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Body Protection Mantra – Ensuring Safety During Spiritual Practices

देह रक्षा मंत्र: साधना से पहले सुरक्षा का कवच

देह रक्षा मंत्र साधना, पूजा और अनुष्ठान के पहले जपने वाला महत्वपूर्ण मंत्र है। यह शरीर की रक्षा सुनिश्चित करता है, डर और बाधाओं से बचाता है। किसी भी साधना या पूजा से पहले इसे जपकर स्वयं को सुरक्षित किया जा सकता है। इस मंत्र का उच्चारण आत्मिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए अत्यंत लाभकारी है।

विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

ॐ अस्य देह रक्षा मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, आत्मरक्षा देवता।
मम शरीर सुरक्षा हेतुः जपे विनियोगः॥

अर्थ:

इस मंत्र में ब्रह्मा को ऋषि, गायत्री को छंद और आत्मरक्षा को देवता माना गया है। इसे शरीर की सुरक्षा के लिए जपने का विधान बताया गया है।

देह रक्षा मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

देह रक्षा मंत्र:

॥ॐ परम् ब्रह्म परमात्मने मम् शरीरे पाही पाही कुरु कुरु स्वाहा॥

मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

यह मंत्र उच्च शक्ति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान करता है। इसका शाब्दिक और भावनात्मक अर्थ इस प्रकार है:

ॐ परम् ब्रह्म परमात्मने
यह ब्रह्मांड के सर्वोच्च और परमात्मा को संबोधित करता है। इसका मतलब है, “हे परम ब्रह्म और परमात्मा, मैं आपकी शरण में हूं।”

मम् शरीरे पाही पाही
यहां साधक अपने शरीर की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। “मेरे शरीर की हर स्थिति में रक्षा करें। हर ओर से सुरक्षित रखें।”

कुरु कुरु स्वाहा
यह आदेश और प्रार्थना का संयोजन है। “हे परमात्मा, मेरी प्रार्थना को तुरंत स्वीकार करें और मेरी रक्षा सुनिश्चित करें।”

भावार्थ:

यह मंत्र न केवल शरीर को शारीरिक खतरों से बचाने के लिए है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रक्षा का भी माध्यम है। यह आत्मा को शक्ति, विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

  • जब साधक इस मंत्र का जप करता है, तो उसकी हर दिशा में सुरक्षा का कवच निर्मित होता है।
  • यह मंत्र अनिष्ट शक्तियों को दूर करता है और भय, चिंता, और अनहोनी घटनाओं से बचाव करता है।

लाभ:

  • मन को शांति और विश्वास प्रदान करता है।
  • किसी भी पूजा, साधना, या अनुष्ठान के दौरान अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करता है।
  • आत्मा और शरीर को शुद्ध और सुरक्षित बनाता है।
  • यात्रा, तांत्रिक पूजा, या किसी भी जोखिमभरी स्थिति में सुरक्षा प्रदान करता है।

देह रक्षा मंत्र साधक के लिए एक अदृश्य कवच की तरह कार्य करता है, जो हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है।

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जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

  1. सात्त्विक भोजन करें।
  2. दूध और फलों का सेवन करें।
  3. हल्दी और तुलसी का उपयोग करें।
  4. पानी अधिक पियें।
  5. मसालेदार और तली-भुनी चीज़ों से बचें।

देह रक्षा मंत्र के लाभ

  1. शरीर की पूर्ण सुरक्षा।
  2. साधना करते समय आत्मिक और शारीरिक रक्षा।
  3. तांत्रिक पूजा के दौरान भय से मुक्ति।
  4. अकस्मात दुर्घटना से सुरक्षा।
  5. भय और चिंता से छुटकारा।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  7. अनिष्ट शक्तियों से बचाव।
  8. मानसिक शांति का अनुभव।
  9. ध्यान में गहराई।
  10. परिवार और घर की सुरक्षा।
  11. यात्रा के दौरान सुरक्षा।
  12. शत्रुओं से रक्षा।
  13. पूजा-अनुष्ठान में सफलता।
  14. भयमुक्त जीवन।
  15. सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव।
  16. मंत्र शक्ति का प्रभाव।
  17. आत्मा की शुद्धि।
  18. आध्यात्मिक विकास।

देह रक्षा मंत्र की पूजा सामग्री

  1. घी का दीपक।
  2. हल्दी।
  3. लाल रंग का आसन।

मंत्र विधि

  1. हल्दी का तिलक लगाकर लाल आसन पर बैठें।
  2. घी का दीपक जलाएं।
  3. 20 मिनट व ७ दिन मंत्र का जप करें।
  4. जप समाप्ति के बाद पूजा या कार्य प्रारंभ करें।
  5. पूजा, साधना, तांत्रिक अनुष्ठान करने जा रहे है तो तो इस मंत्र का ११ बार जप करके पूजा शुरु करे। इसके अलावा किसी भी कार्य के लिये घर से बाहर जा रहे है तो भी इस मंत्र का ११ बार जप करके घर से बाहर निकले।

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मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

  1. दिन: सोमवार या पूर्णिमा।
  2. अवधि: 20 मिनट व 7 दिन।
  3. मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त या संध्या समय।

मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष जप कर सकते हैं।
  2. सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
  3. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

  1. मंत्र जप में लापरवाही न करें।
  2. अशुद्ध मन से जप न करें।
  3. शोरगुल वाली जगह पर जप न करें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें।

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देह रक्षा मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: देह रक्षा मंत्र का अर्थ क्या है?

उत्तर: यह मंत्र शरीर की पूर्ण सुरक्षा और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है।

प्रश्न 2: इसे कब जपना चाहिए?

उत्तर: साधना, पूजा या यात्रा के पहले।

प्रश्न 3: क्या स्त्री-पुरुष दोनों जप सकते हैं?

उत्तर: हां, 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष इसे जप सकते हैं।

प्रश्न 4: कितने दिन तक जप करना चाहिए?

उत्तर: 7 दिन तक नियमित जप करें।

प्रश्न 5: क्या विशेष सामग्री चाहिए?

उत्तर: घी का दीपक, हल्दी, और लाल आसन।

प्रश्न 6: मंत्र जप का सबसे शुभ समय कौन सा है?

उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त और संध्या समय।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के लिए कोई नियम हैं?

उत्तर: हां, सात्त्विकता और शुद्धता का पालन करें।

प्रश्न 8: क्या इसे किसी भी कार्य से पहले जप सकते हैं?

उत्तर: हां, इसे कार्य के पहले जपना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र डर को दूर करता है?

उत्तर: हां, यह सभी प्रकार के डर और चिंता को दूर करता है।

प्रश्न 10: क्या यात्रा के पहले इसे जपना चाहिए?

उत्तर: हां, यात्रा की सुरक्षा के लिए जप करें।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करता है?

उत्तर: हां, यह शत्रुओं से बचाव करता है।

प्रश्न 12: क्या इसे नियमित जपना चाहिए?

उत्तर: हां, नियमित जप से अधिक लाभ होता है।

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