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Bhog Yakshini for Earthly pleasures

सांसारिक सुख देने वाली भोग यक्षिणी मंत्र, का जप ग्रहस्थ ब्यक्तियों के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। (ॐ ह्रीं भोग यक्षिणे मम् वशमानय स्वाहा) एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसे भोग यक्षिणी को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है जो साधक को भौतिक सुख-सुविधाओं, समृद्धि, और मनोकामनाओं की पूर्ति प्रदान करती हैं।

भोग यक्षिणी मंत्र का अर्थ

“ॐ ह्रीं भोग यक्षिणे मम् वशमानय स्वाहा” मंत्र का अर्थ है:

  • : यह बीज मंत्र है, जो सृष्टि की सभी ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ह्रीं: यह शक्ति का बीज मंत्र है, जो साधक के भीतर आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को जाग्रत करता है।
  • भोग यक्षिणे: भोग यक्षिणी को संबोधित किया गया है, जो भोग, सुख, और समृद्धि की दात्री मानी जाती हैं।
  • मम् वशमानय: इसका अर्थ है “मुझे अपने वश में कर” या “मुझे इच्छित भोग प्रदान कर”।
  • स्वाहा: यह एक समर्पण का मंत्र है, जिसका मतलब है कि जो भी हम मांगते हैं, वह पूर्ण हो और उसके लिए देवी को धन्यवाद।

भोग यक्षिणी मंत्र जप विधि

भोग यक्षिणी मंत्र को जपने से पहले आपको विधिवत तरीके से इसकी साधना करनी चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

1. दिन और समय का चयन

  • भोग यक्षिणी मंत्र का जप शुक्रवार के दिन से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है क्योंकि शुक्रवार को देवी लक्ष्मी और अन्य शक्तियों की पूजा का दिन माना जाता है।
  • जप का समय रात्रि के समय विशेष रूप से प्रभावी होता है, लेकिन इसे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय भी किया जा सकता है।
  • यदि विशेष मुहूर्त में मंत्र जप करना है, तो किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं।

2. साधना की अवधि

  • इस मंत्र की साधना कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक की जाती है।
  • साधना की अवधि के दौरान, हर दिन निश्चित संख्या में मंत्र का जप करना चाहिए।

3. मंत्र जप की संख्या

  • प्रारंभ में 108 बार (एक माला) जप करना अनिवार्य है।
  • साधक की क्षमता और संकल्प के अनुसार, 11 माला यानी 1188 मंत्र प्रतिदिन जपने का भी प्रावधान है।
  • निरंतर जप करते समय साधक को संख्या का ध्यान रखना चाहिए और ध्यान एकाग्र रखना चाहिए।

4. साधना सामग्री

  • लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनकर साधना करें।
  • रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  • भोग यक्षिणी की मूर्ति या तस्वीर को सामने रखें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • प्रसाद के रूप में मिठाई या फलों का भोग अर्पित करें।
  • गुलाब के फूल और चंदन का प्रयोग करें।

भोग यक्षिणी मंत्र जप के नियम

  • मंत्र जप के समय शरीर, मन, और वचन की पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • मंत्र जप हमेशा अकेले में और शांत स्थान पर करना चाहिए ताकि ध्यान भंग न हो।
  • साधना के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें और असत्य, क्रोध, और वाद-विवाद से दूर रहें।
  • साधना की अवधि में साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • प्रतिदिन एक ही स्थान पर और एक ही समय पर जप करने का प्रयास करें।
  • यदि आप किसी कारणवश जप नहीं कर पाते हैं, तो साधना के बाद उस दिन का जप संख्या पूरी करें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

  • भोग यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक साधना है, इसलिए इसे बिना ज्ञान के या उचित मार्गदर्शन के बिना न करें।
  • किसी भी प्रकार की तामसिक गतिविधियों या असुरक्षित साधनों से बचें।
  • साधना के दौरान नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहें।
  • अगर साधना के दौरान किसी प्रकार की मानसिक या शारीरिक परेशानी होती है, तो तुरंत किसी अनुभवी गुरु या तांत्रिक से परामर्श करें।
  • मंत्र साधना के उद्देश्य को पवित्र और सही रखें, अन्यथा इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।

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भोग यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. भोग यक्षिणी कौन हैं?

  • भोग यक्षिणी एक तांत्रिक देवी हैं जिन्हें भौतिक सुख-सुविधाओं और समृद्धि की दात्री माना जाता है।

2. भोग यक्षिणी मंत्र का क्या महत्व है?

  • यह मंत्र साधक को मनोकामनाओं की पूर्ति, आर्थिक समृद्धि, और जीवन में भौतिक सुख प्रदान करने में मदद करता है।

3. इस मंत्र का जप कब किया जाता है?

  • मंत्र जप का सर्वश्रेष्ठ दिन शुक्रवार है और इसे रात्रि के समय करना अधिक प्रभावी होता है।

4. क्या भोग यक्षिणी मंत्र सभी के लिए है?

  • यह मंत्र साधना के योग्य सभी व्यक्तियों के लिए है, लेकिन इसे सही मार्गदर्शन और नियमों का पालन करते हुए ही करना चाहिए।

5. मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

  • यह साधना कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक करनी चाहिए।

6. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का प्रयोग किया जाना चाहिए?

  • रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है।

7. मंत्र जप के दौरान किस प्रकार का आहार ग्रहण करना चाहिए?

  • सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और तामसिक और राजसिक आहार से दूर रहना चाहिए।

8. मंत्र जप के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

  • मन, वचन, और शरीर की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।

9. क्या भोग यक्षिणी मंत्र का जप एकांत में करना चाहिए?

  • हां, यह मंत्र साधना एकांत में करना अधिक प्रभावी होता है।

10. क्या इस मंत्र से संबंधित कोई जोखिम है?

  • यदि मंत्र जप गलत तरीके से किया जाए या इसके नियमों का उल्लंघन किया जाए तो इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।

11. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी वस्त्र धारण करनी चाहिए?

  • लाल या पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

12. मंत्र जप के लिए किस प्रकार का दीपक जलाना चाहिए?

  • शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

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