दुख दर्द मिटा हनुमान बाहुक, भगवान हनुमान की महिमा का बखान करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा है। हनुमान बाहुक की रचना उस समय की गई थी, जब तुलसीदास जी को अत्यधिक कष्ट हो रहा था। उनके शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही थी, और इस पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान हनुमान का स्मरण करते हुए हनुमान बाहुक की रचना की। इसके पाठ से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति पा सकता है।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित स्तोत्र हनुमान बाहुक
दोहा:
सुरसरी सम सब कर हित, सकल सुमंगल मूल।
तूलसी जिय चिंतामनि, सीता राम प्रतितूल॥
बंदउँ हनुमान पग, जुगल कमल रज पूर।
नखतारक सम तूलसी, रघुबीर सरि हूर॥
चौपाई भाग १
जे हनुमान बिमल बल रूपा।
सकल जगत में चिर सुख भूषा॥
महावीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेउ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंधन॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिकपाल जहाँ ते।
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
चौपाई भाग २
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुवर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
दोहा:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
कीन्हेउँ प्रकट चारि भुज राम।
देखि रावण समर जय काम॥
माता जानकी नेह बिशेष।
सूरज कांत बिहन जब देख॥
तुलसी मस्तक तब नऊँ।
प्रभु कृपा करि हरहु कष्ट दुःख घनु॥
हनुमान बाहुक एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हनुमान बाहुक के पाठ से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसके नियमित पाठ से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
लाभ
- शारीरिक कष्टों से मुक्ति: हनुमान बाहुक का नियमित पाठ करने से शरीर के सभी प्रकार के दर्द और रोग समाप्त होते हैं।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- भय से मुक्ति: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के भय और अशांत विचार समाप्त होते हैं।
- दुर्भाग्य से रक्षा: व्यक्ति को किसी भी प्रकार के दुर्भाग्य से बचाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा मिलती है।
- धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
- संकटों से रक्षा: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा मिलती है।
- परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- संकल्प सिद्धि: किसी भी प्रकार के संकल्प की पूर्ति होती है।
- वाणी में मधुरता: व्यक्ति की वाणी में मधुरता और प्रभावशीलता आती है।
- ज्ञान में वृद्धि: विद्यार्थियों के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी होता है, जिससे अध्ययन में एकाग्रता बढ़ती है।
- बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं और अवरोधों का नाश होता है।
- सभी कार्यों में सफलता: किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हनुमान बाहुक का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- कर्ज से मुक्ति: कर्ज के बोझ से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शरीर के सभी प्रकार के विकारों और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
- नेगेटिव ऊर्जा का नाश: जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और प्रभाव समाप्त होते हैं।
- परमात्मा से जुड़ाव: व्यक्ति का भगवान हनुमान के साथ आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है।
- जीवन में स्थिरता: जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त होता है।
- समस्याओं का समाधान: किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान हनुमान बाहुक के पाठ से संभव होता है।
हनुमान बाहुक का पाठ विधि
दिन: हनुमान बाहुक का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
अवधि: हनुमान बाहुक का पाठ 7 दिन, 11 दिन या 21 दिन तक लगातार किया जा सकता है, या जब तक इच्छित फल प्राप्त न हो।
मुहूर्त: इस पाठ के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) या संध्याकाल का समय सबसे शुभ माना जाता है।
नियम
- शुद्धि: पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- आसन: स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
- शुद्ध मन: मन को शुद्ध और एकाग्र रखें।
- निर्धारित स्थान: रोज़ाना एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
- समर्पण: भगवान हनुमान के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ पाठ करें।
- धूप-दीप: पाठ से पहले धूप और दीप जलाएं।
- संयम: पाठ के दौरान संयम और मर्यादा बनाए रखें।
- व्रत: हनुमान बाहुक के पाठ के दौरान व्रत का पालन करें।
- सामूहिक पाठ: सामूहिक रूप से पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
- आहार: शाकाहारी और सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
सावधानियाँ
- अशुद्धि: अशुद्ध अवस्था में पाठ नहीं करना चाहिए।
- अनुशासन: पाठ के समय अनुशासन बनाए रखें।
- भय: किसी भी प्रकार के भय या संशय से दूर रहें।
- ध्यान: ध्यान भटकाने वाली सभी चीज़ों से दूर रहें।
- वाणी: अपशब्दों का प्रयोग न करें।
- विचार: सकारात्मक विचारों के साथ ही पाठ करें।
- समय का पालन: समय का ध्यान रखें, बिना किसी रुकावट के पाठ करें।
- बाहरी हस्तक्षेप: पाठ के दौरान बाहरी हस्तक्षेप से बचें।
- स्वच्छता: पाठ के स्थान की स्वच्छता का ध्यान रखें।
- रात्रि में सावधानी: रात्रि के समय पाठ करते समय विशेष सतर्कता बरतें।
हनुमान बाहुक से जुड़े पृश्न उत्तर
- हनुमान बाहुक क्या है? हनुमान बाहुक भगवान हनुमान की स्तुति में रचित एक पवित्र स्तोत्र है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।
- हनुमान बाहुक का पाठ क्यों किया जाता है? इसका पाठ शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।
- हनुमान बाहुक का पाठ किस दिन करना चाहिए? हनुमान बाहुक का पाठ मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ महिलाएं भी कर सकती हैं? हाँ, हनुमान बाहुक का पाठ महिलाएं भी कर सकती हैं।
- हनुमान बाहुक का पाठ किस समय करना चाहिए? ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या के समय करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए? हाँ, नियमित पाठ से भगवान हनुमान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है? हाँ, हनुमान बाहुक का पाठ शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है? हाँ, हनुमान बाहुक का पाठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ किसी विशेष अवसर पर किया जा सकता है? हाँ, विशेष अवसरों पर इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है? हाँ, हनुमान बाहुक का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ करने से पारिवारिक सुख-शांति मिलती है? हाँ, इसका पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ विद्यार्थियों के लिए लाभकारी है? हाँ, विद्यार्थियों के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- क्या हनुमान बाहुक का पाठ करने से भय समाप्त होता है? हाँ, हनुमान बाहुक का पाठ करने से सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।