Saturday, December 21, 2024

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Hartalika Teej Vrat Vidhi & Katha

६ सितंबर २०२४ हरतालिका तीज व्रत मुहुर्थ व विधि

हरतालिका तीज व्रत हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है जो मुख्यतः महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

हरतालिका तीज व्रत मुहुर्थ – 2024 की तिथि और समय

  • हरतालिका तीज पूजा तिथि: शुक्रवार, 6 सितंबर 2024- सुबह 6.02 से 8.33 मिनट तक
  • तीज तृतीया तिथि प्रारंभ: 05 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट 
  • तीज तृतीया तिथि समाप्त: 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट 

यह मुहूर्त और तिथि भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार है। हरतालिका तीज के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए।

व्रत और पूजा के दौरान विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें, और व्रत कथा सुनने के बाद व्रत की विधि को पूर्ण करें।

हरतालिका तीज व्रत विधि और मंत्र

हरतालिका तीज व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: व्रत करने वाले को प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. मूर्ति स्थापना: भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  3. पूजन सामग्री: पूजन सामग्री में धूप, दीप, अक्षत, फल, फूल, पान, सुपारी, नारियल, शहद आदि रखें।
  4. पूजा: संकल्प लें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा करें। हरतालिका तीज का प्रमुख मंत्र है:
  • “ॐ उमामहेश्वराय नमः”
  • “ॐ पार्वतीपतये हर हर महादेव नमः”
  • ॥ॐ ह्रौं पार्वतीपतये नम॥
  1. कथा श्रवण: हरतालिका तीज की कथा सुनें और सुनाएँ।
  2. आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

हरतालिका तीज व्रत में उपवास का पालन किया जाता है, जिसमें दिनभर अन्न और जल का सेवन नहीं किया जाता है।

  • क्या खाएं: फल, सूखे मेवे, और फलों के रस।
  • क्या न खाएं: अन्न, चावल, दालें, तले हुए भोजन, और प्याज-लहसुन।

व्रत का समय और अवधि

  • कब से कब तक व्रत रखें: हरतालिका तीज का व्रत प्रातःकाल सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक रखा जाता है।
  • व्रत की अवधि: व्रत की अवधि लगभग 24 घंटे होती है।

Know more about Shia Yogini mantra

हरतालिका तीज व्रत के लाभ

  1. पति की लंबी उम्र।
  2. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति।
  3. परिवार में सुख-समृद्धि।
  4. मनोवांछित फल की प्राप्ति।
  5. शारीरिक और मानसिक शुद्धि।
  6. संतान सुख की प्राप्ति।
  7. आत्मिक शांति।
  8. बुरे कर्मों का नाश।
  9. देवी पार्वती और भगवान शिव की कृपा।
  10. रोगों से मुक्ति।
  11. समाज में मान-सम्मान की वृद्धि।
  12. आध्यात्मिक उन्नति।

Hartalika Teej Vrat- Video

व्रत के नियम

  1. स्नान और शुद्धिकरण: व्रत के दिन प्रातः स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. संपूर्ण उपवास: जल और अन्न का सेवन न करें।
  3. पूजन विधि: विधिपूर्वक माता पार्वती और शिवजी की पूजा करें।
  4. ध्यान और साधना: दिनभर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें।
  5. कथा श्रवण: हरतालिका तीज व्रत की कथा अवश्य सुनें।
  6. शुद्धता: मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें।

Aghor shiva yantra

व्रत के भोग

व्रत के दौरान माता पार्वती और भगवान शिव को फल, मेवा, दूध, शहद, और गंगाजल का भोग लगाया जाता है।

व्रत के दौरान सावधानियाँ

  1. संपूर्ण उपवास का पालन करें: जल और अन्न का सेवन न करें।
  2. सभी पूजा सामग्री का उपयोग करें: पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री का ध्यान रखें।
  3. सत्य और संयम का पालन करें: व्रत के दौरान सत्य बोलें और संयमित रहें।
  4. मन और वचन की शुद्धता: मन और वचन से शुद्ध रहें, अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  5. शारीरिक शुद्धता: स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

संपूर्ण हरतालिका तीज व्रत की कथा

हरतालिका तीज व्रत की कथा मुख्यतः माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ी हुई है। यह कथा हमें पार्वती जी की अटल श्रद्धा, तप और समर्पण की कहानी बताती है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भगवान शिव का सान्निध्य प्राप्त हुआ।

कथा का प्रारंभ

एक समय की बात है, हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। पार्वती जी ने बचपन से ही भगवान शिव को अपने हृदय में पति रूप में वरण कर लिया था। उन्होंने इस संकल्प को मन, वचन और कर्म से धारण किया और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं।

तपस्या का आरंभ

पार्वती जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या की। उन्होंने अपनी तपस्या में कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना किया, जिसमें बिना अन्न-जल के रहना, खुले आसमान के नीचे रहकर साधना करना शामिल था। उनकी तपस्या देखकर देवता भी अचंभित हो गए।

सखियों द्वारा अपहरण

पार्वती जी के इस कठोर तप से चिंतित होकर उनकी सखियों ने उन्हें समझाया कि इस प्रकार की तपस्या उनके लिए हानिकारक हो सकती है। लेकिन जब पार्वती जी अपनी साधना में अडिग रहीं, तो उनकी एक सखी ने पार्वती जी का अपहरण कर लिया और घने जंगल में ले गई। इस घटना के कारण इस व्रत का नाम “हरतालिका” पड़ा, जिसका अर्थ है “हरित” (अपहरण) और “आलिका” (सखी)।

भगवान शिव का प्रसन्न होना

पार्वती जी के अटल संकल्प और तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। शिवजी ने पार्वती जी से कहा, “हे पार्वती, मैं तुम्हारी भक्ति और तप से अत्यंत प्रसन्न हूँ। तुम्हारा यह तप और साधना निश्चय ही सफल होगी। मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि मैं तुम्हें पति रूप में प्राप्त होऊंगा।” भगवान शिव के इस वरदान को सुनकर पार्वती जी अत्यंत प्रसन्न हुईं और उनकी तपस्या सफल हो गई।

पार्वती जी का व्रत

भगवान शिव के दर्शन और वरदान के बाद पार्वती जी ने शिवजी की आराधना करते हुए हरतालिका तीज का व्रत रखा। इस व्रत के दौरान उन्होंने दिन-रात उपवास किया और भगवान शिव की उपासना में लीन रहीं। उन्होंने पूजा-अर्चना के साथ भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया।

विवाह और शिव-पार्वती का मिलन

इस कठोर तप और व्रत के पश्चात, भगवान शिव ने पार्वती जी को अपना वर स्वीकार किया और उनका विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ। यह विवाह पूरे ब्रह्मांड में आदर्श और पवित्र माना गया। शिव-पार्वती का यह मिलन केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

कथा का संदेश

हरतालिका तीज की कथा से यह संदेश मिलता है कि यदि व्यक्ति अपने संकल्प में अडिग रहता है और सच्चे मन से भगवान की आराधना करता है, तो उसे अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं।

हरतालिका तीज व्रत का पालन करने से स्त्रियाँ पार्वती जी के समान ही अपने पति के प्रति अडिग प्रेम, समर्पण और विश्वास प्राप्त कर सकती हैं, जिससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।

व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: हरतालिका तीज व्रत किसके लिए रखा जाता है?

उत्तर: हरतालिका तीज व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

प्रश्न: हरतालिका तीज व्रत कब मनाया जाता है?

उत्तर: हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

प्रश्न: क्या इस व्रत में जल ग्रहण कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है।

प्रश्न: इस व्रत का प्रमुख मंत्र क्या है?

उत्तर: हरतालिका तीज व्रत का प्रमुख मंत्र है “ॐ उमामहेश्वराय नमः”।

प्रश्न: व्रत के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: व्रत के दौरान अन्न, चावल, दालें, तले हुए भोजन, और प्याज-लहसुन नहीं खाना चाहिए।

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