क्या आपकी बदकिस्मती पितृ दोष से जुड़ी है?
Pitru Dosha Remedies हमारे जीवन में बार-बार आने वाली बदकिस्मती, असफलताएँ और अजीब सी बाधाएँ अक्सर हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर समस्या कहाँ है। ज्योतिष शास्त्र और आध्यात्मिक परंपराओं के अनुसार, कई बार इन समस्याओं की जड़ पितृ दोष होती है।
पितृ दोष तब बनता है जब हमारे पूर्वज (पितर) असंतुष्ट रहते हैं या उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती। यह दोष हमारे कर्मों, जीवन की दिशा और परिवार के सामूहिक भाग्य को प्रभावित करता है। DivayogAshram के अनुसार, इस दोष का सही निवारण पित्र शांति दोष निवारण पूजा अमावस्या पर करने से ही जीवन में संतुलन और सुख-समृद्धि लौट सकती है।
पितृ दोष से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ
1. बार-बार असफलता
कड़ी मेहनत के बावजूद काम बिगड़ जाना।
2. आर्थिक संकट
धन आता है पर टिकता नहीं, बार-बार हानि होती है।
3. नौकरी में बाधा
प्रमोशन रुकना, नौकरी छूट जाना या सही अवसर न मिलना।
4. संतान सुख में विलंब
शादी के बाद भी संतान की प्राप्ति में कठिनाई।
5. रिश्तों में खटास
परिवार या दांपत्य जीवन में अनावश्यक झगड़े।
6. स्वास्थ्य समस्याएँ
लगातार बीमार रहना, पुराने रोग ठीक न होना।
7. मानसिक तनाव
बिना कारण चिंता, भय या अवसाद महसूस होना।
8. विवाह में अड़चन
लड़की या लड़के की शादी में देरी या रुकावट।
9. कारोबार में नुकसान
व्यवसाय बार-बार डूबना या स्थिर न होना।
10. घर में अशांति
झगड़े, कलह और नकारात्मक ऊर्जा बनी रहना।
11. अचानक दुर्घटनाएँ
बार-बार हादसे या चोट लगना।
12. पूर्वजों के सपने
बार-बार सपनों में पितरों का आना।
13. शिक्षा में बाधा
बच्चों की पढ़ाई में रुकावट या बार-बार फेल होना।
14. कोर्ट-कचहरी के मामले
झूठे मुकदमों में फँसना, केस लंबे समय तक चलना।
15. पैतृक संपत्ति विवाद
पारिवारिक जमीन-जायदाद में झगड़े।
16. अकाल मृत्यु
घर में अचानक और कम उम्र में मृत्यु होना।
17. नशे की लत
परिवार के किसी सदस्य का बुरी आदतों में फँसना।
18. करियर स्थिर न होना
एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भटकाव।
19. विवाह टूटना
तलाक या रिश्तों में असफलता।
20. दान-पुण्य की अनदेखी
पूर्वजों की इच्छा पूरी न करने से जीवन में रुकावट।
पित्र शांति दोष निवारण पूजा (अमावस्या का महत्व)
अमावस्या का दिन पितरों की तृप्ति और शांति के लिए सबसे शुभ माना गया है।
DivyaogAshram बताता है कि इस दिन पित्र शांति दोष निवारण पूजा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और जीवन से बाधाएँ दूर होने लगती हैं।
पूजन विधि:
- सुबह स्नान करके पवित्र वस्त्र पहनें।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पण करें।
- तिल, दूध और पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र का जप करें।
- पंडित के मार्गदर्शन में पित्र शांति दोष निवारण पूजा करवाएँ।
- गरीबों और गौमाता को भोजन-दान करें।
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सामान्य प्रश्न
1. पितृ दोष कैसे बनता है?
पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं, उनके असंतोष या दान-पुण्य की कमी से यह दोष उत्पन्न होता है।
2. पितृ दोष का असर किन पर होता है?
यह पूरे परिवार पर असर डालता है, खासकर आने वाली पीढ़ियों पर।
3. क्या केवल पंडित से पूजा कराना जरूरी है?
हाँ, पंडित या गुरुजन की मदद से यह पूजा सही विधि से करनी चाहिए।
4. क्या अमावस्या का दिन ही करना आवश्यक है?
हाँ, अमावस्या पितरों के लिए सबसे प्रभावी दिन है।
5. क्या घर पर पित्र शांति पूजा कर सकते हैं?
हाँ, सरल विधि घर पर की जा सकती है, लेकिन दोष बड़ा हो तो मंदिर या यज्ञ अनिवार्य है।
6. पितृ दोष के लक्षण कितने समय में कम होते हैं?
सही विधि से पूजा करने के बाद कुछ ही समय में सकारात्मक असर दिखने लगता है।
7. DivyayogAshram की क्या भूमिका है?
DivyayogAshram नियमित पित्र शांति दोष निवारण पूजा अमावस्या पर करवाता है और श्रद्धालुओं को सही मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अंत मे
अगर आपके जीवन में लगातार परेशानियाँ हैं और मेहनत का फल नहीं मिल रहा, तो संभव है कि यह पितृ दोष का प्रभाव हो। समाधान है – सही समय पर सही पूजा।
DivyayogAshram से जुड़कर आप पित्र शांति दोष निवारण पूजा अमावस्या के माध्यम से अपने जीवन की बाधाएँ दूर कर सकते हैं और अपने पितरों को शांति प्रदान कर सकते हैं।