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Dhanada Ratipriya Yakshini Kavacham – Secrets Wealth Creation

धनदा रतिप्रिया यक्षिणी कवचम्: धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्ति का गुप्त रहस्य

धनदा रतिप्रिया यक्षिणी कवचम् एक दिव्य स्तोत्र है जो देवी धनदा यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे तांत्रिक ग्रंथों में अद्भुत शक्तियों का स्रोत माना गया है। धनदा यक्षिणी धन, वैभव, और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह कवच उन साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। इसके नियमित पाठ से न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।


संपूर्ण धनदा रतिप्रिया यक्षिणी कवचम् व उसका अर्थ

कवच पाठ

ॐ अस्य श्री धनदा यक्षिणी कवचस्य, ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, धनदा देवता।
ॐ बीजं, श्रीं शक्तिः, ह्रीं कीलकं, धनदा यक्षिणी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।

धनदा मे शिरः पातु, ललाटं रतिप्रिया।  
चक्षुषी पद्मभव्या च, श्रवणौ वसुधाधिपा।  
नासिकां चंद्रमुखी पातु, वदनं वसुधात्मिका।  
कंठं पातु सदा सौम्या, भुजौ मे च सुरेश्वरी।  

हृदयं कुबेरपत्नी च, नाभिं पातु सदा शिवा।  
कटिं पातु महामाया, ऊरू मे च वरप्रदा।  
जानुनी कामदा पातु, पादौ यक्षिणीसुता।  
सर्वाङ्गं सर्वदा पातु, धनदा यक्षिणी सदा।

अर्थ

  1. देवी धनदा मेरे मस्तक की रक्षा करें।
  2. देवी रतिप्रिया मेरे ललाट की रक्षा करें।
  3. मेरी आंखों की रक्षा पद्म के समान सुंदर देवी करें।
  4. कानों की रक्षा वसुंधरा की अधिष्ठात्री करें।
  5. नासिका और मुख की रक्षा वसुधा स्वरूपिणी करें।
  6. मेरे कंठ, भुजाओं और समस्त अंगों की रक्षा धनदा यक्षिणी करें।

धनदा रतिप्रिया यक्षिणी कवचम् के लाभ

  1. धन-वैभव की वृद्धि।
  2. व्यापार में उन्नति।
  3. नौकरी में प्रमोशन।
  4. आर्थिक संकटों का निवारण।
  5. पारिवारिक सुख-शांति।
  6. समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति।
  7. शत्रुओं से सुरक्षा।
  8. आध्यात्मिक विकास।
  9. कर्ज से मुक्ति।
  10. धन प्राप्ति के नए स्रोत खुलना।
  11. मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  12. घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।
  13. वैवाहिक जीवन में सुख।
  14. स्थायी संपत्ति की प्राप्ति।
  15. संतान सुख में वृद्धि।

विधि

दिन व मुहूर्त

  • इस साधना को शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन आरंभ करें।
  • सूर्योदय से पूर्व या प्रदोष काल (संध्या) में सर्वोत्तम समय है।

अवधि

  • साधना को 41 दिन तक नियमित रूप से करें।

पाठ विधि

  1. स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. एकांत और शांत स्थान का चयन करें।
  3. देवी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
  4. धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें।
  5. “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं धनदायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  6. कवच का पाठ 108 बार करें।

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नियम

  1. पूजा-साधना को गुप्त रखें।
  2. सात्विक आहार का पालन करें।
  3. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. साधना काल में मांस, मदिरा, और तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।

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सावधानियां

  1. साधना के दौरान साधना को बीच में न रोकें।
  2. पूरी निष्ठा और श्रद्धा से पाठ करें।
  3. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  4. अनुचित कार्यों में कवच का प्रयोग न करें।

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प्रश्नोत्तर

1. धनदा यक्षिणी कौन हैं?

धनदा यक्षिणी धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे कुबेर की सहचरी मानी जाती हैं।

2. यह कवच किसके लिए उपयोगी है?

यह कवच उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो आर्थिक समस्याओं का समाधान चाहते हैं।

3. कवच का पाठ कब करें?

शुक्रवार, पूर्णिमा, या किसी शुभ मुहूर्त में इसका पाठ करें।

4. पाठ कितने समय तक करना चाहिए?

41 दिन तक नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

5. क्या यह साधना किसी विशेष दिन पर शुरू करनी चाहिए?

हां, शुक्रवार या पूर्णिमा का दिन सर्वोत्तम है।

6. क्या इस कवच का प्रयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है?

यह कवच विशेष रूप से धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए है। इसे अन्य अनुचित उद्देश्यों के लिए उपयोग न करें।

7. साधना के दौरान क्या नियम पालन करें?

पूजा गुप्त रखें, सात्विक आहार लें, और नकारात्मक विचारों से बचें।

8. क्या यह कवच हर व्यक्ति के लिए प्रभावी है?

हां, यदि श्रद्धा और निष्ठा से पाठ किया जाए तो यह सभी के लिए प्रभावी है।

9. क्या साधना में गुरु की आवश्यकता होती है?

गुरु की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनके मार्गदर्शन से साधना और प्रभावी हो सकती है।

10. इस कवच के पाठ से कितनी जल्दी परिणाम मिलता है?

श्रद्धा और नियमितता से पाठ करने पर 41 दिनों में सकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं।

11. क्या साधना में कोई दान करना चाहिए?

हां, गाय को चारा, गरीबों को अन्न, और तुलसी के पौधे को जल देना शुभ माना जाता है।

12. क्या साधना के दौरान कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?

साधना के समय सफेद या पीले रंग के शुद्ध वस्त्र पहनना शुभ होता है।


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