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Astrology Secrets – Will You Be a King or a Pauper?

कुंडली के ये ग्रह बना सकते हैं राजा या रंक! सावधान रहें!

Astrology Secrets – ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति मनुष्य के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। कभी यही ग्रह इंसान को राजा बना देते हैं, तो कभी रंक तक पहुँचा देते हैं। आपके भाग्य, धन, सफलता और असफलता के पीछे ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
DivyayogAshram के अनुसार ग्रह दशा और गोचर ही जीवन का उत्थान या पतन तय करते हैं। इस लेख में जानेंगे कौन-से ग्रह आपकी कुंडली में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।


सूर्य: राजा बनाने वाला या अहंकारी करने वाला ग्रह

सूर्य आत्मविश्वास, सत्ता और प्रतिष्ठा का कारक है। यदि सूर्य उच्च का हो और केंद्र भाव में हो तो व्यक्ति राजा समान होता है। सूर्य की कृपा से व्यक्ति नेतृत्व, राजनीति और प्रशासन में सफलता पाता है। लेकिन यदि सूर्य नीच का हो तो अहंकार, अपमान और संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
DivyayogAshram बताता है कि सूर्य दोष दूर करने के लिए रविवार को अर्घ्य देना लाभकारी होता है।


चंद्रमा: मन और लोकप्रियता का कारक

चंद्रमा मन और भावना का स्वामी है। मजबूत चंद्रमा व्यक्ति को लोकप्रियता और जनसमर्थन दिलाता है। राजनीति, कला और समाज सेवा में सफलता का रहस्य मजबूत चंद्रमा है। लेकिन कमजोर चंद्रमा चिंता, मानसिक परेशानी और अस्थिरता लाता है।
DivyayogAshram के अनुसार सोमवार को दुग्ध अर्पण और “ॐ सोमाय नमः” मंत्र जप अत्यंत लाभकारी है।


मंगल: शक्ति और पराक्रम का स्वामी

मंगल साहस, ऊर्जा और भूमि का कारक है। यदि मंगल बलवान हो तो व्यक्ति सेनापति, उद्योगपति और शक्तिशाली बनता है। कमजोर मंगल क्रोध, दुर्घटना और शत्रुओं की वृद्धि करता है। मंगल दोष वाले व्यक्ति को कोर्ट केस और पारिवारिक झगड़े झेलने पड़ते हैं।
DivyayogAshram सलाह देता है कि मंगलवार को हनुमान जी की पूजा मंगल दोष को शांत करती है।


बुध: वाणी और बुद्धिमत्ता से राजा या रंक

बुध वाणी, बुद्धिमत्ता और व्यापार का कारक है। शुभ बुध व्यक्ति को व्यापार में सफलता और समाज में मान-सम्मान दिलाता है। लेकिन पीड़ित बुध से झूठ, धोखा और आर्थिक नुकसान होता है। राजनीति और व्यवसाय में बुध की भूमिका निर्णायक होती है।
DivyayogAshram बुध दोष निवारण हेतु बुधवार को हरी मूंग दान करने की सलाह देता है।


गुरु (बृहस्पति): भाग्यवृद्धि और राजयोग का कारक

गुरु ज्ञान, धन और भाग्य का प्रतीक है। मजबूत गुरु से व्यक्ति को राजयोग, विद्या और धर्म से सम्मान मिलता है। गुरु की कृपा से साधारण व्यक्ति भी ऊँचाईयों पर पहुँच जाता है। लेकिन नीच गुरु से कर्ज, धोखा और असफलता होती है।
DivyayogAshram के अनुसार “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जप और पीला वस्त्र धारण शुभ होता है।


शुक्र: भोग और ऐश्वर्य का प्रदाता

शुक्र सुख, कला, सौंदर्य और वैभव का ग्रह है। मजबूत शुक्र से धन, प्रेम और विलासिता मिलती है। कला और मनोरंजन में सफलता का कारण शुक्र ही है। लेकिन पीड़ित शुक्र से व्यक्ति भोग-विलास में डूबकर पतन की ओर चला जाता है।
DivyayogAshram शुक्र दोष निवारण हेतु शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा सुझाता है।


शनि: कर्मफल और न्याय का स्वामी

शनि कर्म का कठोर न्यायाधीश है। बलवान शनि व्यक्ति को राजा बना देता है, लेकिन कमजोर शनि संघर्ष दिलाता है।
साढ़े साती और ढैया जीवन की कठिन परीक्षा लेते हैं। शनि मेहनत और अनुशासन से व्यक्ति को ऊँचाई तक ले जाता है।
DivyayogAshram के अनुसार शनिवार को तिल दान और शनि मंत्र जप करना शुभ होता है।


राहु-केतु: अचानक उत्थान और पतन

राहु और केतु रहस्यमय ग्रह हैं। राहु यदि शुभ हो तो अचानक धन और पद दिलाता है। लेकिन पीड़ित राहु धोखा, नशा और विवाद लाता है। केतु आध्यात्मिकता और गूढ़ विद्या का कारक है। कमजोर केतु से मानसिक भ्रम और एकांतप्रियता बढ़ती है।
DivyayogAshram इन ग्रहों की शांति हेतु विशेष पूजन और मंत्र साधना करवाता है।


राजा या रंक बनने से बचने के उपाय

  1. प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पण करें।
  2. माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें।
  3. जन्म कुंडली अनुसार रत्न धारण करें।
  4. ग्रह दोष निवारण हेतु विशेष पूजन करवाएं।
  5. DivyayogAshram की “राजयोग साधना” जीवन में चमत्कार ला सकती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. 1: क्या सभी ग्रह एक समान असर करते हैं?
उत्तर: नहीं, हर ग्रह का असर अलग और कुंडली अनुसार होता है।

प्र. 2: क्या ग्रह बदलकर भाग्य सुधर सकता है?
उत्तर: ग्रह बदले नहीं जाते, उपाय से उनके प्रभाव को संतुलित किया जाता है।

प्र. 3: क्या रत्न धारण करना जरूरी है?
उत्तर: सही कुंडली विश्लेषण के बाद ही रत्न पहनना चाहिए।

प्र. 4: DivyayogAshram में कौन-कौन सी सेवाएँ मिलती हैं?
उत्तर: कुंडली विश्लेषण, दोष निवारण पूजन, रत्न सलाह, और विशेष साधना।

प्र. 5: क्या राहु-केतु हमेशा बुरे होते हैं?
उत्तर: नहीं, शुभ स्थिति में राहु-केतु चमत्कारी परिणाम देते हैं।

प्र. 6: क्या शनि की साढ़े साती हमेशा कष्ट देती है?
उत्तर: नहीं, यदि शनि शुभ है तो साढ़े साती प्रगति दिलाती है।

प्र. 7: क्या मंत्र जप से ग्रह दोष शांत होते हैं?
उत्तर: हाँ, नियमित मंत्र जप ग्रह दोष को संतुलित करता है।

प्र. 8: क्या कोई ग्रह अचानक अमीर बना सकता है?
उत्तर: हाँ, राहु और शुक्र की कृपा अचानक धन दिला सकती है।

प्र. 9: क्या केवल कर्म ही जीवन बदलते हैं?
उत्तर: हाँ, कर्म ही ग्रहों के प्रभाव को सक्रिय करते हैं।

प्र. 10: DivyayogAshram में ऑनलाइन सेवा उपलब्ध है?
उत्तर: जी हाँ, ऑनलाइन कुंडली और उपाय परामर्श उपलब्ध है।


ग्रहों की शक्ति को समझें और सावधान रहें

ग्रह आपके जीवन को राजा भी बना सकते हैं और रंक भी। सही समय पर सही उपाय करना ही जीवन का संतुलन है।
DivyayogAshram आपको कुंडली अनुसार सटीक मार्गदर्शन और उपाय प्रदान करता है। आज ही अपनी जन्म कुंडली का रहस्य जानें और ग्रहों की शक्ति को अपने पक्ष में करें।


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