काली कंकालिनी चालीसा का पाठ नियमित रूप से ४१ दिन तक करना चाहिये, इससे साधक की सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है।
काली कंकालिनी चालीसा का पाठ करने से लाभ
- दुष्ट शक्तियों और बुराई से मुक्ति।
- भय, चिंता, और अन्य नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति।
- शक्ति, साहस, और स्थिरता की प्राप्ति।
- सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति।
- आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा।
- आत्म-विश्वास और स्वास्थ्य की देखभाल।
- कार्यों में स्थिरता और सफलता की प्राप्ति।
- कर्मों की शुद्धि और पुनःआरंभ की शक्ति।
- दुष्टता के प्रभावों से रक्षा और सुरक्षा।
- मानसिक शक्ति और स्थिर मन की प्राप्ति।
४० दिन तक कंकालिनी चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा से करके लाभ ले सकते है।
काली कंकालिनी चालीसा का पाठ
॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥
॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥
ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥
कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥
कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥
प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥
श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥
अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥
कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥
झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥
कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥
तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
Kali kankalini Chalisa in English
Chaupai:
Jai Kankali Maati Mahakali,
Bhaav Bhakti Karo Tum Bali.
Victory to Kankali, the great form of Mahakali,
With devotion and reverence, we bow to you.
Doha:
Charan Kamal Mein Rahe Hamari,
Harahu Ashubha, Dukh ki Baari.
At your lotus feet, we remain devoted,
Remove all inauspiciousness and sorrows from our lives.
Chaupai:
Jai Kankali Kaali Kalikeya,
Aadya Shakti Tumhi Anupama.
Victory to Kankali, the dark and formidable one,
You are the primordial energy, unparalleled and supreme.
Doha:
Shumbha Nishumbha Mardani Maata,
Raktabeej Vinashini Kaali.
Mother, you destroyed the demons Shumbha and Nishumbha,
And vanquished the demon Raktabeej as Kaali.
Chaupai:
Dhumavati, Bagalamukhi, Bhairavi,
Chinnamasta, Matangi Tarini.
You are Dhumavati, Bagalamukhi, Bhairavi,
Chinnamasta, Matangi, and the savior.
Doha:
Vidya Dene Waali Maata,
Buddhi Bal Ki Tum Ho Daata.
You are the mother who bestows knowledge,
You are the giver of intellect and strength.
Chaupai:
Jis Par Ho Tum Ki Kripa,
Uski Saghan Ho Dukh Kapa.
Whosoever receives your grace,
Their sorrows are dispelled completely.
Doha:
Roop Anant Tumhara Maata,
Sabko Sukh Daata Amrit Vaani.
Your form is infinite, O Mother,
Your nectar-like words bestow happiness upon all.
Chaupai:
Bhakti Bhav Se Jo Tumko Dhyaave,
Sankat Se Vo Mukt Hoye Jaave.
Whoever meditates on you with devotion,
Is freed from all troubles and distress.
Doha:
Jai Jai Jai Kankali Maata,
Kripa Karo Hum Sabki Daata.
Victory, victory, victory to Kankali Maata,
Shower your grace upon all of us, O giver.
Chaupai:
Charan Sharan Mein Tumhari Aaye,
Sukh Shanti Sab Bhaag Jaaye.
Those who take refuge at your feet,
Receive happiness and peace, and all troubles flee.
Doha:
Sundar Shyam Roop Tumhara,
Kara Dukhdaari Bhaktan Pyaara.
Your beautiful dark form, O Mother,
Removes the devotees’ sufferings and is beloved to them.
Chaupai:
Jai Jai Jai Kankali Ambe,
Saath Tumhare Hum Sab Rambe.
Victory, victory, victory to Kankali Ambe,
With you by our side, we all rejoice.
Doha:
Paap Naashni Sankat Harni,
Kankali Maata Bhav Bhaya Varn.
You destroy sins and remove difficulties,
Kankali Maata, you are the dispeller of worldly fears.
Chaupai:
Aarti Tumhari Jo Gaye,
Manvaanchit Phal Paaye.
Those who sing your Aarti,
Receive the desired fruits of their actions.
Doha:
Kankali Chalisa Jo Gaave,
Sab Sukh Sampatti Paave.
Whoever recites this Kankali Chalisa,
Will receive all happiness and wealth.
Chaupai:
Nitya Naye Naye Mangal Gaaun,
Kankali Mata Tumko Dhyauun.
Daily, I sing new songs of auspiciousness,
Meditating on you, O Mother Kankali.
Doha:
Chhavi Apaar Tumhari Maata,
Main Kab Aaun Sharan Tumhaari.
Your infinite beauty, O Mother,
When will I come to your refuge?
Chaupai:
Jai Jai Jai Kankali Mahamayi,
Tum Ho Jagat Ki Adhikaari.
Victory, victory, victory to Kankali, the great goddess,
You are the sovereign of the universe.
Doha:
Sadaa Sukhi Rahe Tumhare Bhakta,
Kripa Karo Kankali Maata.
May your devotees always remain happy,
Shower your grace, O Kankali Maata.
By reciting the Kali Kankali Chalisa with devotion, one can receive the blessings of the goddess and be free from all fears and troubles.