बुधवार, अक्टूबर 23, 2024

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Durga Aarti – Benefits, Rules, and Rituals

दुर्गा आरती: देवी की कृपा पाने का सही मार्ग

दुर्गा आरती देवी दुर्गा की पूजा का अहम हिस्सा है। यह आरती मां दुर्गा की महिमा का गुणगान करती है। इस आरती से भक्तों को न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि उनके जीवन में कई प्रकार के लाभ भी होते हैं।

दुर्गा आरती से मिलने वाले लाभ

दुर्गा आरती नियमित रूप से करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होते हैं। इन लाभों से भक्त का जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण हो जाता है।

  1. शांति और संतोष: आरती करने से मन में शांति और संतोष का अनुभव होता है।
  2. नकारात्मकता से मुक्ति: नियमित आरती नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आरती से आत्मा शुद्ध होती है और भक्त आध्यात्मिक रूप से उन्नति करता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक शांति के कारण शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
  5. परिवार में समृद्धि: दुर्गा आरती करने से परिवार में समृद्धि और सुख-शांति आती है।
  6. दुखों का नाश: आरती करने से जीवन में आने वाली परेशानियां समाप्त होती हैं।
  7. धन की प्राप्ति: माता दुर्गा की कृपा से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  8. जीवन में सकारात्मकता: आरती से जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता आती है।
  9. संकट से मुक्ति: आरती के प्रभाव से जीवन के बड़े संकट भी हल हो जाते हैं।
  10. आत्मविश्वास में वृद्धि: आरती से आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
  11. शत्रुओं पर विजय: माता की आरती करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  12. भाग्य का उदय: दुर्गा आरती से भाग्यशाली अवसर आते हैं।
  13. अच्छी नींद: आरती करने से मानसिक शांति मिलती है, जिससे नींद अच्छी आती है।
  14. परिवार में प्रेम और सौहार्द: आरती करने से परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है।
  15. रोगों से मुक्ति: दुर्गा आरती से शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
  16. मानसिक संतुलन: जीवन में मानसिक संतुलन बनाए रखने में आरती सहायक होती है।
  17. धार्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठा: आरती करने से समाज में धार्मिक प्रतिष्ठा मिलती है।

संपूर्ण दुर्गा आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

मांगी ही मणि माणिक, जो कोई मांगे।
सो कोई मिल जाये, मन चाहा फल पावे॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

तुम हो जगत जननी, हरि ब्रह्मा शिवरी।
त्रिभुवन के स्वामी, जगदम्बा भवानी॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

चंद्रमंडल में तुम हो, सूर्य मंडल धारा।
त्रिभुवन की अधीश्वरी, सभी तुम्हें ध्यावे॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

जो कोई भी तुमसे, निरंतर आस लगाए।
मनवांछित फल पाए, सुख-सम्पत्ति पाए॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

धूप दीप फल मीठा, तुम्हें सदा चढ़ावे।
सो कोई पावे, दुख-दरिद्र नाशावे॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

तुम हो करूणा सागर, तुम हो प्रेम की मूरत।
मातु रानी भवानी, तुम ही हो सबकी मूरत॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

भक्तों की सब विपत्ति, हरनी का तुम रूप।
तुम ही हो करुणा मयी, सबकी करती पूर्ति॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

तुमको कोई ध्यावे, सच्चे मन से माँ।
उसके दुख मिटा दे, करती सब काम॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

तुम हो करूणा मयी, तुम हो माता भवानी।
तुम हो जगत जननी, तुम ही शक्ति स्वरूपाणी॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

आरती तुम्हारी जो कोई ध्याये।
मनवांछित फल पावे, सुख-समृद्धि पाए॥

।। जय अम्बे गौरी ।।

दुर्गा आरती के नियम

दुर्गा आरती के कुछ विशेष नियम होते हैं जिन्हें पालन करने से भक्त को अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

  1. स्नान के बाद आरती करें: सुबह-सुबह स्नान करके ही आरती करनी चाहिए।
  2. शुद्ध कपड़े पहनें: आरती करते समय साफ और शुद्ध कपड़े पहनें।
  3. शुद्ध वातावरण में आरती करें: जहां आरती की जाए, वहां का वातावरण शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  4. आरती के लिए सही समय चुनें: आरती सुबह या शाम के समय की जानी चाहिए।
  5. आरती के दौरान ध्यान लगाएं: आरती करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
  6. घी का दीपक जलाएं: आरती के समय घी का दीपक जलाना विशेष लाभकारी होता है।
  7. परिवार के साथ करें आरती: परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर आरती करने से सामूहिक लाभ होता है।
  8. भक्ति भाव से आरती करें: आरती करते समय भक्त का मन पूरी तरह से माता दुर्गा के चरणों में होना चाहिए।
  9. सप्ताह में नियमित करें: कम से कम सप्ताह में एक बार दुर्गा आरती अवश्य करें।
  10. आरती के बाद प्रसाद बांटें: आरती के बाद भोग लगाकर प्रसाद बांटने की परंपरा निभाएं।

दुर्गा आरती करते समय बरतें सावधानियां

आरती करते समय कुछ खास सावधानियां बरतने की जरूरत होती है ताकि माता की कृपा प्राप्त हो सके।

  1. स्वच्छता का ध्यान रखें: आरती से पहले स्थान और स्वयं को शुद्ध रखें।
  2. सही दिशा में मुंह रखें: उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके ही आरती करें।
  3. तेल का दीपक न जलाएं: आरती के समय घी का दीपक ही जलाएं, तेल का नहीं।
  4. आरती के दौरान बात न करें: आरती करते समय बातचीत न करें, इससे ध्यान भंग होता है।
  5. तेज आवाज में न गाएं: आरती की धुन को मधुर और शांतिपूर्ण रखें।
  6. अधूरी आरती न करें: एक बार आरती शुरू करने के बाद इसे पूरा करें।
  7. शराब या मांस के सेवन के बाद आरती न करें: आरती से पहले किसी प्रकार का अशुद्ध भोजन या पेय न लें।

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दुर्गा आरती किस दिन करनी चाहिए?

दुर्गा आरती का कोई विशेष दिन निर्धारित नहीं है, लेकिन कुछ खास दिनों में इसका विशेष महत्व होता है।

  1. नवरात्रि के दौरान: नवरात्रि में नौ दिनों तक माता दुर्गा की आरती करना अत्यंत शुभ होता है।
  2. अष्टमी और नवमी: इन दिनों में दुर्गा आरती का विशेष फल मिलता है।
  3. शुक्रवार: शुक्रवार का दिन देवी दुर्गा का दिन माना जाता है, इस दिन आरती अवश्य करें।
  4. पूर्णिमा और अमावस्या: इन दिनों में आरती करने से विशेष कृपा मिलती है।

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दुर्गा आरती का भोग

आरती के बाद माता को भोग लगाने की परंपरा होती है। भोग से माता को संतुष्टि मिलती है और भक्तों पर विशेष कृपा होती है।

  1. सादा भोजन: माता को सादा और शुद्ध भोजन जैसे चावल, दाल, और रोटी का भोग लगाएं।
  2. मिठाई का भोग: माता को मिठाई विशेष रूप से पसंद है। लड्डू, खीर या पंजीरी का भोग लगा सकते हैं।
  3. फल: माता को ताजे और शुद्ध फल जैसे सेब, केला, और अनार का भोग लगाएं।
  4. पान और सुपारी: माता को पान और सुपारी का भोग भी अर्पित करें।
  5. जल: अंत में, शुद्ध जल का भोग लगाकर आरती संपन्न करें।

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दुर्गा आरती से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: दुर्गा आरती कब करनी चाहिए?

उत्तर: दुर्गा आरती सुबह या शाम के समय करना सबसे शुभ होता है, विशेषकर नवरात्रि और शुक्रवार को।

प्रश्न 2: आरती के लिए कौन सा दीपक जलाना चाहिए?

उत्तर: घी का दीपक जलाना सर्वोत्तम माना जाता है, इससे माता प्रसन्न होती हैं।

प्रश्न 3: क्या दुर्गा आरती घर में अकेले की जा सकती है?

उत्तर: हां, दुर्गा आरती अकेले भी की जा सकती है, लेकिन सामूहिक रूप से करने से अधिक लाभ होता है।

प्रश्न 4: दुर्गा आरती का समय कितना होना चाहिए?

उत्तर: आरती का समय लगभग 10-15 मिनट का होना चाहिए, ताकि ध्यान और भक्ति सही तरीके से हो सके।

प्रश्न 5: दुर्गा आरती के बाद कौन सा भोग अर्पित करना चाहिए?

उत्तर: माता को मिठाई, फल, और शुद्ध भोजन का भोग अर्पित करें।

प्रश्न 6: क्या दुर्गा आरती किसी भी दिन की जा सकती है?

उत्तर: हां, लेकिन शुक्रवार, अष्टमी और नवमी के दिन इसका विशेष महत्व है।

प्रश्न 7: आरती के दौरान कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

उत्तर: “ॐ दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप आरती के दौरान किया जा सकता है।

प्रश्न 8: क्या दुर्गा आरती का विशेष लाभ बच्चों के लिए होता है?

उत्तर: हां, बच्चों की रक्षा और उनकी उन्नति के लिए आरती अत्यंत लाभकारी होती है।

प्रश्न 9: क्या दुर्गा आरती के दौरान नृत्य करना उचित है?

उत्तर: हां, लेकिन यह भक्तिभाव के साथ और शांति से किया जाना चाहिए।

प्रश्न 10: क्या नवरात्रि के बाद भी दुर्गा आरती की जा सकती है?

उत्तर: हां, दुर्गा आरती साल भर किसी भी समय की जा सकती है।

प्रश्न 11: क्या मांसाहारी भोजन करने के बाद आरती कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, मांसाहारी भोजन के बाद आरती करना उचित नहीं है।

प्रश्न 12: दुर्गा आरती के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: आरती के बाद प्रसाद बांटें और शांति से माता का ध्यान करें।

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