चंद्रघंटा कवचम्: देवी की कृपा और आध्यात्मिक उन्नति
चंद्रघंटा देवी मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन होती है। उनका स्वरूप सौम्य होने के साथ-साथ युद्ध के लिए तत्पर रहता है। उनके माथे पर चंद्र के आकार की घंटा की आकृति होती है, जिससे उन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। चंद्रघंटा कवचम् पाठ देवी की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने का शक्तिशाली साधन है। इस कवच के नियमित पाठ से साधक को भयंकर संकटों और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
संपूर्ण चंद्रघंटा कवचम् और उसका अर्थ
संपूर्ण चंद्रघंटा कवचम्
शिरः पातु चंद्रघंटा,
मस्तकं पातु चन्द्रमौली।
नेत्रे पातु चन्द्रमुखी,
कर्णौ रत्नमालिनी।
नासिकां पातु चंद्रघंटा,
वदनं पातु चंद्रिका।
जिव्हां पातु चंद्रशोभा,
कंठं पातु चंद्रमौली।
स्कंधौ पातु चंद्रघंटा,
हृदयं पातु चंद्रप्रिया।
कटिं पातु चंद्रलेखा,
पादौ मे चंद्रवल्ली।
सर्वाङ्गं पातु चंद्रघंटा,
सर्वदा सर्वरक्षाकरी॥
कवच का अर्थ
- शिरः पातु चंद्रघंटा: मेरे सिर की रक्षा चंद्रघंटा देवी करें।
- मस्तकं पातु चन्द्रमौली: मेरे माथे की रक्षा चन्द्रमौली देवी करें।
- नेत्रे पातु चन्द्रमुखी: मेरे नेत्रों की रक्षा चंद्रमुखी देवी करें।
- कर्णौ रत्नमालिनी: मेरे कानों की रक्षा रत्नमालिनी देवी करें।
- नासिकां पातु चंद्रघंटा: मेरी नासिका की रक्षा चंद्रघंटा करें।
- वदनं पातु चंद्रिका: मेरे मुख की रक्षा चंद्रिका देवी करें।
- जिव्हां पातु चंद्रशोभा: मेरी जीभ की रक्षा चंद्र की शोभा वाली देवी करें।
- कंठं पातु चंद्रमौली: मेरे गले की रक्षा चंद्रमौली देवी करें।
- स्कंधौ पातु चंद्रघंटा: मेरे कंधों की रक्षा चंद्रघंटा करें।
- हृदयं पातु चंद्रप्रिया: मेरे हृदय की रक्षा चंद्रप्रिया देवी करें।
- कटिं पातु चंद्रलेखा: मेरी कमर की रक्षा चंद्रलेखा देवी करें।
- पादौ मे चंद्रवल्ली: मेरे पैरों की रक्षा चंद्रवल्ली देवी करें।
- सर्वाङ्गं पातु चंद्रघंटा: सम्पूर्ण शरीर की रक्षा चंद्रघंटा देवी करें।
- सर्वदा सर्वरक्षाकरी: देवी हमेशा मेरी रक्षा करें।
यह कवच साधक को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है और देवी की कृपा को आकर्षित करता है।
चंद्रघंटा कवचम् के लाभ
- मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।
- भय, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- साधक की आत्मिक और शारीरिक रक्षा होती है।
- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- साधक में साहस और धैर्य का संचार होता है।
- देवी की कृपा से साधक को जीवन में सफलता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता मिलती है।
- ग्रह दोष और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।
- साधक के चारों ओर एक दिव्य कवच का निर्माण होता है।
- कठिन समय में साधक को मार्गदर्शन मिलता है।
- साधक के परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- देवी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
- साधक के शत्रुओं का नाश होता है।
- साधक को देवी की शक्ति प्राप्त होती है।
- जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
चंद्रघंटा कवचम् पाठ की विधि
दिन: चंद्रघंटा कवचम् का पाठ नवरात्रि के तीसरे दिन शुरू करना विशेष फलदायी होता है।
अवधि: इसका पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4 बजे से 6 बजे) में इसका पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
विधि: साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। देवी चंद्रघंटा के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं, फूल अर्पित करें और फिर शुद्ध मन से कवच का पाठ करें।
चंद्रघंटा कवचम् पाठ के नियम
- साधना गुप्त रखें: अपने चंद्रघंटा कवचम् पाठ को गुप्त रखें, जिससे साधना में विघ्न न आए।
- नियमितता: इसका पाठ प्रतिदिन एक ही समय पर करें।
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- शुद्ध मन: मन और विचारों की शुद्धता बनाए रखें।
- पूजा सामग्री: देवी को फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य चढ़ाएं।
- संयम: पाठ के दौरान मांस, मदिरा से दूर रहें।
- श्रद्धा और समर्पण: देवी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण का भाव रखें।
- ध्यान: मन को एकाग्रचित्त करते हुए पाठ करें।
- पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा का स्थान शांत और स्वच्छ रखें।
- भक्ति भाव: देवी की कृपा प्राप्ति के लिए पूर्ण भक्तिभाव से पाठ करें।
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चंद्रघंटा कवचम् पाठ में सावधानियां
- संकल्प और ध्यान में अडिग रहें: साधना के दौरान ध्यान में भटकाव न हो।
- अशुद्ध वस्त्र और अवस्था से बचें: पाठ के समय अशुद्धता से दूर रहें।
- वातावरण की शांति: पाठ के समय आसपास का वातावरण शांत और सकारात्मक होना चाहिए।
- पूजा विधि में त्रुटि न हो: विधिपूर्वक पाठ और पूजा सामग्री का सही उपयोग करें।
- संकल्प का पालन करें: नियमितता में कोई भी लापरवाही न करें।
चंद्रघंटा कवचम् पाठ से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: चंद्रघंटा देवी कौन हैं?
उत्तर: चंद्रघंटा मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है।
प्रश्न 2: चंद्रघंटा कवचम् का पाठ क्या है?
उत्तर: यह देवी चंद्रघंटा का एक दिव्य कवच है जो साधक की रक्षा करता है।
प्रश्न 3: चंद्रघंटा कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि के तीसरे दिन या किसी शुभ मुहूर्त में इसका पाठ किया जा सकता है।
प्रश्न 4: इस कवच का नियमित पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: इसका पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
प्रश्न 5: क्या चंद्रघंटा कवचम् साधना को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखने से साधक की ऊर्जा केंद्रित रहती है।
प्रश्न 6: क्या इसका पाठ ग्रह दोषों को शांत करता है?
उत्तर: हां, इसका नियमित पाठ ग्रह दोष और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाता है।
प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान विशेष नियमों का पालन करना होता है?
उत्तर: हां, स्नान, स्वच्छता और मानसिक शांति का पालन करना आवश्यक है।
प्रश्न 8: क्या इस पाठ से आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है?
उत्तर: हां, देवी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान भी प्राप्त होता है।
प्रश्न 9: क्या यह कवच साधक को शारीरिक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करता है?
उत्तर: हां, यह कवच साधक की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक सुरक्षा करता है।
प्रश्न 10: क्या इसका पाठ केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, इसका पाठ किसी भी शुभ मुहूर्त या दिन में किया जा सकता है।
प्रश्न 11: क्या चंद्रघंटा कवचम् साधक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है?
उत्तर: हां, इसका पाठ साधक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
प्रश्न 12: क्या पाठ के दौरान कोई विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: हां, पाठ के दौरान शुद्धता, शांत वातावरण और श्रद्धा का पालन करना चाहिए।