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Kamakshi Kavacaham for all obstacles

Kamakshi Kavacaham, देवी कामाक्षी की शक्तिशाली स्तुति और सुरक्षा कवच है, जो देवी कामाक्षी को शक्ति, प्रेम और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके इस कवच का पाठ उनके भक्तों को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह कवच व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से बचाने में सहायक होता है।

संपूर्ण कामाक्षी कवचम् और उसका अर्थ

श्री कामाक्ष्याः कवचम्

ध्यानम्

त्रिनेत्रां त्रिपुरारिम् च त्रिशूलधरि्णीम् पराम्।
शिवां शान्तिकरीं शान्तां नमामि कामदायिनीम्॥

कवचम्

ऊँ अस्य श्री कामाक्ष्याः कवचस्य।
श्री ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः।
श्री कामाक्षी देवी देवता।
काम बीजम्। श्रीं शक्तिः।
ह्रीं कीलकम्।
मम सर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे, श्री कामाक्षी देवी प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।

स्तोत्रम्

ऊँ अस्य श्री कामाक्ष्याः कवचस्य।
कामाक्षी पातु मे शीर्षे, ललाटे किङ्करी मम।
शिवा पातु भवानेत्रे, कर्णयोः कर्णपूरिका।
नासिकायां पातु गौरी, वदने वाग्विलासिनी।
जिह्वायां पातु कौमारी, कण्ठे पातु सरस्वती।
स्कन्धयोः पातु पार्वती, हृदये महेश्वरी मम।
पार्श्वयोः पातु चण्डी, कट्यां पातु शङ्करी सदा।
ऊरू पातु महादेवी, जानुनि विन्ध्यवासिनी।
जङ्घायां पातु वैष्णवी, पादयोः पातु मारवी।
अन्येषु सर्वगात्रेषु पातु श्री कामाक्षी सदा।
भूर्जपत्रे लिखित्वा च यो धारयति भक्तितः।
सोऽपि पातकैर्मुक्तो याति विष्णोः परम् पदम्।

कामाक्षी कवचम् का अर्थ

ध्यानम्

ध्यान में देवी कामाक्षी का वर्णन किया गया है जो त्रिनेत्री हैं, त्रिशूल धारण करने वाली हैं, और शिवा के रूप में शांति, प्रेम और ममता की मूर्ति हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और संतोष का संचार होता है।

कवचम्

यह कवच देवी कामाक्षी की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा से भक्तों की सुरक्षा की याचना करता है। इसमें कहा गया है कि देवी कामाक्षी मेरे सिर, ललाट, नेत्र, कर्ण, नासिका, वदन, जिह्वा, कण्ठ, स्कन्ध, हृदय, पार्श्व, कटि, ऊरु, जानु, जंघा, पैर, और शरीर के सभी अंगों की रक्षा करें। यह कवच सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाकर भक्त को विष्णु के परम पद की प्राप्ति कराता है।

कामाक्षी कवचम् के लाभ

  1. शांति और संतोष: कामाक्षी कवचम् से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  2. शारीरिक स्वास्थ्य: इसका नियमित पाठ शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
  3. मानसिक स्थिरता: व्यक्ति को मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. समृद्धि और धन: देवी की कृपा से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  6. कठिनाइयों का समाधान: जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  7. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है और उनका नाश होता है।
  8. सौभाग्य की वृद्धि: कवच का पाठ सौभाग्य की वृद्धि करता है।
  9. परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।
  10. संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  11. धार्मिक जागरूकता: व्यक्ति की धार्मिक चेतना बढ़ती है।
  12. विवाह में सफलता: विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  14. सुरक्षा और रक्षा: कवच व्यक्ति की हर प्रकार से रक्षा करता है।
  15. भय से मुक्ति: इसका पाठ व्यक्ति को भय से मुक्त करता है।

कामाक्षी कवचम् का विधि

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  1. दिन का चयन: इस कामाक्षी कवचम् का पाठ किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: इस कवच का पाठ ४१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  3. मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त में, सुबह 4 से 6 बजे के बीच, इसका पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  4. स्नान: पाठ से पहले स्नान अवश्य करना चाहिए।
  5. ध्यान: देवी कामाक्षी का ध्यान करते हुए, पूजा की शुरुआत करें।
  6. पाठ की विधि: स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर, देवी कामाक्षी की प्रतिमा या चित्र के सामने इस कवच का पाठ करें।

कवचम् के नियम

  1. पूजा और साधना का गुप्त रखरखाव: इस कामाक्षी कवचम् के पाठ को गुप्त रखें और किसी को न बताएं।
  2. शुद्धता का पालन: पूजा और साधना के दौरान शुद्धता का पालन करें।
  3. नियमितता: नियमित रूप से इस कवच का पाठ करें। अगर किसी दिन छूट जाए, तो अगले दिन दो बार पाठ करें।
  4. व्रत: साधना के दौरान व्रत रखने का प्रयास करें।
  5. सात्विक आहार: साधना के समय सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करें।

कामाक्षी कवचम् में सावधानियाँ

  1. गुप्तता: साधना और पूजा की गोपनीयता बनाए रखें।
  2. विधि का पालन: कामाक्षी कवचम् पाठ की विधि का सही ढंग से पालन करें।
  3. शुद्धता का ध्यान: शुद्धता का पालन अवश्य करें।
  4. मानसिक तैयारी: साधना के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
  5. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर साधना करें।

कामाक्षी कवचम् पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: कामाक्षी कवचम् का पाठ किसे करना चाहिए?
उत्तर: जो व्यक्ति जीवन में शांति, समृद्धि, और सुरक्षा की कामना करता है, उसे कामाक्षी कवचम् का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न 2: कामाक्षी कवचम् का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त में, सुबह 4 से 6 बजे के बीच, इसका पाठ सबसे अच्छा माना जाता है।

प्रश्न 3: क्या कामाक्षी कवचम् का पाठ किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: कामाक्षी कवचम् का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: इस कवच का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

प्रश्न 5: क्या साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
उत्तर: व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह साधना को अधिक प्रभावी बनाता है।

प्रश्न 6: क्या साधना को गुप्त रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या कामाक्षी कवचम् का पाठ सार्वजनिक रूप से किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, इसे व्यक्तिगत रूप से और शांति से किया जाना चाहिए।

प्रश्न 8: क्या साधना के दौरान किसी विशेष प्रकार के भोजन का पालन करना चाहिए?
उत्तर: साधना के दौरान सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या कामाक्षी कवचम् का पाठ शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाता है?
उत्तर: हाँ, यह कवच शत्रु बाधाओं से रक्षा करता है।

प्रश्न 10: क्या कामाक्षी कवचम् का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है?
उत्तर: हाँ,इसका पाठ मानसिक शांति और संतोष प्रदान करता है।

प्रश्न 11: क्या कामाक्षी कवचम् का पाठ धन और समृद्धि बढ़ाता है?
उत्तर: हाँ, यह कवच धन और समृद्धि की वृद्धि में सहायक होता है।

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