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Dhumavati Mantra – Immunity Prosperity & Protection

धूमावती मंत्र: जीवन के संकटों का समाधान और साधना के विशेष लाभ

धूमावती मंत्र माता धूमावती की उपासना का एक शक्तिशाली साधन है, जो साधक को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करती है। उनके शरण में जाने से ज्वर, महामारी, उन्माद, पेट संबंधी बीमारियाँ, चक्कर आना, मृत्यु, अंगभंग, गठिया, शूल, लकवा, क्षय रोग, हृदय रोग, शोक, कलह और दरिद्रता जैसी समस्याओं का निवारण होता है।

इस मंत्र का जाप नकारात्मक ऊर्जा, रोग, मृत्यु भय, दरिद्रता और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति दिलाता है। माता धूमावती की आराधना से साधक को विशेष सुरक्षा और आत्मिक बल प्राप्त होता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र: “ॐ पूर्वायै नमः, दक्षिणायै नमः, पश्चिमायै नमः, उत्तरायै नमः, ईशानायै नमः, अग्नये नमः, नैरृतायै नमः, वायव्यायै नमः।”
अर्थ: यह मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा का कवच बनाता है। यह साधक को चारों ओर से शक्ति और रक्षा प्रदान करता है।

धूमावती मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

धूमावती मंत्र:
“धूं धूं धूमावती स्वाहा।”

संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र माता धूमावती का आह्वान और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति का साधन है। इस मंत्र का गहरा अर्थ हर शब्द में छुपा है, जो माता की शक्तियों और कृपा का वर्णन करता है।

  1. धूं धूं – यह बीज मंत्र है, जो माता धूमावती की शक्ति, रहस्य और रहम का प्रतीक है। “धूं” शब्द का उच्चारण करते समय साधक में एकाग्रता और आत्म-बल का संचार होता है। यह बीज मंत्र नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने और बुरी शक्तियों से रक्षा करने का कार्य करता है।
  2. धूमावती – इस शब्द से माता का आह्वान होता है। धूमावती देवी का स्वरूप अष्टविध्या तंत्र की दस महाविद्याओं में से एक है। वे उन परिस्थितियों में प्रकट होती हैं, जो जीवन में अज्ञान, अशांति, और पीड़ा का प्रतीक होती हैं, लेकिन उनकी कृपा से साधक उन कठिनाइयों से उबर कर आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर सकता है। उनका नाम और स्वरूप जीवन के शोक, दरिद्रता, और विपत्तियों के समय साधक को शक्ति प्रदान करते हैं।
  3. स्वाहा – यह शब्द इस मंत्र का समर्पण और पूर्णता दर्शाता है। “स्वाहा” का उच्चारण करते समय साधक अपने सभी दुखों, दोषों, और नकारात्मकताओं को माता के चरणों में अर्पित करता है। यह मंत्र का अंतिम भाग है, जो साधक को पवित्रता, शांति, और संतुष्टि का अनुभव कराता है।

मंत्र का प्रभाव

इस मंत्र का नियमित जाप साधक को मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। धूमावती देवी की कृपा से साधक अपने जीवन के संकटों से मुक्ति पाता है और आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ता है।

जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

धूमावती मंत्र के जप काल में कुछ विशेष चीजों का सेवन साधक को शक्ति और एकाग्रता प्रदान करता है। इन पदार्थों का सेवन करने से साधना अधिक प्रभावी होती है और साधक का मन शांत एवं शरीर ऊर्जा से भरा रहता है।

  1. दूध – जप काल में दूध का सेवन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह शरीर को शांति और पोषण प्रदान करता है, जिससे साधना में ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है।
  2. फल – फलों का सेवन साधक के शरीर को हल्का और उर्जावान बनाए रखता है। जप के दौरान सेब, केला, और अन्य मीठे फल का सेवन मानसिक शांति प्रदान करता है और भूख को भी संतुलित करता है।
  3. गुड़ – गुड़ का सेवन साधना के दौरान लाभदायक होता है, क्योंकि यह शरीर में तुरंत ऊर्जा का संचार करता है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है और साधक को थकान महसूस नहीं होती।
  4. जल – पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन शरीर को शुद्ध करता है और साधना के दौरान हाइड्रेटेड रखने में सहायक होता है। जल का सेवन ध्यान केंद्रित रखने और ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है।
  5. शहद – शहद का सेवन शरीर को ऊर्जा और ताकत देता है। यह साधक की सहनशक्ति को बढ़ाता है और शुद्ध आहार का हिस्सा होता है, जो साधना के लिए उचित है।
  6. सूखे मेवे – काजू, बादाम, और किशमिश जैसे सूखे मेवे शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा और पोषण प्रदान करते हैं, जो जप काल में ध्यान और स्थिरता बनाए रखते हैं।

जप काल में इन चीजों का सेवन करने से साधक का शरीर और मन दोनों उर्जावान और शांत रहते हैं, जिससे साधना सफल और प्रभावशाली बनती है।

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धूमावती मंत्र जप के लाभ

  1. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
  2. दरिद्रता का नाश
  3. शोक और क्लेश का अंत
  4. रोग और बीमारियों से मुक्ति
  5. मानसिक शांति
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि
  7. शत्रुओं का नाश
  8. पारिवारिक कलह का समाधान
  9. सुरक्षा का अनुभव
  10. आध्यात्मिक उन्नति
  11. भौतिक सुख-संपदा
  12. आत्मबल में वृद्धि
  13. मन की शांति
  14. भयरहित जीवन
  15. सकारात्मकता का संचार
  16. प्रेम और समर्पण की भावना
  17. चमत्कारी अनुभव
  18. आत्मिक शुद्धि

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

पूजा में शुद्ध जल, पुष्प, चंदन, दीपक, और धूप का प्रयोग करें। मंत्र जप के लिए रविवार, चातुर्मास, नवरात्रि में शनिवार या रविवार का दिन शुभ माना जाता है। खुद कि जमीन या घर की थोड़ी मिट्टी को अपने सामने रखकर 21 दिन तक रोज 20 मिनट तक इस मंत्र का जप करें। याद रखे अपने पूजाघर को छोड़कर कही भी साधना कर सकते है।

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धूमावती मंत्र जप के नियम

धूमावती मंत्र के जप के दौरान साधक को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए ताकि मंत्र साधना का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। इन नियमों का पालन साधक को शक्ति, शांति, और सकारात्मक परिणाम प्रदान करता है।

  1. उम्र – मंत्र जप करने के लिए साधक की उम्र कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए। यह उम्र मानसिक और शारीरिक स्थिरता के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  2. साधक – स्त्री और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. वस्त्र – मंत्र जप के दौरान काले और नीले रंग के कपड़े न पहनें। सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होते हैं।
  4. शुद्धता – मंत्र जप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें। साधना के दौरान साधक को स्नान कर पवित्र होकर बैठना चाहिए।
  5. ब्रह्मचर्य – मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। यह मानसिक स्थिरता और एकाग्रता को बनाए रखने में सहायक होता है।
  6. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से परहेज – जप काल में धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन वर्जित है। इनसे शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो साधना में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  7. समय और स्थान – मंत्र जप का समय और स्थान निश्चित होना चाहिए। रविवार, चातुर्मास, या नवरात्रि के शनिवार और रविवार को जप करना विशेष फलदायी होता है।
  8. मंत्र का उच्चारण – मंत्र का सही उच्चारण और एक समान गति से जप करें। गलत उच्चारण से साधना में दोष उत्पन्न हो सकता है, इसलिए स्पष्टता और श्रद्धा के साथ जप करें।
  9. दिशा – उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जप करना अधिक फलदायी माना जाता है, क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

इस साधना में सावधानी बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देवी तंत्र से जुड़ा मंत्र है और साधना में त्रुटि से नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। निम्नलिखित सावधानियां ध्यान में रखनी चाहिए:

  1. सकारात्मक मानसिकता बनाए रखें – जप के समय मन में शुद्धता और सकारात्मकता बनाए रखें। नकारात्मक विचार या भय साधना में बाधा डाल सकते हैं, इसलिए केवल अच्छे विचार रखें।
  2. सतर्कता से उच्चारण करें – मंत्र का सही उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है। गलत उच्चारण मंत्र के प्रभाव को कम कर सकता है या प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए स्पष्ट और सही उच्चारण का ध्यान रखें।
  3. जप स्थान – ऐसी जगह पर जप करें जहाँ कोई बाधा या रुकावट न हो। शांत और पवित्र स्थान चुनें ताकि साधना में एकाग्रता बनी रहे और वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा न हो।
  4. मंत्र की शक्ति का सम्मान – धूमावती मंत्र बहुत प्रभावशाली है। इसे साधने में अत्यधिक सतर्कता और सम्मान की भावना रखें। इसका उपयोग केवल शुभ कार्यों और सकारात्मक उद्देश्यों के लिए करें।
  5. आचरण में पवित्रता बनाए रखें – साधना के दौरान अपने आचरण को शुद्ध रखें। साधक को संयमित, सत्यवादी और आदर्श आचरण अपनाना चाहिए।
  6. ध्यान भंग से बचें – जप के दौरान फोन, टीवी या अन्य उपकरणों से दूर रहें, ताकि एकाग्रता भंग न हो। ध्यान में पूर्ण एकाग्रता का होना जरूरी है।
  7. अनुशासन का पालन करें – साधना के दौरान अनुशासन बनाए रखें। नियमों का पालन न करने से साधना के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। जैसे- नियमित समय पर जप करें और निर्धारित संख्या में ही करें।
  8. खानपान में सात्त्विकता – साधना के दौरान सात्त्विक आहार का सेवन करें। प्याज, लहसुन, मांसाहार, और नशे से बचें, क्योंकि ये आहार साधना के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते।
  9. धूम्रपान और मद्यपान से बचें – जप के समय धूम्रपान और मद्यपान वर्जित हैं। यह साधना की पवित्रता को भंग कर सकते हैं और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं।
  10. ब्रह्मचर्य का पालन करें – साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है। यह शारीरिक और मानसिक शक्ति को बनाए रखता है, जो साधना में सहायक होता है।
  11. एक बार जप शुरू करके अधूरा न छोड़ें – एक बार मंत्र जप प्रारंभ करने के बाद इसे बीच में न छोड़ें। इसे पूर्ण करके ही उठें, अन्यथा मंत्र का प्रभाव अधूरा रह सकता है।
  12. अवांछित विचारों से दूर रहें – जप के दौरान कोई अवांछित विचार मन में न आने दें। माता धूमावती की आराधना करते समय मन में पूरी श्रद्धा और निष्ठा बनाए रखें।

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धूमावती मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: धूमावती मंत्र क्या है?
उत्तर: धूमावती मंत्र एक शक्ति साधना मंत्र है, जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।

प्रश्न 2: मंत्र जाप कब करना चाहिए?
उत्तर: चातुर्मास, नवरात्रि में शनिवार या रविवार को मंत्र जाप करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप में कौन से कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर: हल्के और पवित्र रंग के कपड़े पहनना चाहिए; नीले और काले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 4: क्या महिलाएं भी मंत्र जप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी धूमावती मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार से बचना चाहिए?
उत्तर: हां, मंत्र जप के दौरान मांसाहार का सेवन न करें।

प्रश्न 6: मंत्र जप में ब्रह्मचर्य का महत्व क्यों है?
उत्तर: ब्रह्मचर्य से साधक की ऊर्जा और साधना शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 7: धूमावती मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
उत्तर: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा, दरिद्रता, रोग, और क्लेश से मुक्ति देता है।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र भौतिक सुख देता है?
उत्तर: हां, धूमावती मंत्र भौतिक सुख-संपदा और आत्मिक शांति प्रदान करता है।

प्रश्न 9: मंत्र जप में ध्यान का महत्व क्या है?
उत्तर: ध्यान से साधक की मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और मंत्र की शक्ति अनुभव होती है।

प्रश्न 10: क्या साधक का मन शांत होना चाहिए?
उत्तर: हां, शांत मन से ही मंत्र की पूर्ण प्रभावशीलता प्राप्त होती है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है?
उत्तर: हां, यह मंत्र शत्रुओं को परास्त करने में सहायक है।

प्रश्न 12: क्या यह मंत्र आत्मबल बढ़ाता है?
उत्तर: हां, धूमावती मंत्र साधक का आत्मबल बढ़ाता है।

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