रविवार रात प्रत्यंगिरा देवी का रक्षा कवच – बुरी शक्तियां पास नहीं आती
प्रत्यंगिरा देवी को तांत्रिक जगत की अत्यंत उग्र और सुरक्षा देने वाली शक्ति माना गया है। यह देवी साधक को हर तरह की अदृश्य बाधाओं से बचाती है। जब घर में अजीब बेचैनी, भय या अनचाही ऊर्जा महसूस होने लगे तो यह देवी तुरंत सक्रिय होकर सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।
रविवार की रात प्रत्यंगिरा देवी की शक्ति विशेष रूप से तेज होती है। इस रात का वातावरण देवी की ऊर्जा को सहजता से जगाता है। साधक यदि श्रद्धा और संतुलित मन से प्रयोग करे तो उसका प्रभाव उसी क्षण शुरू हो जाता है।
DivyayogAshram के कई साधकों का अनुभव है कि रविवार रात का यह रक्षा कवच व्यक्ति को तुरंत मजबूत कर देता है। यह प्रयोग सामान्य पूजा नहीं है बल्कि प्राचीन रहस्यमय माध्यम है जो साधक को नकारात्मक शक्तियों से तुरंत बचाता है।
इस अध्याय में आप इस माध्यम की संपूर्ण गहराई, विधि और लाभ को आसान भाषा में समझेंगे। उद्देश्य साधक को डर से मुक्त करना है और देवी की सुरक्षा को सहज रूप में उपलब्ध कराना है।
प्रत्यंगिरा देवी का स्वरूप और शक्ति
प्रत्यंगिरा देवी उग्र रूप में दिखाई जाती हैं। यह उग्रता साधक को डराने के लिये नहीं है। यह ऊर्जा नकारात्मक शक्तियों को रोकने का संकेत देती है। देवी का स्वरूप सिंहमुखी है जो साहस, दृढ़ता और प्रचंड ऊर्जा का प्रतीक है।
देवी ऊर्जा की तीव्र तरंगें उत्पन्न करती हैं जो साधक के चारों ओर सुरक्षा कवच बनाती हैं। यह ऊर्जा किसी भी बुरी शक्ति को साधक के पास आने नहीं देती।
देवी का मुख्य संदेश यह है कि जीवन में दृढ़ बने रहें और किसी भी नकारात्मक प्रभाव को स्वयं पर हावी न होने दें।
रविवार रात क्यों विशेष मानी जाती है
रविवार का दिन सूर्य शक्ति का दिन माना जाता है। सूर्य ऊर्जा का केंद्र है। रात में यह ऊर्जा शांत होकर गहरी सुरक्षात्मक शक्ति में बदल जाती है। यही कारण है कि रविवार की रात प्रत्यंगिरा देवी का प्रभाव तेजी से महसूस होता है।
इस रात वातावरण स्थिर रहता है। हवा में एक शांत कंपन सक्रिय होता है। यह कंपन देवी की उग्र ऊर्जा को तुरंत साधक तक पहुंचाता है।
देर रात की शांति साधक की चेतना को भी स्थिर करती है। यही स्थिरता देवी को आह्वान करने में मदद करती है।
यह रक्षा कवच क्या करता है
यह कवच साधक के चारों ओर अदृश्य सुरक्षा चक्र बनाता है।
यह सुरक्षा चक्र नकारात्मक शक्ति को आने ही नहीं देता।
नीचे इसके तीन प्रमुख प्रभाव दिए गये हैं।
पहला प्रभाव
अदृश्य भय तुरंत शांत होता है।
मन स्थिर होकर हल्का महसूस करता है।
दूसरा प्रभाव
किसी भी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव कमजोर हो जाता है।
साधक की आभा मजबूत होती है।
तीसरा प्रभाव
घर का माहौल स्थिर और सुरक्षित बन जाता है।
कौन कर सकता है यह प्रयोग
यह प्रयोग उन लोगों के लिये है जो
- रात में अनजाना भय महसूस करते हैं
- घर में नकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हैं
- अचानक बेचैनी या अजीब सपना देख रहे हैं
- व्यापार या घर में लगातार रुकावटें झेल रहे हैं
- गुप्त तांत्रिक प्रभाव से परेशान हैं
- सुरक्षा और स्थिरता चाहते हैं
यह प्रयोग किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है।
बस श्रद्धा और शांत मन आवश्यक है।
प्रत्यंगिरा देवी का मुख्य मंत्र
इस रक्षा कवच के लिये यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है
“ऊंह्रीं क्षम क्षम प्रत्यंगिरा स्वाहा”
यह मंत्र ऊर्जा की तेज तरंग बनाता है।
यह तरंग साधक को सुरक्षा देती है और भय को समाप्त करती है।
मंत्र जप धीमी आवाज में किया जाए।
जितना शांत मन रहेगा, मंत्र उतना प्रभावी होगा।
रक्षा कवच की तैयारी
नीचे सरल तैयारी दी गयी है ताकि साधक इसे सहजता से कर सके।
1. स्थान तैयार करें
कमरे की रोशनी मंद रखें।
एक दीपक जलाएं और एक छोटा कपूर का टुकड़ा पास रखें।
2. मन को शांत करें
तीन गहरी सांस लें।
मन को भीतर की ओर लाएं।
3. देवी का आह्वान करें
धीरे बोलें
“प्रत्यंगिरा माता मेरी रक्षा करें।”
4. काली राई का उपयोग करें
अंगूठे और तर्जनी में थोड़ी राई लेकर तीन बार घुमाएं।
राई नकारात्मक ऊर्जा को खींचती है।
5. दीपक में मंत्र जपें
27 मंत्र जप करें।
जाप खत्म होने पर दीपक की लौ को देखें।
6. सुरक्षा चक्र बनाएं
अपने चारों ओर हाथ से एक गोला बनाएं।
यह गोला देवी का कवच बनता है।
रविवार रात प्रयोग की पूर्ण विधि
नीचे संपूर्ण विधि दी गई है।
भाषा सरल है ताकि साधक बिना कठिनाई समझ सके।
चरण 1
रात 9 बजे के बाद प्रयोग शुरू करें।
इस समय वातावरण स्थिर रहता है।
चरण 2
एक स्थान पर बैठ जाएं।
पीठ सीधी रखें और आंखें हल्की बंद करें।
चरण 3
एक काला कपड़ा सामने रखें।
उस पर दीपक और एक लौंग रखें।
चरण 4
लौंग पर हल्की फूंक मारें।
फूंक ऊर्जा को सक्रिय करती है।
चरण 5
मंत्र का 27 बार जप प्रारंभ करें।
जाप धीरे और स्पष्ट होना चाहिए।
चरण 6
दीपक के पास हाथ ले जाकर तीन बार घुमाएं।
यह प्रक्रिया रक्षा चक्र बनाती है।
चरण 7
माथे पर हल्की भस्म लगाएं।
भस्म सुरक्षा की अंतिम परत बनाती है।
प्रयोग समाप्त होते ही साधक के आसपास एक हल्का सुरक्षा कवच बन जाता है।
इस रक्षा कवच के प्रमुख लाभ
- रात का भय तुरंत कम होता है
- नकारात्मक ऊर्जा कमजोर होती है
- मन में स्थिरता आती है
- परिवार में सुरक्षा की भावना बढ़ती है
- अनजाना डर समाप्त हो जाता है
- व्यापार में रुकावट कम होती है
- नींद बेहतर होती है
- घर का वातावरण शांत होता है
- गुप्त बाधाएं टूटती हैं
- साधक की आभा मजबूत होती है
- लंबे समय की अस्थिरता शांत होती है
- जादू तंत्र से सुरक्षा मिलती है
- मानसिक शक्ति बढ़ती है
घर में रक्षा चक्र कैसे बनता है
प्रत्यंगिरा ऊर्जा घर के चारों ओर एक अदृश्य चक्र बनाती है।
यह चक्र लगातार सक्रिय रहता है।
चक्र चार स्तरों में काम करता है।
पहला स्तर
नकारात्मक तरंग घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
दूसरा स्तर
पुरानी नकारात्मक ऊर्जा कमजोर होती है।
तीसरा स्तर
घर के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनती है।
चौथा स्तर
साधक की अपनी ऊर्जा स्थिर रहती है।
यह चक्र बिना किसी कठिन प्रयास के सक्रिय होता है।
DivyayogAshram की विशेष सलाह
- प्रयोग को रविवार रात ही करें
- दीपक की लौ शांत होनी चाहिए
- जप को जल्दी में न करें
- प्रयोग के दौरान कोई बात न करें
- किसी को प्रयोग की जानकारी न दें
- लगातार तीन रविवार यह प्रयोग दोहराएं
DivyayogAshram का अनुभव है कि लगातार तीन रविवार का यह माध्यम साधक को अत्यंत मजबूत बना देता है।
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अंतिम अनुभूति
प्रत्यंगिरा देवी का यह रविवार रात रक्षा कवच बहुत गहरा है।
यह साधक के जीवन में तुरंत सुरक्षा प्रदान करता है।
यदि आप इसे श्रद्धा से अपनाते हैं तो बुरी शक्तियां पास नहीं आतीं।
मन में साहस आता है और वातावरण स्थिर होता है।
यह प्रयोग साधक को नयी शक्ति, नयी रोशनी और सुरक्षित जीवन देता है।






