadhi Navratri)
- गुप्त साधनाओं में सफलता प्राप्त होती है।
- तांत्रिक प्रयोगों की सिद्धि का विशेष काल होता है।
- रोग, शोक, भय और बाधा का निवारण होता है।
- विशेष मंत्रों की सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
- भूत-प्रेत, काली शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- व्यापार और धन संबंधी रुकावटें समाप्त होती हैं।
- संतान प्राप्ति या संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
- घर, दुकान, ऑफिस की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- माँ बगलामुखी और माँ चामुंडा की कृपा प्राप्त होती है।
- कोर्ट केस, वाद-विवाद में विजय मिलती है।
- साधना शक्ति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
- जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति आती है।
- कुंडलिनी शक्ति जागरण के लिए शुभ समय है।
- आत्मिक उत्थान और मोक्ष की ओर गति मिलती है।
नियम (Niyam / Rules)
- नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
- सात्विक भोजन करें या फलाहार लें।
- झूठ, क्रोध, निंदा, विवाद से दूर रहें।
- प्रतिदिन देवी की आरती, चालीसा या सप्तशती का पाठ करें।
- यदि साधना कर रहे हैं, तो नियमपूर्वक एक ही स्थान पर करें।
- काले, नीले वस्त्र न पहनें – लाल/पीले/गुलाबी उपयुक्त हैं।
- घर की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखें।
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat – 2025)
- आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ: 26 जून 2025, शुक्रवार – सुबह 06:12 बजे
- नवमी समाप्ति: 4 जुलाई 2025, शुक्रवार – रात्रि 08:40 बजे
विशेष पूजन तिथि:
- अष्टमी: ३ जुलाई 2025 – अष्टलक्ष्मी, चंडी, तारा साधना के लिए उत्तम
- नवमी: ४ जुलाई 2025 – कन्या पूजन, पूर्णाहुति, बगलामुखी विशेष प्रयोग
पूजन विधि (Daily Puja Vidhi)
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- देवी को चावल, फूल, नारियल, फल अर्पित करें।
- दीपक जलाएं – घी या तिल के तेल से।
- देवी दुर्गा या विशेष देवी (तारा, बगलामुखी) की मूर्ति/चित्र को स्थापित करें।
- नवदुर्गा पाठ, सप्तशती, चालीसा, 108 नाम आदि का पाठ करें।
- विशेष मंत्र का जप करें – जैसे:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” - भोग अर्पण करें – खीर, फल, पंचामृत आदि।
- संध्या में दीप, धूप, नैवेद्य और आरती करें।
- अंतिम दिन कन्या पूजन या हवन अवश्य करें।
सामान्य प्रश्न
Q1. क्या यह नवरात्रि सभी के लिए है या केवल तांत्रिकों के लिए?
यह गुप्त नवरात्रि है, पर कोई भी भक्त श्रद्धा से पूजन कर सकता है। साधक इसे साधना के लिए उपयोग करें।
Q2. क्या नौ दिन व्रत रखना जरूरी है?
हाँ, शक्ति जागरण हेतु नियमपूर्वक व्रत करना लाभकारी है।
Q3. क्या इस समय विशेष साधनाएँ सिद्ध होती हैं?
हाँ, यह समय विशेष मंत्र, यंत्र, और प्रयोगों की सिद्धि हेतु उपयुक्त है।
Q4. क्या महिलाएँ भी यह साधना कर सकती हैं?
हाँ, परंतु मासिक धर्म काल में विश्राम रखें।
Q5. क्या यह व्रत फलाहारी हो सकता है?
हाँ, फलाहार या एक समय सात्विक भोजन लिया जा सकता है।
Q6. क्या रात में भी साधना की जा सकती है?
हाँ, विशेषत: बगलामुखी या तारा साधना रात्रि में की जाती है।
Q7. क्या इस समय देवी दर्शन या संकेत मिलते हैं?
श्रद्धा, निष्ठा और नियम से साधना करने पर कई साधकों को दिव्य संकेत मिलते हैं।
आषाढ़ी नवरात्रि कोई सामान्य पर्व नहीं – यह आत्म-जागरण, तांत्रिक उन्नयन और शक्ति प्राप्ति का दुर्लभ समय है। यदि आप जीवन की समस्याओं से बाहर निकलना चाहते हैं, या साधना में उच्च लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं – तो यह समय चूकना नहीं चाहिए।
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