ग्रहण की रात छिन्नमस्ता देवी का तांत्रिक जागरण… शक्तियां सक्रिय!
Chhinnamasta Devi Tantrik Jagaran साधना की उन दुर्लभ प्रक्रियाओं में माना जाता है, जो ग्रहण की रात्रि में अत्यंत तीव्र प्रभाव दिखाती हैं। ग्रहण काल वह समय है, जब बाहरी संसार की गति धीमी पड़ती है और सूक्ष्म शक्तियां अधिक सक्रिय होती हैं। DivyayogAshram के अनुसार इस काल में किया गया जागरण साधक के भीतर दबी हुई ऊर्जा को जाग्रत करता है और लंबे समय से रुकी हुई शक्तियों को प्रवाहित करता है।
यह साधना भय या उग्रता के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य साधक को आत्मनियंत्रण, साहस और स्पष्टता देना है। छिन्नमस्ता देवी त्याग और जागरूकता का प्रतीक हैं। ग्रहण की रात किया गया उनका तांत्रिक जागरण साधक को भीतर से तोड़ता नहीं, बल्कि भीतर की सीमाओं को पार करने की क्षमता देता है। सही विधि, नियम और संयम के साथ किया गया जागरण जीवन की दिशा बदलने में सहायक बनता है।
Chhinnamasta Devi Ka Tantrik Jagaran प्रमुख लाभ
- भीतर छिपी शक्तियां सक्रिय होने लगती हैं।
- लंबे समय से अटकी हुई स्थितियों में गति आती है।
- भय, असमंजस और मानसिक कमजोरी कम होती है।
- साधक के निर्णय अधिक स्पष्ट होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा और बाहरी बाधाएं कमजोर पड़ती हैं।
- आत्मविश्वास और साहस में स्थायी वृद्धि होती है।
- कार्यक्षेत्र में नियंत्रण और स्थिरता आती है।
- तांत्रिक बाधा और नज़र दोष से रक्षा मिलती है।
- साधक का आभामंडल मजबूत होता है।
- गुप्त शत्रु और विरोधी निष्प्रभावी होते हैं।
- इच्छाशक्ति पहले से अधिक प्रबल बनती है।
- जीवन में अनुशासन और जागरूकता बढ़ती है।
- साधना के बाद मानसिक हल्कापन महसूस होता है।
- देवी कृपा से कार्य सिद्धि में तेजी आती है।
- साधक स्वयं को अधिक केंद्रित और संतुलित अनुभव करता है।
विनियोग
ॐ अस्य श्रीछिन्नमस्ता देवी मंत्रस्य।
ऋषिः नारदः।
छन्दः अनुष्टुप्।
देवता श्रीछिन्नमस्ता।
मम शक्ति जागरण सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।
न्यास विधि
न्यास साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से जागरण के लिए तैयार करता है।
हृदय, मस्तक, नेत्र और कंठ का स्पर्श करते हुए देवी का स्मरण करें।
यह भाव रखें कि देवी की ऊर्जा शरीर में प्रवेश कर रही है।
न्यास शांत और स्थिर मन से करें।
दिग्बंधन
चारों दिशाओं में मानसिक रूप से देवी की रक्षक शक्ति की स्थापना करें।
यह प्रक्रिया साधना के दौरान बाहरी विघ्नों को रोकती है।
दिग्बंधन से साधक सुरक्षित और केंद्रित रहता है।
यह जागरण कौन कर सकता है
यह जागरण गृहस्थ और साधक दोनों कर सकते हैं।
स्त्री और पुरुष दोनों के लिए यह समान रूप से प्रभावी है।
जो व्यक्ति नियम, संयम और निरंतरता निभा सकता है, वही इसे करें।
अत्यधिक भयग्रस्त व्यक्ति मार्गदर्शन के बिना न करें।
शुभ मुहूर्त
यह जागरण केवल ग्रहण की रात्रि में किया जाता है।
ग्रहण आरंभ से लेकर समाप्ति तक का समय सर्वोत्तम माना जाता है।
एक बार शुरू करने के बाद साधना 11 दिनों तक जारी रखें।
सिद्ध साधना सामग्री
DivyayogAshram के अनुसार निम्न सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
• छिन्नमस्ता यंत्र
• छिन्नमस्ता माला
• छिन्नमस्ता पारद गुटिका
• छिन्नमस्ता कवच
• छिन्नमस्ता श्रृंगार सामग्री
• रक्षा सूत्र
• 21 लाल चिरमी दाने
• सिद्ध गोमती चक्र
• छिन्नमस्ता रिंग
यह सामग्री साधना को स्थिर, सुरक्षित और प्रभावी बनाती है।
मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं छिन्नमस्तायै नमः॥
साधना विधि
लाल या काले आसन पर बैठें।
सामने छिन्नमस्ता यंत्र स्थापित करें।
घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला करें।
यह साधना लगातार 11 दिनों तक करें।
जप के समय मन केवल मंत्र और देवी पर स्थिर रखें।
अंत में देवी से शक्ति जागरण का निवेदन करें।
साधना के नियम
- साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सात्विक और सीमित भोजन करें।
- झूठ, क्रोध और नकारात्मक चर्चा से दूर रहें।
- साधना बीच में न छोड़ें।
- साधना की चर्चा किसी से न करें।
साधना अनुभव
नीलम वर्मा, इंदौर
“ग्रहण की रात साधना के बाद भीतर गहरी शांति और साहस महसूस हुआ।”
राहुल पांडे, वाराणसी
“निर्णय लेने में जो डर था, वह काफी कम हो गया।”
संगीता जोशी, पुणे
“साधना के बाद काम में रुकावटें कम होने लगीं।”
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Chhinnamasta Devi Ka Tantrik Jagaran- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1: क्या यह जागरण सुरक्षित है
उत्तर: नियमों के पालन से यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
2: क्या महिलाएं यह साधना कर सकती हैं
उत्तर: हां, महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।
3: परिणाम कब दिखते हैं
उत्तर: कई लोगों को 11 दिनों में अनुभव होने लगता है।
4: क्या बिना सामग्री साधना संभव है
उत्तर: प्रभाव के लिए सिद्ध सामग्री आवश्यक मानी जाती है।
5: क्या डर या भारीपन हो सकता है
उत्तर: हल्का मानसिक दबाव हो सकता है, जो अस्थायी होता है।
6: क्या यह साधना दोहराई जा सकती है
उत्तर: हां, उचित अंतराल के बाद की जा सकती है।
7: क्या दीक्षा आवश्यक है
उत्तर: गहरे और सुरक्षित परिणामों के लिए दीक्षा उपयोगी है।
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