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ग्रह नक्षत्र यक्षिणी / Graha Nakshatra Yakshini Mantra

ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र विधि- सही तरीके से जप करें और पाएं ग्रह दोषों से मुक्ति

ग्रहों के दोष को नष्ट करने वाली ग्रह नक्षत्र यक्षिणी भी यक्षिणियों की श्रेणी में आती हैं, जो विशेष ग्रहों और नक्षत्रों की कृपा को प्राप्त करने के लिए पूजा की जाती हैं। इनकी पूजा से जातक को अपनी राशि और ग्रहों की स्थिति में सुधार मिलता है। ग्रह नक्षत्र यक्षिणी की पूजा के लिए विशेष मंत्र और विधान होते हैं, जिन्हें अनुसरण करके जातक अपने जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए उनके अशुभ प्रभावों को कम करता है।

ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ग्रह-नक्षत्र-यक्षिण्यै नमः”

अर्थ:
इस मंत्र में ‘ॐ’ ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है। ‘ऐं’ ज्ञान का, ‘ह्रीं’ शक्ति का और ‘श्रीं’ धन-संपत्ति का प्रतीक है। ‘ग्रह-नक्षत्र-यक्षिण्यै’ का तात्पर्य है ग्रह, नक्षत्र और यक्षिणी देवी की शक्ति। ‘नमः’ का अर्थ है विनम्रता से नमन या समर्पण। इस मंत्र का जप ग्रहों की अशुभ स्थिति और नक्षत्रों के बुरे प्रभावों से मुक्ति दिलाता है। यक्षिणी देवी के आशीर्वाद से समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।
  2. नक्षत्रों का बुरा प्रभाव समाप्त होता है।
  3. शत्रु बाधा का नाश होता है।
  4. जीवन में शांति और स्थिरता आती है।
  5. आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  6. सफलता की प्राप्ति होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है।
  9. मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  11. अचानक आने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
  12. यात्रा में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं।
  13. संपत्ति संबंधी विवादों का निपटारा होता है।
  14. व्यापार में उन्नति होती है।
  15. संतान सुख प्राप्त होता है।
  16. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  17. ग्रहों की दशा में सुधार होता है।

ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र जप विधि

ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र का जप विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। सुबह या शाम के समय, स्नान के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण कर शांतिपूर्वक इस मंत्र का जप करें। ध्यान रखें कि जप के दौरान मंत्र का उच्चारण सही हो और मन एकाग्र रहे।

मंत्र जप की अवधि

इस मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन किया जा सकता है।

जप की सामग्री

  1. रुद्राक्ष या तुलसी की माला
  2. स्वच्छ आसन (लाल या पीला)
  3. दीपक (घी का)
  4. धूप या अगरबत्ती
  5. साफ जल का पात्र

मंत्र जप संख्या

मंत्र जप के लिए प्रतिदिन 11 माला का जप करना चाहिए। एक माला में 108 मंत्र होते हैं, इसलिए 11 माला में 1188 मंत्र रोज़ जपे जाते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. आयु 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी यह जप कर सकता है।
  3. जप के दौरान नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मांसाहार, पान का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

  1. जप के समय मन पूरी तरह से एकाग्र होना चाहिए।
  2. जप के दौरान किसी अन्य कार्य में ध्यान न लगाएं।
  3. गलत उच्चारण से बचें।
  4. जप के समय शांत वातावरण हो।
  5. माला का सही उपयोग करें, इसे जमीन पर न रखें।

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ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

1. ग्रह-नक्षत्र-यक्षिणी मंत्र कब जपें?

इस मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या के समय शुभ माना जाता है। शुद्ध अवस्था में, स्नान करने के बाद ही जप शुरू करें।

2. मंत्र जप कितने दिन तक करना चाहिए?

मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन किया जा सकता है। अधिक प्रभावी परिणाम के लिए जप नियमित रूप से करें।

3. मंत्र जप के समय कौन से वस्त्र पहनें?

मंत्र जप के समय लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है। नीले और काले रंग के वस्त्र न पहनें।

4. मंत्र जप में कौन सी माला का उपयोग करें?

रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें। यह शुद्धता और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है।

5. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतें?

मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। मांसाहार, धूम्रपान और पान का सेवन न करें।

6. मंत्र का प्रभाव कब दिखता है?

नियमित और विधिपूर्वक किए गए जप का प्रभाव 11 से 21 दिनों के भीतर दिखने लगता है।

7. क्या इस मंत्र को स्त्रियां भी जप सकती हैं?

हां, स्त्री-पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र जप में कोई लिंग भेद नहीं है।

8. क्या यह मंत्र सभी ग्रह दोषों को दूर कर सकता है?

यह मंत्र ग्रह दोषों को शांत करने में अत्यंत प्रभावी है। यह विशेष रूप से शनि, राहु और केतु के दोषों को समाप्त करता है।

9. क्या इस मंत्र को किसी विशेष मुहूर्त में जपना चाहिए?

हां, शुभ मुहूर्त में मंत्र जप करना अति उत्तम होता है। ज्योतिषाचार्य से परामर्श करके जप का मुहूर्त जानें।

10. मंत्र जप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

मंत्र जप के लिए शांत और शुद्ध वातावरण वाला स्थान चुनें। मंदिर या पूजा कक्ष सर्वोत्तम होते हैं।

11. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थ त्यागने चाहिए?

जप के दौरान मांसाहार, धूम्रपान, शराब और तामसिक भोजन से दूर रहें। शुद्ध शाकाहारी आहार का सेवन करें।

12. क्या इस मंत्र का जप ग्रहों की दशा में सुधार करता है?

हां, यह मंत्र ग्रहों की दशा में सुधार करता है और नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।

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