इस हनुमान चालीसा का पाठ करने के पहले एक माला हनुमान मंत्र ॥ॐ हं हनुमंते हं नमः॥ का जप करे. इसके बाद ३ पाठ हनुमान चालीसा पाठ किसी भी मंगलवार से नियमित करे। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अति महत्वपूर्ण भजन है, जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। इसमें 40 चौपाइयाँ हैं और यह भक्तों द्वारा अत्यधिक श्रद्धा से गाया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
हनुमान चालीसा पाठ के लाभ
- भय मुक्ति: हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- धन लाभ: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं से रक्षा होती है और वे परास्त होते हैं।
- विघ्न बाधा से मुक्ति: सभी प्रकार की विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।
- शुभता की प्राप्ति: जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और जागरूकता बढ़ती है।
- कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- ग्रह दोष निवारण: सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होते हैं।
- कार्य सिद्धि: सभी कार्य सफल होते हैं।
- संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
- मान-सम्मान की प्राप्ति: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- वाणी की मधुरता: वाणी में मधुरता आती है।
- संकटों से रक्षा: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा होती है।
- अखंड भक्ति: भगवान हनुमान की अखंड भक्ति प्राप्त होती है।
- सौभाग्य की प्राप्ति: जीवन में सौभाग्य आता है।
- जीवन में संतोष: जीवन में संतोष और संतुलन आता है।
- दिव्य दृष्टि: आत्मज्ञान और दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।
हनुमान चालीसा का पाठ: दिन, अवधि, और मुहूर्त
- दिन: मंगलवार और शनिवार हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष दिन माने जाते हैं। इन दिनों में हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- अवधि: हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से 40 दिन तक किया जा सकता है। प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका पाठ करना चाहिए।
- मुहूर्त: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) हनुमान चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है। शाम के समय सूर्यास्त के बाद भी इसका पाठ किया जा सकता है।
हनुमान चालीसा पाठ की विधि
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
- दीप जलाना: एक दीपक जलाकर भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
- संकल्प: अपने मन में संकल्प लें और भगवान हनुमान का ध्यान करें।
- आरंभ: ‘श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि’ से हनुमान चालीसा का पाठ आरंभ करें।
- समाप्ति: ‘पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥’ के साथ पाठ समाप्त करें।
- प्रसाद: पाठ के बाद हनुमान जी को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें और फिर उसे सभी में बांटें।
- आरती: अंत में हनुमान जी की आरती करें।
हनुमान चालीसा
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बलधामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन वरण विराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महाजग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज सवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाए। श्रीरघुवीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीहिं। राम मिलाय राज पद दीहिं॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
युग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरणा। तुम रक्षक काहू को डर ना॥
हनुमान चालीसा
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन रामको पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥
दोहा।
पवन तनय संकट हरण मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत सरल है और इसके लाभ अनगिनत हैं। यह न केवल भक्तों को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि दिलाने में भी मदद करता है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उसे भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है।