Indira Ekadashi Vrat – Complete Ritual Guide

इंदिरा एकादशी व्रत – 28.09.2024

इंदिरा एकादशी व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पितृ दोष का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत के पालन से व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान कर सकता है और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति करवा सकता है।

व्रत विधि मंत्र के साथ

इंदिरा एकादशी व्रत की शुरुआत प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा से करें। भगवान की प्रतिमा को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। फिर फल, फूल, दीप, धूप, और तुलसी दल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें। दिनभर उपवास रखें और भगवान विष्णु की कथा सुनें। शाम के समय आरती करें और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

इंदिरा एकादशी व्रत किस दिन आता है

इंदिरा एकादशी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह तिथि पितृपक्ष में आती है, इसलिए इसका महत्व विशेष रूप से पितरों के उद्धार के लिए माना जाता है। इस व्रत को करने से पितृ दोष की शांति होती है और पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

व्रत के दिन सात्विक आहार का सेवन करें। फल, दूध, सूखे मेवे, साबूदाना, और सिंघाड़े का आटा खा सकते हैं। अन्न, चावल, दाल, प्याज, लहसुन, और तामसिक भोजन से परहेज करें। व्रत के दौरान मांसाहार, शराब और अन्य अनैतिक गतिविधियों से भी दूर रहें। उपवास के दौरान पवित्रता और संयम का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

इंदिरा एकादशी व्रत कब से कब तक रखें

व्रत की शुरुआत एकादशी तिथि के सूर्योदय से होती है और द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास रखें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और व्रत का समापन करें। व्रत के दौरान रात्रि जागरण और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है।

इंदिरा एकादशी व्रत के लाभ

  1. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  2. पितृ दोष का नाश होता है।
  3. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  4. व्रत करने से पुण्य की वृद्धि होती है।
  5. मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
  6. जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
  7. पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
  8. व्रत करने से पापों का नाश होता है।
  9. पितरों की आत्मा को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
  10. भगवान विष्णु की भक्ति में वृद्धि होती है।
  11. व्रत से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  12. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. झूठ, चोरी, और हिंसा से बचें।
  3. व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन लें।
  4. भगवान विष्णु की कथा और मंत्रों का जाप करें।
  5. उपवास के दिन रात्रि जागरण करें।
  6. व्रत के दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान दें।
  7. मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
  8. संयमित जीवन व्यतीत करें और पवित्रता का पालन करें।

Spiritual Store

इंदिरा एकादशी व्रत संपूर्ण कथा

प्राचीन काल में महिष्मती नगर में इंद्रसेन नामक राजा का राज्य था। राजा इंद्रसेन धर्मात्मा और भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक दिन राजा अपने दरबार में बैठकर धर्म चर्चा कर रहे थे, तभी नारद मुनि वहां आए। राजा ने मुनि का आदरपूर्वक स्वागत किया और पितरों की आत्मा की शांति के विषय में पूछा। नारद मुनि ने बताया कि राजा के पिताजी पाप कर्मों के कारण यमलोक में कष्ट भोग रहे हैं।

नारद मुनि ने राजा को इंदिरा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस व्रत को करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है और वे स्वर्गलोक में स्थान पाते हैं। राजा इंद्रसेन ने विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया और अपने पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति करवाई। इस व्रत को करने से राजा के पिताजी को भी मोक्ष प्राप्त हुआ और वे स्वर्गलोक में जाकर सुखपूर्वक रहने लगे।

इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि इंदिरा एकादशी व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की भक्ति और व्रत के पालन से व्यक्ति अपने पूर्वजों के उद्धार के साथ-साथ स्वयं को भी पापों से मुक्त कर सकता है।

व्रत का भोग

इंदिरा एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को फल, दूध, मिठाई, पंचामृत, और तुलसी पत्र का भोग लगाएं। भगवान को अर्पित किए गए भोग को व्रत के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करें। तुलसी दल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए बिना तुलसी के भोग को अपूर्ण माना जाता है।

1st Pitra shraddh vidhi

इंदिरा एकादशी व्रत के दौरान सावधानियां

  1. व्रत के दिन क्रोध, लोभ, और अहंकार से बचें।
  2. तामसिक आहार और अनैतिक गतिविधियों से दूर रहें।
  3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  4. उपवास करते समय संयम और भक्ति का पालन करें।
  5. व्रत के दौरान गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करें।

इंदिरा एकादशी व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: क्या इंदिरा एकादशी का व्रत सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, इंदिरा एकादशी का व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। विशेषकर पितृ दोष निवारण के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी है।

प्रश्न 2: व्रत के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान तामसिक भोजन, शराब, मांसाहार, और किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 3: इंदिरा एकादशी व्रत का भोग क्या लगाएं?
उत्तर: भगवान विष्णु को फल, दूध, मिठाई, पंचामृत, और तुलसी पत्र का भोग अर्पित करें।

प्रश्न 4: इंदिरा एकादशी व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, पितृ दोष का नाश होता है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 5: इंदिरा एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए?
उत्तर: इस व्रत को करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।

इस प्रकार, इंदिरा एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है और अपने पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति करवा सकता है।

spot_img
spot_img

Related Articles

Stay Connected

65,000FansLike
782,365SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency