गायत्री माता की आरती से जीवन में शांति और समृद्धि
गायत्री माता आरती एक पवित्र अनुष्ठान है, जो जीवन में ज्ञान, शुद्धता और आत्मिक उन्नति प्रदान करती है। गायत्री माता को वेदों की माता और देवी सरस्वती का अवतार माना जाता है। आरती के माध्यम से भक्त देवी गायत्री से प्रार्थना करते हैं कि वह उनके जीवन से अज्ञानता और अंधकार को दूर कर, ज्ञान और सद्बुद्धि का मार्ग प्रशस्त करें। यह आरती शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
संपूर्ण गायत्री माता आरती
ॐ जय गायत्री माता,
जय जय गायत्री माता।
सद्गुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन सुखदाता॥ ॐ जय…
जो जन तुझको ध्याते,
ऋद्धि-सिद्धि पाते।
संकट मिट जाता है,
मन वांछित फल पाते॥ ॐ जय…
माँ रूप निरंजनी सुखमयी,
जग में ज्योति जलाती।
सद्बुद्धि दे सबको माता,
ऋषि-मुनि गुन गाते॥ ॐ जय…
शरण पड़े जो तेरी,
सो सुख सम्पत्ति पाता।
त्रिविध ताप मिटाकर,
मन वांछित फल पाता॥ ॐ जय…
वेद माताओं में तू माता,
संसार को तारण हारी।
दुष्टों का नाश किया,
तारक जग जननी भारी॥ ॐ जय…
माँ गायत्री दयामयी,
माँ सबकी शुभकारी।
प्रेम सहित गुण गाकर,
वेद ऋचाओं की न्यारी॥ ॐ जय…
गायत्री माता की आरती,
जो कोई नर गाता।
सत् चित आनंद स्वरूपा,
सुख-संपत्ति पाता॥ ॐ जय…
गायत्री माता आरती से लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: आरती से आत्मा शुद्ध और उन्नत होती है।
- बुद्धि में वृद्धि: माँ गायत्री की कृपा से विवेक में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
- वाणी में मधुरता: वाणी में सौम्यता और मधुरता आती है।
- संकटों से मुक्ति: कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- शत्रुओं से रक्षा: नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है।
- विद्या में उन्नति: ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- सृजनशीलता में वृद्धि: सृजनशीलता और नई सोच का विकास होता है।
- आध्यात्मिक जागरूकता: जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
- ईश्वर पर विश्वास: आरती से ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ता है।
- आंतरिक शांति: आरती से आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक जीवन में प्रगति होती है।
- मित्रों का सहयोग: जीवन में मित्रों और शुभचिंतकों का सहयोग मिलता है।
- समाज में सम्मान: समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होता है।
गायत्री माता आरती के नियम
- स्वच्छता: आरती से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- संकल्प: आरती के दौरान मन को शुद्ध और संकल्पित रखें।
- समर्पण भावना: आरती करते समय मन से भक्ति और समर्पण रखें।
- समय का ध्यान: आरती का समय निश्चित करें और रोज़ाना एक ही समय पर करें।
- मंत्र जपः आरती करते हुये गायत्री मंत्र का जप करे। (ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥)
- आरती सामग्री: शुद्ध घी का दीपक और धूप का प्रयोग करें।
- पूजा स्थल: शांत और पवित्र स्थान पर आरती करें।
- भक्ति गीत: आरती के दौरान भक्ति गीत गाएं या सुनें।
- आरती के बाद ध्यान: आरती के बाद कुछ समय मौन ध्यान में बिताएं।
- समूह में आरती: परिवार और मित्रों के साथ आरती करने से लाभ अधिक होता है।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती करने से जीवन में स्थिरता आती है।
गायत्री माता आरती करते समय सावधानियाँ
- आलस्य से बचें: आरती के समय आलस्य या लापरवाही न करें।
- शुद्धता का ध्यान: पूजा स्थल और सामग्री की शुद्धता का ध्यान रखें।
- सही उच्चारण: आरती के मंत्रों का सही उच्चारण करें।
- ध्यान एकाग्र रखें: आरती के दौरान ध्यान कहीं और न भटकने दें।
- समय का पालन: आरती समय पर करें, विलंब न करें।
- नियमों का पालन: आरती के नियमों का पालन सख्ती से करें।
- सभी सामग्री का उपयोग करें: आरती में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री का सही उपयोग करें।
- भावना से करें आरती: आरती केवल यांत्रिक रूप से न करें, भावना से करें।
गायत्री माता आरती किस दिन करनी चाहिए?
गायत्री माता आरती किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन विशेष रूप से रविवार और एकादशी का दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। रविवार को माता गायत्री की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। एकादशी के दिन आरती करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, विद्यार्थी परीक्षा के समय गायत्री माता की आराधना करके विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
गायत्री माता को भोग में क्या अर्पित करें?
गायत्री माता को भोग अर्पित करना पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है। भोग के रूप में सात्विक और शुद्ध चीजें ही अर्पित करनी चाहिए, जो शारीरिक और मानसिक शुद्धि को बढ़ावा दें। यहाँ कुछ प्रमुख भोग दिए जा रहे हैं जो आप गायत्री माता को अर्पित कर सकते हैं:
- फल: गायत्री माता को ताजे और शुद्ध फल अर्पित करें। विशेष रूप से सेब, केला, नारियल, अनार, और आम अच्छे माने जाते हैं।
- मिष्ठान्न: हलवा, खीर, पंजीरी, लड्डू और गुड़ से बने मीठे प्रसाद गायत्री माता को भोग स्वरूप अर्पित किए जा सकते हैं। यह प्रसाद सात्विक और शुद्ध होना चाहिए।
- गंगाजल: गायत्री माता की पूजा में गंगाजल का विशेष महत्व है। इसे भोग के साथ अर्पित करना पवित्र माना जाता है।
- दूध और दूध से बने पदार्थ: दूध, खीर, मलाई या माखन जैसे दूध से बने उत्पाद माँ को अर्पित करें। यह माता के प्रति श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है।
- सात्विक भोजन: साधारण और शुद्ध भोजन जैसे मूंग की दाल, चावल, और ताजे शाक-भाजी का भोग भी अर्पित किया जा सकता है।
- सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश, और अन्य सूखे मेवे भी गायत्री माता को भोग में चढ़ाए जा सकते हैं।
- शहद: शहद शुद्धता का प्रतीक है और इसे माँ को भोग में अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
- पंचामृत: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल का मिश्रण) भी भोग में चढ़ाया जा सकता है। यह पवित्र और धार्मिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
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भोग अर्पण के समय ध्यान रखने योग्य बातें
- भोग अर्पित करने से पहले उसे शुद्ध और पवित्र स्थान पर बनाएं।
- भोग हमेशा ताजे और सात्विक रूप से बनाए गए हों, जिसमें प्याज, लहसुन, या किसी प्रकार का तामसिक पदार्थ न हो।
- भोग अर्पित करने से पहले गायत्री मंत्र का उच्चारण करें और ध्यान लगाकर माता से प्रार्थना करें।
- भोग के बाद इसे प्रसाद के रूप में सभी परिवारजनों और श्रद्धालुओं में बांटें।
गायत्री माता को भोग अर्पित करने से पूजा अधिक फलदायी होती है और इससे माँ की कृपा प्राप्त होती है।
गायत्री माता आरती से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर
- प्रश्न: गायत्री माता आरती का सही समय क्या है?
उत्तर: सुबह और शाम आरती का सबसे शुभ समय है। - प्रश्न: क्या आरती को अकेले किया जा सकता है?
उत्तर: हां, आरती को अकेले भी श्रद्धा से किया जा सकता है। - प्रश्न: आरती में किस दीपक का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक सर्वोत्तम माना जाता है। - प्रश्न: क्या गायत्री आरती विशेष अवसरों पर करनी चाहिए?
उत्तर: हां, विशेष अवसरों पर आरती करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। - प्रश्न: गायत्री माता आरती से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: आरती से जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। - प्रश्न: आरती के दौरान कौन-से मंत्र का जप करना चाहिए?
उत्तर: गायत्री मंत्र “ॐ भूर्भुवः स्वः…” का जप करें। - प्रश्न: आरती के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: आरती के बाद ध्यान और शांति का अनुभव करें। - प्रश्न: क्या आरती में विशेष भोग अर्पित करना चाहिए?
उत्तर: हां, भोग में फल, मिष्ठान्न और गंगाजल अर्पित करना चाहिए। - प्रश्न: क्या विद्यार्थी भी गायत्री आरती कर सकते हैं?
उत्तर: हां, विद्यार्थी विद्या में सफलता के लिए आरती कर सकते हैं। - प्रश्न: आरती के दौरान कौन-से भजन गाए जा सकते हैं?
उत्तर: गायत्री माता के भजन या मंत्र का जप कर सकते हैं। - प्रश्न: क्या आरती से मानसिक शांति मिलती है?
उत्तर: हां, आरती से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। - प्रश्न: क्या गायत्री माता की आरती को रोज़ करना चाहिए?
उत्तर: हां, नियमित रूप से आरती करने से जीवन में स्थिरता और सुख आता है।