गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र: कर्ज मुक्ति का रहस्य
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र, जिसे भगवान विष्णु के प्रमुख स्तोत्रों में गिना जाता है, भक्तों के लिए अत्यंत महत्व रखता है। यह स्तोत्र उस घटना पर आधारित है जब गजेंद्र नामक एक हाथी ने संकट में पड़कर भगवान विष्णु का आह्वान किया और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। इस स्तोत्र का पाठ करने से कर्ज, दुख, संकट मुक्ति के साथ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। भक्तगण इसे नियमित रूप से पढ़कर अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।
संपूर्ण गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र और उसका अर्थ
संपूर्ण गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र
ॐ श्री गणेशाय नमः।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
श्री गजेंद्र उवाच:
ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्छिदात्मकम्।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥1॥
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयम्।
योऽस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम्॥2॥
यः स्वात्मनीदं निजमायया सृजन्गुणव्यूतिकर्ता च गुणेशु गूढः।
तेनैव दु:खस्वनमध्वनीमिषं नरं नृसिंहं शरणं प्रपद्ये॥3॥
कल्पं गते यः सति सन्द्रुहावृतं स्वयं निनायाखिलसाधुसंस्तुतः।
अधिष्ठितो भूतगणेन भूरिभिर्विरिञ्चिरूपः प्रपदे तदक्षरम्॥4॥
यस्मान्न भूतेषु च विष्णुरात्मा कोऽप्येवमा वर्ततेऽभीक्ष्णमग्र्यम्।
विहाय तस्यैव सनाथ आत्मा तं वेद नित्यो हृदयेन वेदितम्॥5॥
तं प्रपद्ये स्वसमन्वितं हरिं सत्यं यतस्तं न विदुः स्वरूपिणम्।
सत्त्वेन तेनाश्रितमात्रनिर्जितं योगेश्वरानां गतिमन्धधिष्ण्यवित्॥6॥
न तेऽक्षिपातं न नृणां चिकीर्षुस्तं चैव सत्त्वानुगुणेन भेजे।
बुद्ध्यात्मना स्वेन गुणेन चास्य विष्वग्व्यपेतं जगदर्थमर्थितः॥7॥
स आत्ममायामनुप्रविष्ट आत्माऽत्मनं स्वकृतमप्यकार्षीत्।
अविद्यया चाप्युपलभ्यमानमात्मानमीशं प्रपद्येऽत्र वर्तते॥8॥
न वितृष्णया यजतां सपर्यया द्रविणक्रियायौक्षितयैर्मनोवचः।
न कर्मणा नापि वितायमर्चने तं भक्तियोगेन सदा प्रपद्यते॥9॥
वयं तु कर्मानुगुणानुरोधिना जीवन्मृतान्देहभृतां स्रुजेऽधिपः।
सर्वे हरेत्सङ्कटपङ्कजं ह्रदा नमः परं त्वां प्रपन्नं रुरुक्षे॥10॥
एवमादिस्तुवन्तं मन्मनाः पतिं पुरुषं यज्ञं स्वपरिचितोऽधिपः।
बुभुक्षितं सङ्कटहारिणं मुदा मुदा पुनः स्वर्गपदं च चिन्तयेत्॥11॥
इत्थं व्यासकलितं स्तोत्रं गजेन्द्रेण समर्पितम्।
श्रीपतेः श्रीयमध्यानं पापहारी प्रपद्यताम्॥12॥
संपूर्ण गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का अर्थ
गजेंद्र ने इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान विष्णु की स्तुति की, जो उनके दुखों को दूर करने और मोक्ष दिलाने के लिए की गई थी। यहाँ गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के कुछ प्रमुख श्लोकों का सरल अर्थ प्रस्तुत है:
- पहला श्लोक:
“मैं उस भगवान को प्रणाम करता हूँ, जो सबका मूल कारण हैं और जिनकी कृपा से यह सृष्टि चल रही है।” - दूसरा श्लोक:
“जो इस सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार के मूल हैं, मैं उन भगवान की शरण में जाता हूँ।” - तीसरा श्लोक:
“भगवान अपनी मायाशक्ति से इस संसार की रचना करते हैं और उसमें स्वयं छिपे रहते हैं। मैं उन भगवान की शरण में जाता हूँ।” - चौथा श्लोक:
“भगवान, जब भी इस संसार में अधर्म बढ़ता है, तो वे अवतार लेकर साधुओं की रक्षा करते हैं। मैं उन्हीं की शरण लेता हूँ।” - पांचवां श्लोक:
“भगवान विष्णु, जो सभी जीवों के आत्मा हैं और जो हर समय सबके अंदर विद्यमान रहते हैं, मैं उनकी शरण लेता हूँ।” - छठा श्लोक:
“मैं भगवान विष्णु की शरण में जाता हूँ, जो संसार की सबसे बड़ी शक्ति हैं और जिनकी महिमा का कोई अंत नहीं है।” - सातवां श्लोक:
“भगवान किसी भी जीव के कष्ट और समस्याओं को बिना किसी भेदभाव के दूर करते हैं। मैं उनकी शरण में हूँ।” - आठवां श्लोक:
“भगवान विष्णु अपनी मायाशक्ति से संसार के हर जीव की रक्षा करते हैं। मैं उनकी कृपा की प्रार्थना करता हूँ।” - नवां श्लोक:
“संसार के लोग भक्ति और श्रद्धा के माध्यम से भगवान को प्राप्त कर सकते हैं, न कि केवल कर्मकांडों से।” - दसवां श्लोक:
“हम सभी भगवान के अधीन हैं, और वे हमारे सभी कष्टों को दूर कर सकते हैं। मैं उनकी शरण में हूँ।”
गजेंद्र ने भगवान विष्णु की स्तुति के माध्यम से अपने दुखों को समाप्त किया और अंततः मोक्ष प्राप्त किया। यह स्तोत्र समर्पण और भक्ति का प्रतीक है, जो हर संकट से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के लाभ
- कर्ज मुक्ति
- संकटों से रक्षा
- परिवार में सुख-समृद्धि।
- आर्थिक समस्याओं से छुटकारा।
- शत्रुओं से रक्षा।
- मनोवांछित फल की प्राप्ति।
- आत्मिक शुद्धि।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति।
- भय और चिंता से मुक्ति।
- ग्रह दोषों का निवारण।
- न्यायालय या कानूनी मामलों में विजय।
- जीवन में स्थिरता।
- अनिष्ट शक्तियों से रक्षा।
- दीर्घायु और स्वस्थ जीवन।
- परिवार के सदस्यों का कल्याण।
- ईश्वर की विशेष कृपा से जीवन में संतुलन।
गजेंद्र मोक्ष की संपूर्ण कथा
गजेंद्र मोक्ष की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण के आठवें स्कंध में वर्णित है। यह कथा भगवान विष्णु की करुणा, उनके भक्तों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा और पूर्ण विश्वास का प्रतीक है।
राजा इंद्रद्युम्न का शाप
सत्ययुग में इंद्रद्युम्न नामक एक प्रतापी राजा हुआ करता था। वह विष्णु के अनन्य भक्त थे और अत्यधिक धर्मपरायण थे। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न अपने आश्रम में भगवान विष्णु की तपस्या में लीन थे। उसी समय अगस्त्य ऋषि वहाँ आए, पर राजा इंद्रद्युम्न ने ध्यानावस्था में होने के कारण उनका स्वागत नहीं किया। इससे अगस्त्य ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा को शाप दे दिया, “तुमने मेरे आने पर सत्कार नहीं किया, इसलिए तुम्हें हाथी योनि में जन्म लेना होगा।”
इस शाप के कारण राजा इंद्रद्युम्न अगले जन्म में हाथी बने और उन्हें अपने पूर्व जन्म की याद नहीं रही। वह जंगल के एक तालाब के किनारे रहने लगे, जहाँ उनका नाम गजेंद्र रखा गया।
गजेंद्र का संकट
गजेंद्र जंगल में अपने परिवार के साथ एक झील में पानी पीने गया। जैसे ही वह पानी में उतरा, एक मगरमच्छ ने उसे अपने जबड़े से पकड़ लिया। गजेंद्र ने मगरमच्छ से बहुत संघर्ष किया, लेकिन मगरमच्छ ने उसे नहीं छोड़ा। गजेंद्र बहुत थक गया और उसने सहायता के लिए इधर-उधर देखा। उसके साथी हाथी भी उसकी मदद नहीं कर पाए।
इस कठिन समय में गजेंद्र को भगवान विष्णु की याद आई। उसने अपने पिछले जन्म के पुण्यों के प्रभाव से विष्णु स्तुति शुरू कर दी। उसने भगवान विष्णु से सहायता की प्रार्थना की और अपनी सूंड में एक कमल का फूल उठाकर भगवान को अर्पित किया।
भगवान विष्णु का आगमन
गजेंद्र की प्रार्थना भगवान विष्णु तक पहुँची। गजेंद्र की निष्ठा और भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु अपने गरुड़ वाहन पर सवार होकर तुरंत उसकी सहायता के लिए आए। जैसे ही भगवान विष्णु आए, उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध कर दिया और गजेंद्र को उसके कष्ट से मुक्त किया।
मगरमच्छ का पूर्व जन्म
मगरमच्छ भी शापित था। वह पिछले जन्म में गंधर्व हूहू था, जो अपने घमंड के कारण ऋषि के शाप से मगरमच्छ बना था। भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से वह भी अपने शाप से मुक्त हो गया और अपने असली रूप में वापस लौट आया।
गजेंद्र का मोक्ष
भगवान विष्णु ने गजेंद्र को मोक्ष प्रदान किया। उन्होंने उसे अपने धाम में स्थान दिया, जहाँ उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिली। गजेंद्र को भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति इस कथा को श्रवण करेगा या गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करेगा, उसे भी हर संकट से मुक्ति मिलेगी और भगवान की कृपा प्राप्त होगी।
कथा का संदेश
गजेंद्र मोक्ष की यह कथा हमें सिखाती है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और विश्वास से प्रसन्न होते हैं। भले ही परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, यदि व्यक्ति सच्चे मन से भगवान को पुकारे, तो भगवान अवश्य उसकी सहायता के लिए आते हैं। गजेंद्र ने अपने संकट के समय में भगवान की शरण ली, और उनकी भक्ति ने उसे मोक्ष दिलाया।
इस कथा का मुख्य संदेश यह है कि संकट की घड़ी में भी भगवान पर विश्वास बनाए रखना चाहिए। भगवान विष्णु सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र की विधि
पाठ की विधि:
- पाठ प्रारंभ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और दीपक जलाएं।
- चावल, पुष्प, फल, और नैवेद्य अर्पित करें।
- श्रद्धा और विश्वास के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
- प्रत्येक श्लोक के बाद भगवान विष्णु को स्मरण करें।
दिन और अवधि:
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ दिन जैसे गुरुवार या एकादशी को प्रारंभ किया जा सकता है। इसे 41 दिनों तक लगातार करने का विधान है।
मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस समय में किया गया पाठ ईश्वर की कृपा शीघ्र प्राप्त करता है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के नियम
- पाठ के समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
- पाठ के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- पाठ करने वाले को सात्विक भोजन करना चाहिए।
- स्तोत्र का पाठ एकांत में और गुप्त रूप से करें।
- नियमित समय और स्थान पर पाठ करें।
- गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र पाठ को किसी को बताए बिना साधना करें।
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गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र में सावधानी
- स्तोत्र का पाठ करते समय गलत उच्चारण न करें।
- श्रद्धा और विश्वास के बिना इसका पाठ न करें।
- कोई अशुद्ध वस्त्र या अशुद्ध स्थान पर बैठकर पाठ न करें।
- स्तोत्र पढ़ते समय अपने मन में अहंकार न लाएं।
- पाठ के बाद भगवान विष्णु का आभार व्यक्त करना न भूलें।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र पाठ: प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र भगवान विष्णु का एक प्रमुख स्तोत्र है जो संकटों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करता है।
प्रश्न 2: गजेंद्र कौन था?
उत्तर: गजेंद्र एक हाथी था जो संकट में भगवान विष्णु की शरण में आया और मोक्ष प्राप्त किया।
प्रश्न 3: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ किसे करना चाहिए?
उत्तर: जो व्यक्ति जीवन में संकटों से मुक्ति चाहता है और मोक्ष की प्राप्ति करना चाहता है, उसे इसका पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 4: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: 41 दिनों तक नियमित रूप से इसका पाठ करने से विशेष लाभ होते हैं।
प्रश्न 5: इस स्तोत्र का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
प्रश्न 6: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति।
प्रश्न 7: स्तोत्र का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: मन की शुद्धि, श्रद्धा और सात्विक जीवनशैली का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 8: क्या गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष, सभी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
प्रश्न 9: क्या स्तोत्र पाठ के दौरान किसी विशेष पूजा की आवश्यकता होती है?
उत्तर: भगवान विष्णु की पूजा के साथ इसका पाठ किया जाता है।
प्रश्न 10: गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र किसके द्वारा रचा गया है?
उत्तर: यह स्तोत्र पौराणिक कथा से उत्पन्न है और इसे महाभारत व पुराणों में वर्णित किया गया है।
प्रश्न 11: क्या गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने से ग्रह दोष दूर होते हैं?
उत्तर: हां, इस स्तोत्र के पाठ से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
प्रश्न 12: क्या स्तोत्र का पाठ किसी विशेष समयावधि में करना आवश्यक है?
उत्तर: इसका पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करने का विधान है, जिससे विशेष लाभ होते हैं।