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Chanda Yogini Mantra for Guidance and Help in Troubles

चंड योगिनी देवी एक शक्तिशाली और दिव्य शक्ति हैं जो स्वप्न में साधकों को उनके प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती हैं, मार्गदर्शन करती हैं, और कठिनाइयों में सहायता करती हैं। यह साधना उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है जो अपने जीवन में किसी विशेष समस्या का समाधान खोज रहे हैं या जिनकी जीवन यात्रा में कई मुश्किलें आ रही हैं। देवी की साधना तंत्र शास्त्र में अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

चंड योगिनी मंत्र

“ॐ ह्रीं सः चंड योगिन्ये स्वाहा”

विधि

  1. सामग्री: एक स्वच्छ स्थान, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, चंदन, मूर्ति या चित्र, और मंत्र की पुस्तक।
  2. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. स्थान चयन: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  4. आसन: लाल वस्त्र पर आसन बिछाकर बैठें।
  5. मूर्ति या चित्र: चित्र को अपने सामने रखें।
  6. पूजन: देवी को लाल पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, और चंदन अर्पित करें।
  7. मंत्र जाप: निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें:
    “ॐ चंडायै नमः।”
  8. ध्यान: देवी का ध्यान करें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  9. स्वप्न में प्रश्न: साधना के बाद, सोते समय अपने मन में प्रश्न करें और देवी से स्वप्न में उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  10. आवृत्ति: इस विधि को 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।

लाभ

  1. स्वप्न में उत्तर: देवी साधक को स्वप्न में उनके प्रश्नों के उत्तर देती हैं।
  2. भविष्य दृष्टि: साधक को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
  3. समस्या समाधान: देवी साधक की समस्याओं का समाधान करती हैं।
  4. भयमुक्ति: साधक को भय से मुक्ति मिलती है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: साधक के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  6. मानसिक शांति: साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. सफलता: देवी साधक के कार्यों में सफलता प्रदान करती हैं।
  9. स्वास्थ्य: देवी की कृपा से साधक स्वस्थ और निरोगी रहता है।
  10. समृद्धि: देवी की उपासना से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  11. शत्रुओं से रक्षा: देवी साधक को शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
  12. परिवार की सुख-शांति: देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  13. आत्मविश्वास: साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  14. सपनों की सच्चाई: साधक के सपने सच्चे और स्पष्ट होते हैं।
  15. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव: देवी की कृपा से प्राकृतिक आपदाओं से बचाव होता है।
  16. प्रेम में सफलता: साधक को प्रेम में सफलता मिलती है।
  17. विवाह में सफलता: साधक के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  18. संतान प्राप्ति: साधक को संतान सुख प्राप्त होता है।
  19. सत्संग का लाभ: साधक को संतों का संग प्राप्त होता है।
  20. दिव्य दृष्टि: साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।

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साधना का दिन

इस की साधना के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा, अमावस्या और पूर्णिमा की रात भी साधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली होती है।

अवधि

चंड योगिनी की साधना को कम से कम 21 दिनों तक नियमित रूप से किया जाना चाहिए। यह अवधि साधक को देवी की कृपा और साधना की पूर्णता प्रदान करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. चंड योगिनी मंत्र किसके लिए उपयोगी है?
यह मंत्र हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो भय, बाधा और नकारात्मकता से मुक्त होना चाहता है।

2. मंत्र का जाप किस समय करना चाहिए?
सुबह ब्रह्ममुहूर्त या रात्रि 12 बजे के बाद मंत्र जाप उत्तम माना जाता है।

3. क्या विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
हाँ, मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष माला, काले वस्त्र और दीपक की आवश्यकता होती है।

4. मंत्र जाप कितने समय तक करना चाहिए?
यह मंत्र जाप 40 दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

5. क्या बिना गुरु के मंत्र सिद्ध हो सकता है?
सिद्धि के लिए गुरु मार्गदर्शन आवश्यक है, पर साधना प्रारंभ की जा सकती है।

6. क्या मंत्र का जाप घर पर किया जा सकता है?
हाँ, घर में पवित्र स्थान पर जाप किया जा सकता है।

7. मंत्र के जाप से क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं?
यह मानसिक शांति, ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार प्रदान करता है।

8. मंत्र का प्रभाव कितने दिनों में दिखता है?
साधना की श्रद्धा और निरंतरता से परिणाम भिन्न हो सकते हैं।

9. क्या यह मंत्र किसी भी समय जपा जा सकता है?
नहीं, इसे शुभ मुहूर्त में ही जपना चाहिए।

10. क्या अन्य मंत्रों के साथ इसका जाप किया जा सकता है?
हाँ, परंतु साधना में एकाग्रता बनाए रखें।

11. क्या महिलाएं इस मंत्र का जाप कर सकती हैं?
हाँ, महिलाएं भी साधना कर सकती हैं।

12. क्या साधना में किसी प्रकार का व्रत आवश्यक है?
हाँ, साधना के दौरान सात्विक और संयमित व्रत आवश्यक है।

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अंत में

ये साधना अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य होती है। साधना के दौरान साधक को पूर्ण एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए। देवी की कृपा से साधक को अपने जीवन की समस्याओं का समाधान, भविष्य की दृष्टि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। साधना के दौरान निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  1. स्थान का चयन: साधना का स्थान शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
  2. सामग्री की शुद्धता: साधना में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।
  3. मन की शुद्धता: साधना करते समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए।
  4. नियमितता: साधना को नियमित रूप से करें और विधि का पालन करें।
  5. सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक पदार्थों से बचें।

इस साधना से साधक को जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि का मार्ग प्राप्त होता है। देवी की कृपा से साधक को उनके जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन और सहायता मिलती है। साधना के बाद साधक को देवी का धन्यवाद देना चाहिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करनी चाहिए।

साधना के माध्यम से साधक को दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं और वे देवी की कृपा से अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। योगिनी की साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। देवी की उपासना से साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वे एक सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।

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